द लीडर हिंदी। देश में मॉनसून सीजन में एक बार फिर गुजरात से लेकर कश्मीर तक नदियां उफान पर हैं। इसके साथ ही कई इलाकें बाढ़ में डूब गए है. बता दें कि, भारत विश्व का दूसरा बाढ़ प्रभावित देश है। बाढ़ एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोई निश्चित भूक्षेत्र अस्थायी रूप से जलमग्न हो जाता है और जन-जीवन प्रभावित हो जाता है। बांध टूटना, जलतरंगों की गति बढ़ना, मानसून की अधिकता आदि। भौतिक हानि (इमारतों व घरों का जलमग्न होना), जन स्वास्थ्य को नुकसान (बाढ़ में बीमारी फैलने का खतरा), फसलों और खाद्यान्न पूर्ति पर प्रभाव इसके कुछ बुरे पहलू है। इसके साथ ही कई लोगों इसमें अपनी जान गवां देते हैं. लेकिन क्या आप जानते है कि, भारत देश में हर साल बाढ़ क्यों आती है.
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बारिश और बाढ़ से हाल बेहाल
बता दें कि, इन दिनों महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और हिमाचल में बारिश आफत बनकर बरस रही है. इन 5 राज्यों में बाढ़ से 8 लाख हेक्टेयर से ज्यादा इलाके में खरीफ की फसल तबाह हो गई हैं. फसलें तबाह हो गईं हैं और पुल-पुलिया बह गए हैं. वहीं सैकड़ों लोगों की मौत भी हो चुकी है. इसके साथ ही कई इलाके तो ऐसे है जहां लोग अभी भी खौफ में जीने को मजबूर है. आइए आपको हम बताते है कि, भारत में हर साल बाढ़ आने का मुख्य कारण क्या है?
क्या कहता है ज्योलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया ?
भारत तीन ओर से समुद्र, अरब सागर, हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा है. भारत के ज्योलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया का कहना है कि, भारत के तीनों ओर से समुद्र से घिरे होने के कारण बाढ़ की विभीषिका को लेकर भारत ज्यादा संवेदनशील है. इसिलिए समूचे देश में ऐसे कई इलाके हैं, जो कि हर साल बाढ़ का सामना करते हैं. दरअसल, समुद्र में बनने वाले मौसमी सिस्टम की वजह से पूरे भारत में बारिश होती है. इस दौरान समुद्री क्षेत्र में कई दवाब क्षेत्र भी बनते हैं जिसके कारण सामान्य बारिश भी भारी बारिश में बदल जाती है. वहीं, कई बार एक ही दिन में औसतन बारिश के मुकाबले कई गुणा ज्यादा बारिश हो जाती है, जिसकी वजह से नदी-नालों में जलस्तर बढ़ जाता है और उनका पानी ओवर फ्लो होने से बाढ़ आ जाती है.
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इतने इलाकों को करना पड़ रहा बाढ़ का सामना
वर्तमान में देश में बाढ़ का सामना करने वाले कुल इलाकों की संख्या 12.5 प्रतिशत है. बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, केरल, असम, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बाढ़ का असर ज्यादा होता है. वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में बाढ़ से होने वाली कुल मौतों में से 20 फीसदी अकेले भारत में होती हैं.
बाढ़ के प्रमुख कारण मौसम संबंधी तत्त्व
मॉनसून के सीजन में तीन से चार महीने तक देश में भारी बारिश होती है. इसके कारण नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है, जो बाढ़ का कारण बनता है. एक दिन में 15 सेंटीमीटर या उससे अधिक बारिश होने पर नदियों में पानी तेजी से बढ़ता है और ये बाढ़ का रूप ले लेता है.
बादल का फटना
पहाड़ी इलाकों में जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इस वर्ष भी बादल के फटने से भारी नुकसान हुआ है. साथ ही कई लोगों की जान भी गई है. दरअसल, पहाड़ी इलाकों में बादल के फटने और भारी बारिश से पहाड़ी नदियों के जलस्तर बढ़ जाता है और वो उफान पर आ जाती हैं, जिसके बाद उनका पानी नदी के तट को पार कर जाता है और तेजी से नीचे की ओर बहता है. इस दौरान रास्ते में आने वाले घर तबाह हो जाते हैं.
