ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन ने पुरातत्व सर्वेक्षण कराए जाने के स्थानीय अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में दी चुनौती

द लीडर : वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन ने स्थानीय अदालत के उस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें कोर्ट ने पुरातत्व विभाग को ये जांचने का आदेश दे रखा है कि वो ये पता लगाकर बताए कि काशी विश्वनाथ मंदिर को ढहाकर तो ज्ञानवापी मस्जिद नहीं बनाई गई थी. अदालत के इस फैसले से मुस्लिम समाज हैरान है. वो इसलिए क्योंकि हाल ही में मथुरा की एक मस्जिद का मामला भी कोर्ट पहुंच चुका है. इस तरह उसे अपने धार्मिक स्थलों पर संकट नजर आ रहा है.

अयोध्या बाबरी मस्जिद-मंदिर प्रकरण, जिसका साल 2019 में ही पटाक्षेप हुआ है. उसके बाद दूसरी मस्जिदों पर वैसे ही दावे किए जा रहे हैं. ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन-इंतेजामिया (मस्जिद समिति) ने वाराणसी की स्थानीय अदालत पर रोक लगाने की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

ज्ञानवापी मस्जिद वर्ष 1696 के आस-पास बनाई गई थी. सवा तीन सौ साल बाद अब इसका विवाद कोर्ट पहुंचा है. जिससे ये ऐतिहासिक मस्जिद चर्चा में है. काशी विश्वनाथ मंदिर नजदीक बनी इस मस्जिद को लेकर हिंदू समाज का दावा है कि मंदिर तोड़कर इसे बनाया गया था.



 

मंगलवार को वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने एक आर्टिकल लिखा है, जो दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुआ है. इसमें शेखर गुप्ता कहते हैं कि अयोध्या मंदिर विवाद हल होने के बाद ये आशा जगी थी कि देश में अब मंदिर-मस्जिद का झगड़ा शायद थम जाएगा. लेकिन जिस तरह से मथुरा के बाद काशी की ज्ञानवापी मस्जिद का प्रकरण सामने आया है. वो हैरान करने वाला है.

 

Ateeq Khan

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