द लीडर : गाज़ियाबाद के डॉक्टर अरविंद वत्स अकेला को ‘सिर तन से ज़ुदा’ करने की कोई धमकी नहीं मिली. बल्कि डॉक्टर ने सस्ती शोहरत पाने के लिए धमकी की फ़र्जी स्क्रिप्ट बुनी थी. मीडिया ने इस कहानी पर टीवी शो बनाए. अख़बारों ने पन्ने स्याह किए. अब जब पुलिस ने डॉक्टर की करतूत को बेपर्दा कर दिया. तो मीडिया के उस हिस्से में मरघटी मंज़र है, जो नफ़रत के प्रोपेगैंडा का प्रचारक है. लेकिन क़ानून में हर झूठ-अपराध को बेनक़ाब करने की ताक़त और स्किल है. जिसका इस्तेमाल करके गाज़ियाबाद पुलिस ने डॉक्टर का शातिर दिमाग़ सार्वजनिक कर दिया है. (Ghaziabad Arvind Vatas Akela)
डॉक्टर अरविंद वत्स अकेला अंबेडकर नगर कॉलोनी में रहते हैं. लोहिया नगर चौकी के पास उनका क्लीनिक है. उनके कहे मुताबिक, कुछ हिंदवादी संगठनों से जुड़े हैं. ”हिंदू स्वाभिमान मंच के यूपी-बिहार के प्रभारी भी हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि, ”एक सितंबर को उन्हें एक अंजान नंबर से दो बार वाट्सएप कॉल आई. रात का वक़्त था. घरवाले सो रहे थे. तब फ़ोन नहीं उठा सके.
बाद में मिस्ड कॉलद देखकर कॉल बैक किया. कॉल रिसीव नहीं हुई. लेकिन दो सितंबर को फिर उसी नंबर से कॉल आई. और फ़ोन करने वाले धमकाया कि तू बहुत से हिंदू संगठनों के लिए काम करता है. इसलिए तेरा सिर तन से ज़ुदा कर दिया जाएगा. तेरी रेकी की जा रही. कोई बचा नहीं पाएगा.” (Ghaziabad Arvind Vatas Akela)
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इसी रोज़ पुलिस में शिकायत की. और कैमरों के सामने आकर फूट-फूटकर रोए. चूंकि राजस्थान के उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या हो गई थी. और हत्यारों ने सिर तन से ज़ुदा का नारा दोहराया था. इसलिए गाज़ियाबाद पुलिस फ़ौरन हरकत में आई. और मामले की जांच शुरू की. साइबर टीम के वरिष्ठ अधिकारियों को भी लगाया.
रविवार को गाज़ियाबाद पुलिस ने इस केस का खुलासा कर दिया. कहा कि, डॉक्टर एक अस्थमा मरीज़ के संपर्क में थे. जिसका नाम अवनीश कुमार है. दो सितंबर को अवनीश ने ही डॉक्टर को अपनी बीमारी से जुड़े दवाओं के कुछ पर्चे, फ़ोटोज़ भेजे थे. उनके अलावा डॉक्टर के नंबर पर कोई कॉल नहीं आई. (Ghaziabad Arvind Vatas Akela)
ग़ाजियाबाद पुलिस ने कहा कि डॉक्टर ने सस्सी शोहरत पाने के लिए धमकी की फ़र्जी कहानी रची है. मीडिया और सोशल मीडिया पर मामल को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया. ऐसा करके उन्होंने पुलिस को भ्रमित किया है. डॉक्टर के विरुद्ध नियमानुसार वैधानिक यानी क़ानूनी कार्रवाई की जा रही है.
केस का खुलासा होने के बाद डॉ. अरविंद वत्स अकेला की सांस उखड़ गई. और वह हक्का-बक्का हैं. क्योंकि मीडिया में उन्होंने कहा कि था कि धमकी के बाद वह घर में क़ैद हैं. डर के मारे बच्चे भी बाहर नहीं निकल रहे.
चूंकि गाज़ियाबाद पहले से ही थोड़ा सेंसटिव है. यहां डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती पूर्व में ऐसे कई बयान दे चुके हैं, जिनको लेकर काफ़ी हंगामा मचा. और उन पर एक्शन भी हुआ. दूसरा-एनसीआर रीज़न होने की वजह से इस केस को काफ़ी गंभीरता से डील किया गया है. (Ghaziabad Arvind Vatas Akela)
पुलिस खुलासे के बाद अरविंद अकेला, अकेले पड़ गए हैं. जो मीडिया उन्हें ज़िंदगी से जूझते विक्टिम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही थी-मौन धारण किए है. टीवी के एंकरों से पब्लिक सवाल पूछ रही है कि फ़र्जी ख़बरें क्यों चला रहे हैं.
लेकिन सवाल ये है कि डॉक्टर अरविंद वत्स अकेला ने क्या केवल शोहरत पाने के लिए ही ये खेल रचा है? शोहरत किस तरह की. क्लीनिकल या फिर पॉलिटिकल. 24 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं. क्लीनिक के लिए तो प्रसिद्धि की ज़रूरत नहीं होगी. चूंकि संगठनों से जुड़े हैं तो स्वभाविक है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी होगी. राजनीति में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ने के लिए ही शायद डॉक्टर अरविंद अकेला को सिर तन से ज़ुदा की धमकी का सहारा लेना पड़ा. लेकिन चाल काम नहीं आई. (Ghaziabad Arvind Vatas Akela)