त्रिपुरा हिंसा पर हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, आला हजरत से उठी मुसलमानों की हिफाजत की आवाज

द लीडर : त्रिपुरा में पिछले एक सप्ताह से भड़की सांप्रदायिक हिंसा पर, शासन की बेफिक्री के बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है. त्रिपुरा हाईकोर्ट ने अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ हमले की घटनाओं का स्वत: संज्ञान लिया है. और पूरे मामले पर शासन से रिपोर्ट तलब की है. दूसरी तरफ राज्य के मुसलमानों की जान-माल और उनकी इबादतगाहों (धार्मिक स्थलों) की हिफाजत के हक में, सामाजिक संगठनों के साथ दरगाह-खानकाहों से भी आवाज बुलंद होने लगी है. (Tripura Violence High Court)

बांग्लादेश में 13 अक्टूबर को दुर्गा पूजा पर हुई हिंसा के विरोध में 21 अक्टूबर से त्रिपुरा सुलग रहा है. हिंदुत्ववादी संगठन, विश्व हिंदू परिषद के साथ दूसरे संगठन रैलियां निकाल रहे हैं, जो हिंसक होकर मुसलमानों को निशाना बना रही हैं.

 

स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एसआइओ) के मुताबिक, अब तक 27 घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 15 मस्जिदों को निशाना बनाया गया. तीन मस्जिदों में आग लगा दी गई. (Tripura Violence High Court)


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नॉर्थ त्रिपुरा समेत कई हिस्सों में नफरत की आग फैली हुई है, जिसमें कई दुकानों को जला दिया गया है. अल्पसंख्यकों के मकानों पर भगवा झंडा लगाए गए.

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने समाचार पत्रों में प्रकाशित घटनाओं के आधार पर हिंसा का स्वत: संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट के दखल के बीच राज्य में हालात सामान्य होने की उम्मीद बंधी है.

इससे पहले त्रिपुरा के आइजी कानून व्यवस्था ने राज्य के हालात सामान्य होने का दावा किया था. इस आरोप के साथ कि कुछ देश-विरोधी ताकतें हिंसा की अफवाहें फैला रही हैं. लेकिन राज्य से जिस तरह आगजनी, हमलों की खबरें सामने आईं. उनके संदर्भ में पुलिस कोई सफाई नहीं दे सकी.

पुलिस की ये सफाई तब आई, जब पूरे भारत के अल्पसंख्यक समुदाय की तरफ से हिंसा के खिलाफ आवाजें उठना शुरू हुईं. इस पर पुलिस हरकत में आई और दो जिलों के पुलिस अफसरों के साथ आइजी ने खुद सामने आकर सफाई पेश की. (Tripura Violence High Court)

शुक्रवार को एसआइओ, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट, फ्रेटरनिटी मूवमेंट के साथ कई सामाजिक संगठनों ने दिल्ली में त्रिपुरा भवन के बाहर प्रोटेस्ट किया था. जिससें कई छात्र और एक्टिविस्टों को पुलिस ने हिरासत में लेकर देररात को छोड़ा था.

शनिवार को यूपी के बरेली स्थित दरगाह आला हजरत के उलमा ने त्रिपुरा हिंसा की सख्त लहजे में निंदा की है. और राज्य व केंद्र सरकार ने कानून व्यवस्था बहाल कराने की मांग की है.

जमात रजा-ए-मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान मियां के नेतृत्व में उलमा की बैठक हुई. जिसमें इस तरह के हालात पैदा करके देश के अल्पसंख्यकों में खौफ का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है, जो शर्मनाक है. मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव से मांग करते हैं कि दंगाईयों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें. और राज्य के अल्पसंख्यकों के जान-माल और धार्मिक स्थलों की हिफाजत करें.

जमात के प्रवक्त समरान खान ने बताया कि हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कार्रवाई न हुई तो सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया जाएगा. (Tripura Violence High Court)

तहरीक-फरोग-ए-इस्लामी ने भी त्रिपुरा दंगों की सख्त मजम्मत करते हुए अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग उठाई है. फरोग इस्लामी ने कहा कि जल्द ही उलमा एक प्रतिनिधि मंडल त्रिपुरा के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा.

 

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Ateeq Khan

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