द लीडर हिंदी : आल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान को एडीजे फॉस्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में सरेंडर करना पड़ेगा. हाईकोर्ट ने ग़ैर ज़मानती वारंट पर अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया है. मौलाना को होली तक की मोहलत दी गई है. होली के अवकाश के बाद 27 मार्च को उन्हें एडीजे फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में सरेंडर करना होगा. मौलाना इससे बचने के लिए ही हाईकोर्ट गए थे. वहां उनकी तरफ से सीनियर एडवोकेट शेषाद्रि त्रिवेदी ने बहस की. न्यायाधीश राम मनोहर नारायण के समक्ष तमाम दलील रखीं.
एडीजे फॉस्ट ट्रैक कोर्ट के मौलाना को दंगे का मुख्य मास्टर माइंड बनाते हुए की गईं टिप्पणियों का भी ज़िक्र किया. यह भी कहा कि बरेली में दंगा 2010 में हुआ था, जिसमें मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान को बेगुनाह मानकर जेल से रिहा किया गया था. जवाब में अपर महाधिवक्ता की तरफ तमाम केसों का हवाला देकर विरोध किया गया. आख़िरकार तय हो गया कि मौलाना को सरेंडर करना पड़ेगा.
बरेली कोर्ट की बात करें तो एडीजे फॉस्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने कल इस मामले में एक मार्च की तारीख़ लगाई थी. उससे पहले प्रेमनगर पुलिस ने 18 मार्च को मौलाना के घर पर ग़ैर ज़मानती वारंट NBW चस्पा कर दिया था. लेकिन हाईकोर्ट ने मौलाना से 27 अप्रैल को ही सरेंडर करने के लिए कहा है. इस बीच 21 मार्च को ज़िला जज मुक़दमा हस्तांतरित करने की अर्ज़ी पर फ़ैसला सुनाएंगे, जो दंगे के एक अन्य आरोपी शाहरुख़ की तरफ़ से दाख़िल की गई है. बहरहाल, मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान अभी फरार चल रहे है. उनके बरेली वापस लौटने के बाद पूरी तस्वीर साफ होगी