द लीडर : त्रिपुरा में पिछले तीन दिनों से हिंदुत्ववादी संगठन तांडव मचाए हैं. एक हिंसक भीड़ मुसलमानों के खिलाफ सड़कों पर कोहराम मचा रही है. उन पर हमले किए जा रहे हैं. घर-मस्जिदों को निशाना बना रहे हैं. अब तक 8 मस्जिदों में तोड़फोड़, आग्जनी और कई घरों पर हमला-लूटपाट के मामले सामने आ चुके हैं. हिंसा में 15 लोग घायल भी हुए हैं. बेकाबू भीड़ के सामने पुलिस बल नतमस्तक है. और हिंसा पर काबू पाने की कोई ठोस कोशिश नजर नहीं आ रही है. (Tripura Violence Against Muslims)
उत्तर भारत का त्रिपुरा राज्य बांग्लादेश की सीमा से सटा है. तीन छोर से इसकी सरहदें बांग्लादेश से लगी हैं. दुर्गा पूजा पर बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़क गई थी. इसके विरोध में त्रिपुरा में हिंदूवादी संगठन मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं.
बांग्लादेश की घटना के विरोध में त्रिपुरा में 21 अक्टूबर को विश्व हिंदू परिषद (VHP)के साथ कई संगठन प्रदर्शन करने उतरे थे. त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से 50 किलोमीटर दूर गोमती जिले में विशाला मार्च निकाला गया. इसके साथ ही पश्चिमी अगरतला, धर्मनगर और उत्तरी त्रिपुरा में ये जुलूस शुरू हो गए. जिनमें हजारों की भीड़ शामिल हुई.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदर्शनकारियों का दावा है कि इन रैलियों के लिए प्रशासन से उन्हें इजाजत मिली है. हालांकि इन्हीं रैलियों की भीड़ हिंसक हो चुकी है. और वो मुसलमानों पर हमले पर आमदा हैं.
तीन दिन से राज्य में कोहराम मचा है. लेकिन सरकार की ओर से अब तक घटना पर एक लफ्ज तक नहीं बोला गया. इससे उपद्रवियों के हौसले बुलंद हैं. और वे पुलिस और सुरक्षा बलों से भी टकरा रहे हैं.
हालात के मद्देनजर राज्य में धारा 144 लागू कर दी गई है. लेकिन स्थितियां अब भी बेकाबू हैं. और सुरक्षा बलों के लिए शांति व्यवस्था स्थापित करने की चुनौती बनी है. हालांकि हिंसक भीड़ पर पुलिस किसी तरह का बल प्रयोग करने से बच रही है. (Tripura Violence Against Muslims)
त्रिपुरा में मुसलमानों पर हमलों को लेकर देश के मुस्लिम समाज से कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. और वे सरकार से मुसलमानों की सुरक्षा और राज्य में शांति व्यवस्था बनाने की अपील कर रहे हैं.
स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया ने राज्य में आबाद मुसलमानों की सुरक्षा के लिए तेजी से काम किए जाने की मांग की है. एसआइओ ने एडवोकेट अब्दुल बासित के घर और मस्जिद पर हमलों की भी निंदा की है. और पूरे घटनाक्रम की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
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बता दें कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने के मामले में अब तक करीब 450 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. और सांप्रदायिक हिंसा के 72 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. घटना में शामिल मुख्य आरोपी को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.
इतना ही अल्पसंख्यकों के साथ वहां के बहुसंख्यक मुसलमान खड़े हैं. और वे सड़कों पर उतरकर उनकी सुरक्षा-न्याय की मांग कर रहे हैं. इसलिए त्रिपुरा की हिंसा को लेकर सरकारों से सवाल किए जा रहा है. (Tripura Violence Against Muslims)