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गाद
पहाड़ी इलाकों में बहने वाली नदियां अपने साथ गाद, रेत और मलबा लेकर आती हैं. इसके बाद लंबे समय तक इनकी सफाई न होने के कारण नदियों का रास्ता रुक जाता है और पानी का स्तर बढ़ने पर ये आस-पास के इलाकों में फैल जाता है जो बाढ़ का रूप ले लेता है.
तटबंध और जंगल की कटाई
शहरों के विकास, सड़क और रेल मार्ग, लोगों को पानी की आपूर्ति और बिजली बनाने समेत कई कारणों ने नदियों पर बांध बनाए जाते हैं. इसके कारण नदियों की प्रवाह गति कम हो जाती है, जो कि बाढ़ का बड़ा कारण बनती है. इसके अलावा पेड़ों की कटाई भी बारिश के पानी के लिए रुकावट पैदा करती है, जिसकी वजह से बाढ़ के हालात उत्पन्न होते हैं. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट कहती है कि भारत में पिछले 64 सालों में 1,07,487 लोगों की मौत बाढ़ या उससे हुए हादसों में हुई है. यही नहीं साल 1953 से 2017 के बीच बाढ़ से देश को 3.65 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जो जीडीपी का 3 फीसदी बताया जाता है.
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इन राज्यों में बाढ़ आने की ये है वजह ?
बिहार
बिहार के उत्तरी हिस्से में लगभग हर वर्ष बाढ़ आती है. इसकी मुख्य वजह नेपाल से आने वाली नदियां हैं. नेपाल में भारी बारिश के बाद वहां का पानी बिहार आ जाता है. कोसी, सीमांचल सहित मुजफ्फरपुर, शिवहर, पूर्वी चंपारण बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र का एक इलाका जहां सूखा से प्रभावित है, वहीं दूसरी ओर राजधानी मुंबई में हर साल बारिश के मौसम में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसके पीछे की मुख्य वजह जलनिकासी के रास्तों का साफ नहीं होना माना गया है. लोग खुले में कचरा फेंक देते हैं, जो जलनिकासी के रास्ते को अवरूद्ध कर देता है और बाढ़ का कारण बनता है. समुद्री जलस्तर में इजाफा भी बाढ़ का एक कारण है.
असम
असम में बाढ़ की मुख्य वजह मानसून की बारिश के कारण नदियों में पानी का बढ़ जाना है. ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में जलस्तर अचानक बढ़ जाने से ऐसे हालात बनते हैं. धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ, नलबाड़ी, चिरांग, गोलाघाट, माजुली, जोरहाट, डिब्रूगढ़, नगांव, मोरीगांव, कोकराझार, बोंगाईगांव, बक्सा, सोनितपुर, दर्रांग और बारपेटा जिले इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
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त्रिपुरा-मिजोरम
त्रिपुरा और मिजोरम के निचले इलाकों और गांवों में बारिश के कारण आने वाली बाढ़ से लगभग हर साल हजारों लोग प्रभावित होते हैं. ख्वाथलंगतुईपुई नदी और इसकी सहायक नदियों की वजह से कई लोगों का आशियाना छिन जाता है. राज्य के कई इलाकों का देश के बाकी हिस्से से रेल मार्ग से संपर्क टूट जाता है.
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश से कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है और कई गांव जलमग्न हो जाते हैं. गंगा और उसकी कई सहायक नदियों सहित सरयू, गोमती, घाघरा के किनारे बसे क्षेत्र ज्यादा प्रभावित होते हैं.
जम्मू और कश्मीर
जम्मू और कश्मीर राज्य में 2014 में भयानक बाढ़ आई थी. उस बाढ़ में दो सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. भारी पैमाने पर भूस्खलन हुआ था. सैकड़ों गांव प्रभावित हुए थे. लोगों की मदद के लिए सेना को उतारा गया था. राज्य में बाढ़ की मुख्य वजह भारी बारिश, बादल का फटना, नदियों व तालाबों का अतिक्रमण, भूस्खलन और जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लेशियर पर हो रहा असर है.
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