Bareilly : गौस-ए-आजम के जुलूस में नहीं बजेगा डीजे, लड़कियां-औरतों के शामिल होने पर भी पाबंदी

द लीडर : गौस-ए-आजम, अब्दुल कादिर जिलानी के जुलूस में इस बार बरेली में डीजे बिल्कुल नहीं बजेगा. दरगाह आला हजरत से इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है. 17 नवंबर को बरेली में जुलूस-ए-गौसिया निकलेगा. इसकी कयादत दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा-अहसन मियां करेंगे. खास बात ये है कि, जुलूस में लड़कियों और औरतों के शामिल होने पर भी पाबंदी लगाई गई है. जिस पर सख्ती से अमल किए जाने की अपील की है. (Gaus E Azam Juloos)

जुलूस-ए-गौसिया कमेंटी के अध्यक्ष हाजी शरीफ नूरी ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि, शरीयत के दायरे में रहकर जुलूस में अदब के साथ शामिल हों. हमें कोई ऐसा काम नहीं करना है, जो शरीयत के खिलाफ है. मसलन, डीजे बजाना. हुड़दंग काटना.

हर शख्स को ये ख्याल रखना जरूरी है कि, ये गौस-ए-आजम का जुलूस है. हमें अदब, मुहब्बत का पैगाम देना है. गौस-ए-आजम की सादगी को अपनी जिंदगी में उतारना है. उनकी शिक्षाओं का पालन करना है. (Gaus E Azam Juloos)


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हाजी शरीफ नूरी ने समाज से अपील करते हुए कहा है कि, औरतों और लड़कियों को जुलूस का हिस्सा हरगिज न बनाएं. सभी अंजुमनें अदब के साथ जुलूस का हिस्सा बनें. 17 नवंबर को पुराना शहर के सैलानी स्थित रजा चौक से ये जुलूस निकलेगा. जिसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. (Gaus E Azam Juloos)

जुलूस अपने तय पुराने रास्तों से होकर मुन्ना खां का नीम बुखारपुरा, रोली टोला, जगतपुर हाफिज मियां की मजार से मुड़कर कांकर टोला चौकी के सामने से होता हुआ शाहदाना चौराहा, असम टी-कंपनी आजाद इंटर कॉलेज कैथ के पेड़ से होता हुआ वापस रजा चौक पर आकर समाप्त होगा.

जहां जुलूस में शामिल होने वाली अंजुमनों को सम्मानित किया जाएगा. जुलूस की निगरानी के लिए 100 वॉलिंटियर्स तैनात किए जाएंगे. जो जुलूस के दौरान व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी देखेंगे.

आपको बता दें कि जुलूस में डीजी पर प्रतिबंध को लेकर दरगाह आला हजरत से हर बार सख्त संदेश जारी होता है. चूंकि पहले यहां 11वीं और 12वीं शरीफ दोनों जुलूस डीजे शामिल किए जाने का रिवाज रहा है. पिछले कुछ सालों से इस पर रोक लगाने की मुहिम शुरू हुई है. और इसमें काफी हद तक कामयाबी भी मिल रही है. (Gaus E Azam Juloos)

 

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Ateeq Khan

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