अहमदाबाद। देश में भले ही कोरोना की रफ्तार धीमी हो गई हो, लेकिन अभी खतरा टला नहीं है. लेकिन कोरोना काल में जहां एक तरफ लोगों को बचाने के लिए जोरों शोरों से वैक्सीनेशन कराया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ वैक्सीनेशन के नाम पर बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है.
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मृतकों के नाम पर वैक्सीनेशन
गुजरात में कोरोना वैक्सीनेशन के नाम पर काला खेल चल रहा है. आलम यह है कि, यहां मृतकों के नाम पर वैक्सीनेशन किया जा रहा है. अब इसके लापरवाही कहें या फिर यहां बहुत बड़ा घोटाला किया जा रहा है.
सरकार के निर्देशों के मुताबिक, कोरोना से बचाव के लिए जीवित लोगों को वैक्सीन लगाने की बात कही गई है. लेकिन सरकारी अधिकारियों की लगन तो देखिए, वो मृत लोगों तक भी कोरोना वैक्सीन पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
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मृत व्यक्ति को भी लगा दी कोरोना वैक्सीन की डोज
कोरोना काल के दौरान सरकार पर आंकड़ों की गड़बड़ी करने के आरोप लगते रहे हैं. फिर चाहे वह मौत के आंकड़े हो या कोरोना संक्रमितों के. हालांकि सरकार किसी भी गड़बड़ी से इनकार करती रही है. लेकिन कोई ना कोई मामला ऐसा सामने आ ही जाता है, जो सरकारी दावों की पोल खोल देता है.
हाल के दिनों में लोगों तक जल्द से जल्द कोरोना वैक्सीन पहुंचाने की कवायद की जा रही है. लेकिन इस कवायद में सरकारी सिस्टम की पोल खुल रही है. गुजरात के उपलेटा में कागजी कार्रवाई पूरा करने के चक्कर में एक मृत व्यक्ति को भी कोरोना वैक्सीन की डोज लगा दी गई.
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ये है पूरा मामला?
गुजरात के उपलेटा में रहने वाले हरदास कंरगिया की मौत 2018 में ही हो गई थी. उनके एक रिश्तेदार ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि, 2018 में ही वह अपने मृतक चाचा का मृत्यु प्रमाण पत्र भी ले आए थे. हरदार कंरगिया के भतीजे अरंविद कंरगिया को ये समझ नहीं आ रहा है कि, 2018 में स्वर्ग सिधार गए उनके चाचा को 2021 में कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन कैसे लगा दी गई.
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परिवार वालों को इस बात की भनक तब लगी जब मोबाइल पर मेसेज आया कि, मृतक हरदास भाई करंगिया को वैक्सीन मिल चुकी है.
मृत को कैसे लग सकती है वैक्सीन?
यह मैसेज आने के बाद परिवार शॉक में चला गया और यहीं पूछ रहा है कि, मृत को कैसे वैक्सीन लग सकती है. हालांकि मैसेज के मुताबिक हरदासभाई को 3 मई 2021 को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक दी गई और उनका सर्टिफिकेट भी दिया गया.
और भी कई मामले आए सामने
गुजरात के उपलेटा में हरदासभाई का यह अकेला मामला नहीं है. ऐसा ही मामला दाहोद से भी सामने आया है. जिसमें रिश्तेदार के मोबाइल पर मेसेज आया कि, उनके पिता का कोरोना वैक्सीनेशन हो चुका है. जबकि उनके पिता की मौत 10 साल पहले 93 साल की उम्र में 2011 में ही हो गई थी.
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वहीं ठीक ऐसा ही मामला इसी दाहोद के लीमडी में सामने आया. जहां 72 साल की महिला मधुबेन शर्मा को 2-3-2021 को वैक्सीन की पहली डोज दी गई थी. जबकि उनकी मौत किसी दूसरी वजह से 14-4-2021 को हुई थी.
लापरवाही या घोटाला?
ऐसे में गंभीर सवाल यह है कि, यह केवल सरकारी लापरवाही का मामला है या मृतक के नाम पर वैक्सीन कहीं और दी जा रही है. कहीं ये घटनाएं वैक्सीन घोटाले की तरफ तो इशारा नहीं करती?
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परिजनों ने वैक्सीनेशन सेंटर पर किया हंगामा
फिलहाल इस मामले को लेकर परिवार वालों ने वैक्सीनेशन सेंटर पर खूब हंगामा किया. और जांच की मांग की. जिसके बाद जिला हेल्थ अधिकारी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए.
मृतकों को वैक्सीन लगाए जाने के 10 से अधिक मामले
बता दें कि, इस मामले के सामने आते ही सरकारी बाबुओं के पैरों तले जमीन खिसक गयी है. गुजरात में अब तक मृत व्यक्तियों को वैक्सीन लगाए जाने के 10 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं.