वाराणसी। कोरोना की दूसरी लहर में पैदा हुई नई समस्या ब्लैक फंगस यानी मयूकरमाइकोसिस का प्रकोप अब वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल पर दिखने लगा है. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ईएनटी विभाग में इस इंफेक्शन से पीड़ित 52 वर्षीय महिला की सर्जरी की गई. 6 घंटे तक चली इस सर्जरी में महिला का आधा चेहरा निकाल कर उसे बचाया गया.
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आधा चेहरा निकालकर बचाई गई महिला की जान
यह पहला मामला है, जब किसी मरीज का आधा चेहरा डॉक्टरों को निकालना पड़ा हो. इससे पहले बीएचयू में तीन और मरीजों को भी ब्लैक फंगस की शिकायत मिली थी. लेकिन उन्हें सिर्फ नाक के ऑपरेशन के जरिए ही बचाया जा सका. यह पहला मामला है जब जबड़े समेत आधे चेहरे को निकालकर महिला की जान बचाई गई.
ब्लैक फंगस के चारों मरीज बीएचयू के आईसीयू में एडमिट
अब चारों मरीज बीएचयू के आईसीयू में एडमिट हैं. और उनको एंटीफंगल ड्रग्स दी जा रही है. इस सफल ऑपरेशन को ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुशील कुमार अग्रवाल ने अपनी टीम डॉक्टर शिलकी, डॉक्टर रामराज, डॉक्टर अक्षत, डाक्टर अर्पित के साथ अंजाम दिया. अब महिला को नली लगाई गई है, जिसके जरिए उसे दवा दी जा रही है और सांस लेने के लिए गले में ट्यूब डाली गई है.
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महिला के चेहरे में कई दिनों से सूजन थी
बताया जा रहा है कि, महिला क़ोविड से रिकवर कर गयी थी लेकिन कई दिनों से चेहरे में सूजन की शिकायत की जिसके बाद परिजनों ने बीएचयू में महिला को दिखाया. पीड़ित महिला को डायबिटीज, थायराइड, हार्ट समेत कई दूसरी समस्याएं भी थीं. ऑपरेशन के दौरान सभी डॉक्टर पीपीई किट में थे.
लगातार मिल रही ब्लैक फंगस की शिकायतें
एसोसिएट प्रोफ़ेसर डाक्टर सुशील कुमार अग्रवाल ने बताया कि, पहली बार किसी मरीज में आधा चेहरा निकालकर सर्जरी की गई. उन्होंने बताया कि, अब तक उन्हें ब्लैक फंगस से जुड़ी हुई 15 से 20 शिकायतें मिली हैं, जिसमें तीन का पहले ऑपरेशन किया गया और अब चौथे मरीज के तौर पर इस महिला का ऑपरेशन किया गया.
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कोरोना से भी खतरनाक है ब्लैक फंगस
डॉ सुशील कुमार अग्रवाल ने उम्मीद जताई है कि, छह महीने बाद अगर संक्रमण पूरी तरीके से खत्म होगा तब महिला के सिलिकान का आर्टिफिसियल चेहरा, जबड़ा के साथ पत्थर की आंख लगायी जा सकती है. उन्होंने बताया कि, अगर फ़ौरन ऑपरेशन नहीं किया जाता तो संक्रमण दिमाग में जा सकता था और जिंदगी के लिए खतरा पैदा हो जाता.
दूसरी लहर में प्रतिरोधक क्षमता हो रही कम
डॉ अग्रवाल ने बताया कि, दूसरी लहर में वायरस बहुत तेजी से प्रतिरोधक क्षमता को कम कर रहा है. अब तक बनारस समेत पूर्वांचल से करीब 25 फंगल इंफेक्शन के मरीज आ चुके हैं जबकि यूपी में यह आंकड़ा 100 के क़रीब पहुंच गया है.
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