द लीडर : यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग ने भारत के 20 हज़ार घरों में मातम पसार दिया है. वे घर-जिनके बच्चे यूक्रेन में पढ़ाई करने गए हैं. लेकिन पिछले 5 दिनों से जंग के बीच फंसे है. यूक्रेन का कीव शहर हो या उसकी सरहदें-वहां से अब जो ख़बरें सामने आ रही हैं. वो कलेजे में कंपन पैदा करने वाली हैं. लखनऊ की गरिमा मिश्रा का वीडियो हो या रोमानिया और पोलेंड के बॉर्डर पर सैनिकों द्वारा भारतीय छात्रों की बर्बर पिटाई का. ये बताते हैं कि हालात बदतर हो चुके हैं. और भारत सरकार उन्हें निकालने में काफी देरी कर चुकी है. (Indian Students Stuck In Ukraine)
इस भयानक स्थिति के बीच सोमवार को भारत सरकार थोड़ी हरकत में आई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक आपात बैठक की. जिसमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरेन रिजिजू और रिटायर्ड जनरल वीके सिंह को छात्रों की निकासी मिशन और समन्वय के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजने का फैसला लिया है.
सरकार की एक हकीक़त ये भी है कि अब तक जो 400-500 छात्र यूक्रेन से भारत लाए गए हैं. उन्हें इवेंट बनाकर प्रचार में व्यस्त है. जबकि वास्तव में उन्हें निकालने का श्रेय सरकार को ही जाता है. लेकिन बेहतर होता कि वो युद्धस्तर पर राहत बचाव अभियान चलाकर सभी 20 हज़ार भारतीय स्टूडेंट्स को वहां से सुरक्षित निकालती. और फिर इसका श्रेय लेती है. लेकिन शायद सरकार की पीआर टीम को इस मुश्किल घड़ी में इवेंट ज़्यादा फायदेमंद लगा. जैसे कि आपदा में अवसर की तलाश-उसका नैतिक वाक्य भी है.
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की हज़ारों वीडियो ट्वीटर पर तैर रही हैं. जिनमें वे भारतीय दूतावासों की बेपरवाही बयान कर रहे हैं. यूक्रेन की इंडियन एंबेसी ही नहीं बल्कि रोमानिया, पोलेंड के भारतीय एंबेसडर भी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं. (Indian Students Stuck In Ukraine)
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चार-पांच दिन से जंग के साये में फंसे इन छात्रों के पास खाने को भोजन है न पहनने को पर्याप्त कपड़े. किस हालात में वो बॉर्डर पर जान बचाने की एक जंग लड़ रहे हैं. लेकिन दुनिया के सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री यूपी के चुनावों में व्यस्त रहे हैं. लखनऊ की गरिमा मिश्रा जो कीव शहर में हैं-वो ये कहते हुए फफकर रो पड़ती हैं कि हमें लगता था कि मोदी जी या योगी जी हमें बचा लेंगे. (Indian Students Stuck In Ukraine)
यह अकेली गरिमा की व्यथा नहीं है,
हकीकत है काल्पनिक कथा नहीं है#उड़ता_PM_रोते_बच्चे
pic.twitter.com/alAaGcAllh— Manoj Mehta (Modi Ka Parivar) (@ManojMehtamm) February 27, 2022
भारत की आंतरिक राजनीति हो या विदेश नीति. दोनों मोर्चों पर सरकार और उनके नेताओं को सर्वशक्तिमान के तौर पर ही प्रचारित किया गया है. लेकिन उसके 20 हज़ार नागरिक जब मौत के मुहाने पर खड़े हैं. तों वो बेफिक्री अख़्तियार किए रही. और अब जब छात्रों के साथ हिंसा और उन्हें नुकसान पहुंचाने की तस्वीरों पर हंगामा मचा है तो राहत बचाव मिशन गठित किया गया.
एक सवाल ये भी उठ रहा है कि जब अमेरिका या दूसरे देशों ने यूक्रेन और रूस के बीच बिगड़े हालात को भांपकर अपने नागरिकों को पहले ही सुरक्षित निकाल लिया. तो भारत सरकार ऐसा क्यों नहीं कर पाई? ऐसे कई सवाल हैं-जिनके जवाब से पहले सरकार के छात्रों को सुरक्षित निकालना ज़रूरी है. (Indian Students Stuck In Ukraine)