राकेश टिकैत पर बरसे भानु प्रताप, कहा- बिना ठगे नहीं करते काम, आंदोलन में मिला रहा बादाम, पिस्ता और शराब

द लीडर हिंदी। तीन कृषि कानूनों को संसद में पारित होने के बाद किसान आंदोलन को एक साल पूरे हो गए हैं. ये आंदोलन कई राज्यों में फैल चुका है. बता दें कि, पंजाब से शुरू हुआ किसानों का आंदोलन दिल्ली और देश के दूसरे राज्यों तक फैल गया है. वहीं कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत पर दूसरे किसान नेता भानु प्रताप सिंह ने फिर हमला बोला है. भानु प्रताप सिंह ने राकेश टिकैत को ठग बताया है.


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राकेश टिकैत बिना ठगे कोई काम नहीं करते

भानु प्रताप ने कहा कि, राकेश टिकैत बिना ठगे कोई काम नहीं करते हैं. भानु प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि, किसान आंदोलन कांग्रेस सरकार की फंडिंग से चल रहा है. बता दें कि, केंद्र द्वारा तीन लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. राकेश टिकैत समेत दूसरे किसान संगठन कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा किसी और भी फैसले पर राजी नहीं हैं.

भानु प्रताप टिकैत पर लगा चुके हैं कई आरोप 

बता दें कि 26 जनवरी से पहले किसान आंदोलन में भानु प्रताप सिंह और उसका संगठन भी शामिल था. लेकिन गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद भानु प्रताप सिंह इस आंदोलन से अलग हो गए. इसके बाद भानु प्रताप सिंह राकेश टिकैत पर कई आरोप लगा चुके हैं. भानु प्रताप सिंह ने कहा है कि उन्हें आंदोलन स्थगित कर देना चाहिए. शनिवार को भानु प्रताप सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत बिना ठगे कोई काम नहीं करते हैं. किसान आंदोलन कांग्रेस की फंडिंग से चल रहा है.


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भानु प्रताप सिंह ने कहा कि, वहां काजू, बादाम, पिस्ता, किशमिश और शराब की बोतल मिल रही है. असली किसान आंदोलन में नहीं है, वहां केवल शराब पीने वाले और नोट लेने वाले लोग हैं. बता दें कि 26 नवंबर 2021 को किसान आंदोलन के एक वर्ष पूरा होने वाला है. नरेंद्र मोदी सरकार 17 सितंबर 2020 को अध्यादेश पारित कर नए कृषि कानून लाई थी.

क्या हैं तीन कानून, जिसका हो रहा विरोध ?

1- किसान आंदोलन का पहला कानून, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं.

2- मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020. देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी.

3- आवश्यक वस्तु संशोधन बिल आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्‍पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है.


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कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा- टिकैत

बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर तीन नए कृषि कानूनों को लागू किए एक साल भी पूरा हो गया है. इसपर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा था कि, आंदोलन को चाहे 10 साल हो जाएं, कृषि कानूनों की वापसी तक वे लोग यहां से नहीं जाएंगे.

indra yadav

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