द लीडर। विकास और अच्छे दिनों को नजदीक से देखना और समझना है तो चले जाइए चमोली के थराली विकास खंड के दूरस्थ क्षेत्र सोल पट्टी में। इस क्षेत्र में ग्राम पंचायत रुईसाण और ग्राम पंचायत बूंगा के बीच में एक गांव गुपटारा तोक है। और इस गुपटारा तोक में कुपवाड़ा में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान अदम्य साहस और वीरता के लिए शौर्य चक्र विजेता सुरेन्द्र सिंह फर्स्वाण का घर है। गौर फरमाने की बात है कि, इससे बड़ा दूर्भाग्यपूर्ण अनदेखी क्या हो सकती है कि, सेना में आज भी सुबेदार के पद पर कार्यरत शौर्य चक्र विजेता का गांव सुख सुविधाओं और आवागमन की सुगमता के लिए वंचित है।
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बरसात के मौसम में बह जाता है लकड़ी का पुल
ग्राम पंचायत रुईसाण के विभिन्न तोकों सहित बूंगा, गेरूड़, रतगांव, डुंग्री आदि गांवों के लोग आज विकास के जुमलों के युग में जंगल के बीच खराब रास्तों से होते हुए दोनों इलाकों को जोड़ने वाले गधेरे में ग्रामीणों द्वारा बनाए गए लकड़ी के चार डंडों वाले काम चलाऊ पुल से आवागमन करने को विवश हैं। यहां के कुन्दन सिंह रावत,मोहनसिंह सोलवासी, क्षेत्र पंचायत सदस्य दिगंबर देवराडी, प्रधान प्रतिनिधि दिगपाल सिंह राणा आदि बताते हैं कि, बरसात के दिनों में यहां के लोगों को गधेरे को आर-पार कर आवागमन करना एवरेस्ट फतह करने से कमतर नहीं होता है। बता दे कि, बरसात के मौसम में लकड़ी का पुल बह जाता है और तब दोनों तरफ के लोग एक दूसरे से अलग थलग पड़ जाते हैं।
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ग्रामीणों ने बताया कि, पांच-छ साल पहले इस जगह पर बना पुल भारी बाढ़ की भेंट चढ़ कर बह गया था तबसे लगातार बहुत बार शासन प्रशासन को इस स्थान पर एक अदद स्थाई पुल के निर्माण की गुहार लगाई गई परंतु कभी किसी ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। ग्रामीण आक्रोश जताकर कहते हैं कि, अब विधानसभा चुनाव नजदीक है तो तमाम सत्ता और विपक्षी नेता गण क्षेत्र में आकर बहुतेरे जुमलों को जनता के बीच रखेंगे परंतु चुनाव संपन्न होने के बाद कोई कभी अपनी शक्ल दिखाने उनके क्षेत्र में नहीं आते हैं। जिस कारण यहां विकास के कार्य नहीं हो पाते हैं।
मांग पूरी न होने पर चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी
दरअसल, यहां के लोगों की तमाम परेशानियों को शायद शासन प्रशासन स्तर पर कभी सुलझाने की कोशिश नहीं की गई है। लोगों से बातचीत करने पर मालूम हुआ कि, यहां के लोगों की फरियादों पर शासन प्रशासन के नुमाइंदे कभी गंभीरता से स्थलीय निरीक्षण भी नहीं करते हैं जिस कारण उनकी मूलभूत जरूरतों का समाधान नहीं हो पाता है। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन को चेतावनी दी है कि, अगर जल्द ही उनके पुल की मांग पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो वे आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने के लिए भी बाध्य होंगे।
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