द लीडर। यूपी में फिलहाल चुनाव चल रहे है। वहीं 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे और पता चलेगा कि, यूपी की सत्ता पर जनता किसे बैठाएगी। वहीं चुनाव के बाद होली का लोगों को बेसबरी से इंतजार है। वहीं काशी की हिंदू जनता जहां दिन में होली मनाएगी, वहीं मुस्लिम समुदाय रात में शब-ए-बारात के चिराग रोशन करेंगे। जुमे पर देश और दुनिया के साथ ही बनारस में भी शाबान के चांद की तस्दीक हो गई।
गंगा जमुनी तहजीब का शहर बनारस की होली इस बार बेहद खास होने जा रही है। काशी की हिंदू जनता जहां दिन में होली मनाएगी वहीं मुस्लिम समुदाय रात में शब-ए-बरात के चिराग रोशन करेंगे। इसके साथ ही 18 मार्च को शब-ए-बरात मनाने का भी ऐलान कर दिया गया।
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शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता और हजरत अली समिति के सचिव हाजी फरमान हैदर ने बताया कि, इस साल 18 मार्च को शब-ए-बारात और होली साथ-साथ मनाई जाएगी।
गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल
चांद दिखने के साथ ही शिया समुदाय के लोगों ने अली और फातिमा की बेटी जनाबे जैनब की जयंती का जश्न भी शुरू कर दिया। पूर्व संध्या से ही शहर में महफिलें सजाई गईं। सात मार्च को इमाम हुसैन की जयंती और आठ मार्च को हजरत अब्बास की जयंती अकीदत के साथ मनाई जाएगी।
शिया प्रवक्ता ने बताया कि, इस्लामिक कैलेंडर का आठवां महीना प्यारे नबी हजरत मोहम्मद के नाम से जाना जाता है। 18 मार्च को हिंदू मुस्लिम मिल जुलकर होली और शब-ए-बारात एक साथ मनाकर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करेंगे।
18 मार्च को शब-ए-बारात मनाने का ऐलान
दरगाह आला हजरत के मरकज दारुल इफ्ता ने 18 मार्च को शब-ए-बारात मनाने का ऐलान कर दिया है। इस बार 18 को शबे बारात मनाई जाएगी। शहर से लेकर देहात तक कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहेगी।
जमात रजा-ए-मुस्तफा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया कि, सुन्नी बरेलवी मरकज दरगाह आला हजरत से काजी उल हिंद मुफ्ती मोहम्मद असजद रजा खां कादरी के हवाले से मरकजी दारुल इफ्ता के मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूकी ने बताया कि, शाबान का चांद नजर नहीं आया।
अगर किसी शहर मे शरई तौर पर चांद देखे जाने की खबर है। इसलिए शुक्रवार को 30 रजब है। इस हिसाब से शबे बारात 18 मार्च का ऐलान किया गया है।
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इस बीच अगर बाद मे भी कहीं से शरई शहादत (गवाही) आती है तो उस एतबार से दोबारा ऐलान किया जाएगा। उधर, पुलिस प्रशासन ने भी 18 मार्च को शबे बारात की तैयारियों को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की रूपरेखा तैयार कर ली है।
होली पर्व का पौराणिक महत्व
बता दें कि, फाल्गुन मास में रंगों के महापर्व होली की बयार बहने लगी है। शुक्ल पक्ष लगते ही पर्व की तैयारियां तेज हो गई। रंग-गुलाल, अबीर, आकर्षक पिचकारी आदि से बाजार सजने लगे हैं। थोक बाजार में चहल-पहल शुरू हो गई है। 10 मार्च को होलाष्टक लगेगा, शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। 17 मार्च को होलिका दहन है।
होली पर्व का पौराणिक महत्व है। यह प्रकृति व परंपरा से जुड़ा है। कथाओं के अनुसार, अष्टमी तिथि से ही हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु के भक्त अपने बेटे प्रह्लाद को मारने के लिए तरह-तरह के षड्यंत्र रचा, यातना देना शुरू कर दिया था। इसे देखकर सभी देवी-देवताओं के साथ ग्रहों का स्वभाव काफी उग्र हो गया था।
धार्मिक मान्यता है कि, इन आठ दिनों में सभी ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है, जो शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इस आठ दिन में शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। होलिका दहन में बुराई,अधर्म,पाप एवं दूसरे के प्रति मन में उपजे नफरत को जलाने का कार्य किया जाता है।
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