द लीडर : राजनीति के आदर्श बदल गए हैं. नैतिकता, शिष्टाचार और जनसरोकारों का संकट तो है ही. भाषाई गिरावट का जैसे कोई कॉप्टीशन चल रहा है. कौन, कितना गिरकर और ज़हरीली ज़ुबान चला सकता है. इस रेस में नए-नए मुखड़े सामने आ रहे हैं. इस वक़्त श्रीकांत त्यागी अपनी बदज़ुबानी को लेकर चर्चा में हैं. जिन्होंने नोएडा की हाउसिंग सोसायटी में महिला के साथ सार्वजनिक तौर पर हद दर्जे की घटिया बातें बोली हैं. धमकाने के साथ गाली-गलौज की. श्रीकांत त्यागी ख़ुद को भाजपा का नेता बताते हैं. हंगामा मचने पर बीजेपी ने त्यागी से पल्ला झाड़ लिया है. तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर, चार लोगों को हिरासत में लिया है. (BJP Leader Shrikant Tyagi Noida )
नोयडा के सेक्टर-93 बी में ओमेक्स ग्रांड हाउसिंग सोसायटी है. जहां लोगों ने श्रीकांत त्यागी की नेतागीरी कम दादागीरी देखी है. आरोप तो ये है कि श्रीकांत, सोसायटी के कॉमन एरिया पर अतिक्रमण करना चाहते हैं. उनका धमकी भरा लहजा उस वायरल वीडियो में देखा जा सकता है, जिसमें वो महिला के साथ अभद्रता कर रहे हैं.
सेंट्रल नोएडा के डीसीपी राजेश एस ने कहा है कि एक महिला के साथ अभद्रता मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा-354 के तहत श्रीकांत त्यागी के ख़िलाफ फेज़ 2 थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. जांच के आधार एक्शन लिया जाएगा.
श्रीकांत त्यागी के वीडियो पर समाजवादी पार्टी ने सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा है. ये कहते हुए कि, ” यूपी में सत्ता संरक्षित भाजपाई गुंडे अाए दिन बहन-बेटियों का अपमान कर रहे हैं. नोएडा के ओमेक्स सिटी में भाजपा नेता श्रीकांत त्यागी ने महिला को भद्दी गालियां दी हैं. ये शर्मनाक है. आरोपी को जल्द गिरफ़्तार किया जाए.” कांग्रेस नेता पंखुड़ी पाठक और आम आदमी पार्टभ् के स्थानीय नेता भूपेंद्र जादौन ने भी घटना पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कार्रवाई की मांग की है.
लेकिन क्या ये मामला किसी एक श्रीकांत त्यागी का है? जवाब है नहीं. इस घटना के दो संदर्भ हैं. पहला राजनीति और दूसरा महिला सुरक्षा-सम्मान. राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2020 की तुलना में साल 2021 में महिलाओं ने जो शिकायतें की हैं, उनमें 30 फीसदी का इजाफा हुआ है. 2020 में 23, 722 महिलाओं ने आयोग में विभिन्न शिकायतें दर्ज कराई थीं तो 2021 में इनकी संख्या 30,864 पहुंच गई है. इसमें क़रीब 11 हज़ार शिकायतें सम्मान से ज़िंदग़ी जीने से जुड़ी हैं.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)की 2019 की रिपोर्ट बताती है कि देश में हर रोज़ दुष्कर्म के 87 केस सामने आए हैं और पूरे साल में महिलाओं के ख़िलाफ अपराध की संख्या क़रीब 4.52 लाख रिकॉर्ड हुई है. इसमें वो मामले रिपोर्ट नहीं हैं, जो पुलिस-थानों में दर्ज ही नहीं हो पाते हैं. (BJP Leader Shrikant Tyagi Noida )
हाल ही में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर एक टिप्पणी ने देश की राजनीति में भूचला मचा दिया था. अधीर ने माफ़ी मांगी और अपनी सफ़ाई में कहा कि बंगाली पृष्ठभूमि के नाते वह स्पष्ट रूह से हिंदी का वाचन नहीं कर पाते हैं. जो भी हुआ वो चूक थी, राष्ट्रपति के अ-सम्मान का इरादा नहीं था.
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सत्तारूढ़ भाजपा ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया. ठीक वैसे, जैसे आज़म ख़ान द्वारा संसद में स्पीकर चेयर पर बैठीं रमा देवी पर टिप्पणी से हल्ला मचा था. मचना भी चाहिए. महिलाओं के सम्मान से जुड़ी हर घटना पर राजनीतिक दलों को वैसी ही मुखरता के साथ विरोध करना चाहिए. लेकिन ये सिसायत और समाज का दुर्भाग्य ही है कि देश की आम महिलाओं के सम्मान के मामलों में सियासत का वैसा आचरण नहीं दिखता है.
श्रीकांत त्यागी ने अपनी ट्वीटर बायो में ख़ुद को भाजपा किसान मोर्चा नैशनल एग्जीक्यूटिव मेंबर बता रखा है. प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ की तस्वीरें लगा रखी हैं. भाजपा के दूसरे चोटी के नेताओं के साथ भी उनकी फोटोज़ हैं.
इस मामले में भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि श्रीकांत के पार्टी से जुड़ा को सिरे से खारिज़ किया है. विपक्ष इस मामले पर आक्रामक है और भाजपा के आचरण पर तीख़े सवाल खड़े कर रहा है. (BJP Leader Shrikant Tyagi Noida )
अब बात करते हैं राजनीतिक उसूलों की. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजयेपी तक, सदन की कार्यवाही हो या आम सभाएं. हर जगह भाषा की मर्यादा और शिष्टाचार की चमक देखने को मिलेगी. लेकिन हाल के वर्षों में हालात काफ़ी बदतर हुए हैं. इसके लिए कोई एक दल ज़िम्मेदार नहीं है. बल्कि अलग-अलग पार्टी के नेताओं की बदज़ुबानी सामने आ जाती है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR)की पिछले साल 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 363 सांसद और विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. अगर उन पर दोष साबित होता है तो जन प्रतिनिधि क़ानून के तहत उन्हें सदन से अयोग्य क़रार दे दिया जाएगा. यानी वे सांसद या विधायक पद से बर्ख़ास्त कर दिए जाएंगे.
चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्थान एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच ने साल 2019 से 2021 के बीच लोकसभा के 542 सांसद और 1953 विधायकों के हलफ़नामों का विश्लेषण किया है. इसमें 67 सांसद हैं और 296 विधायक, जो आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं.
ख़ुद को नेता बताने वाले श्रीकांत त्यागी की गुंडई से समाज कितना विचलित होगा? आपराधिक रिकॉर्ड वाले नेताओं के सदन पहुंचने के आंकड़ों से इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. बहरहाल, श्रीकांत त्यागी के मामले में पार्टी के पल्ला झाड़ने के बाद पुलिस एक्टिव हो गई है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले में सख़्त कार्रवाई की बात कही है. श्रीकांत त्यागी अभी फ़रार है और मामले पर हंगामा जारी है. ये मामला नोएडा की ओमेक्स ग्रांड सिटी तक सीमित नहीं रहा है. (BJP Leader Shrikant Tyagi Noida )