द लीडर। अगले महीने दिवाली का त्योहार नजदीक आ रहा है। ऐसे में नकली सामानों से सावधान रहने की आपको जरूरत है। बता दें कि, दीपावली के नजदीक होने के चलते इन दिनों बाजारों में मिठाइयों के साथ ही अन्य खाद्य सामग्रियों की भी सामान्य दिनों के मुकाबले अधिक मांग है। ऐसे में इनके मिलावटी होने की आशंका बनी रहती है। तेल, घी, मिर्च-मसालों तक में भी विभिन्न घटिया समकक्ष सामग्री या स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक रासायनिक पदार्थ तक मिलाए जाते हैं। अधिकतर उपभोक्ता बिना जांचे-परखे इनकी खरीद करते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों को खाने से जानलेवा बीमारियों तक का अंदेशा रहता है। उपभोक्ता अगर जरा सी भी सावधानी रखे तो इनसे बच सकता है।
बेसन में बड़े पैमाने पर की जाती है मिलावट
त्योहार के सीजन में बाजार में मिलावटी चीजें बिकने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. मिलावटखोर इतनी बारीकी से अपना काम दिखाते हैं कि, बाजार में ग्राहकों के लिए असली-नकली चीजों के बीच फर्क समझना मुश्किल हो जाता है. त्योहारों पर बेसन की भी जमकर खरीदारी होती है जिसका इस्तेमाल कई खास तरह के पकवान बनाने में किया जाता है. क्या आप जानते हैं बाजार में बिकने वाले बेसन में भी बड़े पैमाने पर मिलावट की जाती है.
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फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने मिलावटी बेसन को पहचानने की एक तरकीब अपने ट्विटर हैंडल पर साझा की है. FSSAI के मुताबिक, मिलावटखोर ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए बेसन में खेसारी दाल से बने आटे की मिलावट करते हैं जिससे बेसन पहले जैसा शुद्ध नहीं रह पाता और उसमें मौजूद न्यट्रिएंट्स पर्याप्त मात्रा में शरीर को नहीं मिल पाते हैं. लेकिन एक आसान सी ट्रिक मिलावटखोरों की इस जालसाजी से ग्राहकों को बचा सकती है. इसके लिए सबसे पहले एक टेस्ट ट्यूब में एक ग्राम बेसन लें. इसके बाद टेस्ट ट्यूब में 3 मिलीलीटर पानी डालें. अब तैयार सॉल्यूशन में 2 एमएल कॉन्सेनट्रेटेड एचसीअल मिलाएं. इसके बाद टेस्ट ट्यूब को अच्छी तरह से हिलाएं और सॉल्यूशन को पूरी तरह मिल जाने दें.
Detecting Besan adulteration with Khesari dal flour.#DetectingFoodAdulterants_12#AzadiKaAmritMahotsav@jagograhakjago @mygovindia @MIB_India @PIB_India @MoHFW_INDIA pic.twitter.com/JOvLhBDqfR
— FSSAI (@fssaiindia) October 27, 2021
टेस्ट ट्यूब में मौजूद बेसन अगर शुद्ध हुआ तो सॉल्यूशन अपना रंग नहीं बदलेगा. यदि सॉल्यूशन के सरफेस पर पिंक यानी गुलाबी रंग दिखाई देने लगे तो समझ जाइए कि बेसन में मिलावट की गई है. दरअसल ऐसा मेटानिल येलो रंग पर एचसीएल के रिएक्शन की वजह से होता है. दोनों के कॉम्बिनेशन से ही सॉल्यूशन की सतह पर गुलाबी रंग दिखाई देने लगता है.
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खरीदारी के समय ये रखें सावधानी
विश्वसनीय दुकान से ही सामान खरीदें- त्योहारी सीजन में मिलावट की अधिक आशंका रहती है। ऐसे में विश्वसनीय दुकानदार से ही खाद्य सामग्री खरीदें। इससे रिस्क थोड़ी कम हो जाती है।
बिल जरूरी- किसी भी दुकान से सामग्री खरीदें तो बिल जरूर लें। बिल मिलावटखोरों पर कार्रवाई करने का आधार बनेगा। वस्तु भी अच्छी मिल सकती है।
पहचान जरूरी: सामान खरीदने से पहले असली-नकली की पहचान जरूर कर लें। कई बार ब्रांडेड वस्तुओं के नाम से नकली चीजें बिकती हैं। ब्राडेंड वस्तुओं की पहचान जरूरी है।
ऐसे बढ़ाई जाती है दूध की मात्रा
सबसे ज्यादा मिलावट दूध से बने प्रॉडक्ट में की जाती है। इसमें स्टेप टू स्टेप मिलावट की जाती है, जो शुद्धता को 100 प्रतिशत अशुद्ध कर देती है। सबसे पहले व्यापारी दूधे में से मशीन से पूरा फैट (वसा) निकालते हैं। उसको यथास्थिति में लाने के लिए विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया के तहत पाम का तेल या फिर रिफाइंड तेल की कुछ मात्र लेते हैं, उसमें वॉशिंग पाउडर, ईजी या फिर खेतों में डाला जाने वाले यूरिया मिलाते हैं। आपस में मिलाने के लिए 30 मिनट से लेकर 50 मिनट तक मथा जाता है। इस प्रक्रिया से विशेष प्रकार का लेप तैयार होता है। अगर इस लेप, जिसकी मात्र 5 लीटर रहती है, को 200 लीटर दूध में मिलाया जाता है, तो वह फैट की मात्र को 90 से 95 तक कर देता है। इस दूध से तैयार मावा ठीक वैसा ही रहता है, जैसा शुद्ध दूध का रहता है। इतना ही नहीं इसमें उबला हुआ आलू, रवा या फिर सफेद लकड़ी की बुरादा मिलाते हैं।
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पनीर में करते हैं मिलावट
त्योहारी सीजन में लोग पनीर की सब्जी को प्रमुखता से लेते हैं। जानकारी के अनुसार जिस दूध से पनीर तैयार किया जाता है, उसकी मात्र और फैट बढ़ाने के लिए भी मिलावट की जाती है। इसके लिए वे यूरिया, बेकिंग पाउडर या टिनोपाल (सफेदी लाने के लिए) और रिफाइंड को आपस में मथकर लेप तैयार करते हैं।
मिलावटी दौर में सोया प्रॉडक्ट बन सकता है बेहतर ऑप्शन
मिलावटी दौर में सोया प्रॉडक्ट बेहतर ऑप्शन के रूप में सामने आ सकता है। इनमें सोया पनीर, दही, दूध और श्रीखंड शामिल हैं। जानकारों के अनुसार सोया प्रॉडक्ट में 98 प्रतिशत प्रोटीन रहता है। सोया प्रॉडक्ट तैयार करने के लिए विशेष प्रकार के सफेद रंग के सोयाबीन की आवश्यकता पड़ती है, जो सिर्फ मप्र उज्जैन क्षेत्र में उपलब्ध होता है। सोया प्रॉडक्ट तैयार करने वाले गौरव तोमर ने बताया कि पनीर, दूध या श्रीखंड तैयार करने के लिए पहले सोयाबीन को उबालते हैं फिर पानी में मिलाकर पीसते हैं और नीबू मिलाकर फाड़ देते हैं। इस प्रक्रिया से पनीर तैयार किया जाता है। दूध बनाने के लिए नीबू नहीं मिलाया जाता, दही बनाने के लिए पिसे हुए सोयाबीन में नॉर्मल दूध मिला दिया जाता है, वहीं श्रीखंड बनाने के लिए फटे हुए दूध को मशीन में डाला जाता है।
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