द लीडर। श्रीलंका में आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच लागू आपातकाल से हर जगह सन्नाटा पसर गया है। लेकिन राज्य देश में महंगाई चरम पर है। यहां अनाज के दाम आसमान छू रहे हैं। जिससे लोगों का खाना पीना मुश्किल हो गया है।
श्रीलंका के राजनीतिक संकट की सबसे बड़ी वजह सरकार की आर्थिक नीतियां बताई जा रही है। यहां राशन और अन्य वस्तुएं की कीमतें इतनी बढ़ गई है कि, लोग खरीदने से पहले सौ बार सोचने को मजबूर हो रहे हैं। देश में बेतहाशा बढ़ रही महंगाई से लोगों का हाल बेहाल नजर आ रहा है।
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बेतहाशा महंगाई से आम आदमी बेहाल
यहां अनाज की कीमतों में आग लगी हुई हैं। राजमा 925 रुपये किलो प्रति तो पॉपकॉर्न 760 रुपये किलो, मसूर की दाल 500 रुपये से लेकर 600 रुपये प्रति किलो बिक रही हैं। वहीं काबुली चना भी महंगा हो गया है।
बेतहाशा महंगाई से आम आदमी की रसोई अब का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है। इसके साथ ही श्रीलंका में अरहर की दाल 890 रुपये किलो, मूंगफली दाना 760 रुपये किलो, उड़द की दाल 850 रुपये किलो बिक रही है। यह श्रीलंका की थोक मंडी का भाव है। जबकि रिटेल मार्केट में तो यही समान 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक और अधिक महंगा बिक रहा है।
2 करोड़ 20 लाख की आबादी वाला श्रीलंका इन दिनों वित्तीय और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। देश में बढ़ रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने आपातकाल लागू कर दिया लेकिन वहां महंगाई चरम पर है। जिससे लोग भुखमरी की कगार पर आ सकतें हैं।
बढ़ती महंगाई, सड़कों पर लोग
श्रीलंका में राशन की किल्लत से दो करोड़ की आबादी सड़कों पर आ गई है। चावल का एक्सपोर्ट करने वाला श्रीलंका अभी इसे आयात कर रहा है। और इसकी कीमत 450 रुपये से लेकर 700 रुपये के बीच है। इसके साथ ही आलू-प्याज जैसी सामान्य इस्तेमाल की सब्जी की कीमतें भी 220 रुपये किलो हो चुकी है, लहसुन 170 रुपये में सिर्फ 250 ग्राम ही मिल रहा है।
वहीं नारियल और नारियल तेल के सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक श्रीलंका में इन दिनों नारियल की कीमत 85 से 100 रुपये प्रति नग पर पहुंच गई है। जबकि नारियल तेल 600 रुपये से 1000 रुपये प्रति लीटर के बीच मिल रहा है।
देश छोड़कर भागे राष्ट्रपति राजपक्षे ने दिया इस्तीफा
बता दें कि, श्रीलंका में लंबे समय से आर्थिक संकट बना हुआ है। जिसके चलते वहां के राष्ट्रपति गोताबया राजपक्षे देश से फरार हो गए। जानकारी के मुताबिक, वह सिंगापुर पहुंच गए हैं। जहां पहुंचने के बाद ईमेल के जरिए उन्होंने राष्ट्रपति पर से इस्तीफा दिया है।
ईमेल मिलने पर स्पीकर ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है। साथ ही स्पीकर ने कहा है कि, सात दिन के अंदर नए राष्ट्रपति की नियुक्ति की जाएगी। वहीं नए राष्ट्रपति चुने जाने तक प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ही कार्यभार संभालेंगे।
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