धर्म संसद में मदरसे बंद करने की बात पर ओवैसी की देवबंद और बरेलवी मसलक से ये अपील

द लीडर : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी लीडरशिप तैयार करने का दम भर रहे हैदराबाद से सांसद असदुद्​दीन ओवैसी के बयान और भाषण मुस्लिम समुदाय के एक हिस्से को खूब रास आ रहे हैं. पश्चिमी यूपी में उनके डोर-टू-डोर कैंपेन में जिस तरह भीड़ टूट रही है. वो इस बात पर काफी हद तक मुहर भी लगाती है. अब ओवैसी ने यूपी ही नहीं बल्कि देश की दो सबसे बड़ी विचारधाराओं-देवबंद और बरेलवी मसलक से एक मंच पर आने की गुजारिश की है. (Asaduddin Owaisi Deoband Bareilvi)

ओवैसी ने प्रयागराज धर्म संसद का ज़िक्र करते हुए कहा कि वहां देवबंद और बरेलवी मसलक, दोनों के मदरसे बंद कराए जाने की बातें कही गई हैं. वहां कहा गया कि दारूल उलूम देवबंद और बरेलवी मदरसों को बंद कर दिया जाए. ओवैसी कहते हैं कि वो तो एक पैग़ाम दे रहे हैं कि देवबंदी हो या बरेलवी. उनकी नज़र में दोनों एक हैं. इसलिए वक़्त और हालात का तक़ाजा यही है कि आप लोग मज़हब-ओ-मसलक के झगड़ों से ऊपर उठकर एक हो जाएं.

दरअसल, इन दोनों मसलकों के बीच वैचारिक मतभेद हैं. लेकिन इस बार ओवैसी ने दोनों को साधने की कोशिश की है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM)ने जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के भतीजे उमैर मदनी को सहारनपुर की देवबंद सीट से प्रत्याशी बनाया है. (Asaduddin Owaisi Deoband Bareilvi)


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दूसरी तरफ दरगाह आला हज़रत के प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां के दामाद सय्यद आसिफ मियां को उत्तराखंड की खटीमा सीट से चुनाव में उतारा है. हालांकि आसिफ मियां के चुनाव लड़ने पर दरगाह प्रबंधन ने उन्हें दरगाह की ज़िम्मेदारियों से हटा दिया है. और चुनाव में दरगाह का नाम इस्तेमाल न करने की हिदायत दी है.

दुनियावी मुद्​दों पर इन दोनों मसलकों को एक मंच पर लाने की कोशिशें और अपीलें पहले भी होती रही हैं. इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौक़ीर रज़ा खां भी प्रयास कर चुके हैं. (Asaduddin Owaisi Deoband Bareilvi)

और देवबंद से भी बरेलवियों की कयादत में मुस्लिम समुदाय के दुनियावी मुद्​दों पर काम करने का पैगाम सामने आ चुका है. एक बयान में मौलाना महमूद मदनी ने कहा था बरेलवी हमारे अपने हैं. अगर वह चाहें तो हम उनकी कयादत में दुनियावी मुद्​दों पर काम करने को तैयार हैं. अब ओवैसी ने वही ज़रूरत दोहराई है.

इसका दोनों मज़हबी केंद्रों पर कितना असर होगा. ये अलग बात है. लेकिन मुस्लिम समुदाय के आम लोग भी मतभेदों से ऊपर एक साथ आने की ज़रूरत जता रहे हैं. इस तर्क के साथ कि अपने-अपने मसलक पर रहकर क़ौम के हक़ में एक साथ काम किया जा सकता है. (Asaduddin Owaisi Deoband Bareilvi)


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Ateeq Khan

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