द लीडर : हरियाणा (Haryana) के गुरुग्राम में जुमे की नमाज पढ़ने के लिए सिखों ने गुरुद्वारा तो हिंदुओं ने अपने घर का दरवाजा खोल दिया है. तब, जब गुरुग्राम में हिंदुत्ववादी संगठन खुले में नमाज का विरोध कर रहे हैं. यहां तक कि नमाज स्थल पर उपले तक पाथ दिए गए. उस वक्त, उसी गुरुग्राम से मुहब्बत की ये खूबसूरत तस्वीर सामने आई है. (Gurugram Gurudwara Opened Namaz)
गुरुग्राम गुरुद्वारा कमेटी के प्रबंधक शेरदिल सिद्धू ने मुफ्ती सलीम से कहा है कि वे सदर बाजार गुरुद्वारा आकर नमाज अदा कर सकते हैं. तो दूसरी तरफ सेक्टर-12 के अक्षय यादव ने अपनी 100 गज जगह मुसलमानों को नमाज के दे दी.
अक्षय ने कहते हैं, मुसलमान चाहे तो मेरे घर के आंगन में भी नमाज पढ़ सकते हैं. हम गुरुग्राम को टूटने नहीं नहीं देंगे. मेरे जैसे बहुत से लोग हैं, जो नमाज के लिए अपनी जगह देने को राजी हैं.
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हिंदू और सिख समुदाय के आगे आने से मुफ्ती सलीम खुश हैं. उन्होंने कहा कि कुछ चंद लोग ही हैं जो माहौल खराब करना चाहते हैं. चूंकि गुरुग्राम में मस्जिद कम हैं. मजबूरन खुले में नमाज अदा करनी पड़ रही है. (Gurugram Gurudwara Opened Namaz)
कल यानी शुक्रवार को फिर जुमे की नमाज है. पिछले अक्टूबर महीने से सेक्टर-12 में खुले में नमाज का विरोध हो रहा है. स्थानीय लोगों के साथ हिंदूवादी संगठन ये मांग उठाए हैं कि नमाज मस्जिदों में पढ़ी जाए. खुले में नमाज पर पूरी तरह से पाबंदी लगे.
गुरुग्राम के 37 स्थानों पर खुले में नमाज अदा की जा रही थी. स्थानीय लोगों की सहमति पर ही प्रशासन ने यहां नमाज की अनुमति दी थी. हाल ही में हुए विरोध की वजह से इन चिन्हित स्थानों में से कई जगहों पर रोक लगा दी गई है.
बीते शुक्रवार को नमाज स्थलों पर पूजा-अर्चना की गई थी. कुछ स्थानों पर उपले भी पाथे गए. विरोध की वजह से इन स्थलों पर नमाज अदा नहीं की गई. (Gurugram Gurudwara Opened Namaz)
चूंकि हर शुक्रवार को जुमे की नमाज होती है. जो कल भी होनी है. इसलिए गुरुग्राम के सिख और हिंदू समुदय के लोग सामने आए हैं, और उन्होंने अपनी जगहों पर नमाज पढ़ने की दावत दी है.
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जिससे नमाज को लेकर पैदा हो रहे विवाद के शांत होने की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है. गुरुग्राम में 5 लाख से ज्यादा मुस्लिम आबादी है. और मस्जिदें सीमित हैं. स्थानीय मुस्लिम समाज प्रशासन से ये मांग कर रहा है कि वक्फ की जिन संपत्तियों पर कब्जा है. उसे मुक्त कराकर मस्जिदें निर्माण कराने की अनुमति दी जाए. ताकि खुले में नमाज की जरूरत ही न पड़े. तभी इस विवाद का स्थायी हल निकल पाएगा. (Gurugram Gurudwara Opened Namaz)