एक बच्चे की ख्वाहिश में 28 देशों के सैकड़ों यतीम बच्चों को गोद लेकर परवरिश करने लग गए अली दंपत्ति

खुर्शीद अहमद


अली अल गामदी सऊदी नागरिक हैं. एक गरीब परिवार में पैदा हुए. होनहार थे. मेहनत से अच्छी शिक्षा पाई. और एक एविएशन एकेडमी में पायलटों को ट्रेनिंग देने के काम में लग गए. शानदार नौकरी. मोटी तनख्वाह. शादी की और अच्छी जिंदगी गुजरने लगे. (Ali Couple Hundreds Orphaned Children 28 Countries )

लेकिन शादी के कई वर्ष बीत गए. कोई औलाद नहीं हुई. मियां बीवी परेशान थे. काफी इलाज के बाद फैसला किया कि अब किसी बच्चे को गोद ले लेते हैं. ये भी तय किया कि बच्चा सऊदी के बजाय किसी दूसरे मुल्क का गोद लेंगे.

इसी जुस्तजू में दोनों मियां बीवी ने फिलिपींस का सफर किया. कई बच्चों को देखा. लेकिन यहां आ कर अचंभे में पड़ गए. वह एक बच्चे को गोद लेना चाहते थे. जबकि यहां दर्जनों ऐसे बच्चे थे, जिन्हें सहारे की जरूरत थी. वे सब यतीम थे. या मां-बाप में से किसी एक का देहांत हो चुका था.


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बच्चों की हालत देखकर काफी पेरशान हुए. और फिर फैसला किया कि एक बच्चे को गोद लेने के बजाए एक यतीमखाना यानी अनाथालय खोला जाए. जिसमें ज्यादा बच्चे रहें. उनकी परवरिश हो और अच्छी शिक्षा का प्रबंधन किया जाए.

इस तरह अली गामदी जो किसी एक बच्चे को गोद लेना चाहते थे उन्होंने दर्जनों बच्चों को गोद ले लिया. फिलिपींस, हांगकांग, मलेशिया, इथोपिया, इरतेरिया किनिया जैसे 28 देशों में दोनों मियां-बीवी ने कई यतीम खाने खोले. इससे पैसे की तंगी आ गई तो घर बेच दिया. बैंक से कर्ज लिया. एक किश्त जमा करने को बैंक से दूसरा गर्ज तक ले लिया. इस तरह अपने काम में लगे रहे. लोगों उनके काम को देखा तो मदद को हाथ भी बढ़ाने लगे.

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वह दोनों पिछले 17-18 वर्षों से इस काम में लगे हुए हैं. अभी तक करीब 7,000 बच्चों की परवरिश कर चुके हैं. फिलहाल 1200 यतीम बच्चों व 2000 परिवारों को गोद लिया हुआ है. कई स्कूलों के साथ चार कालेज चला रहे हैं.

अल्लाह का करम इसके बाद इन के यहां चार बच्चे पैदा हुए. दो बेटे व दो बेटियां. बड़े बच्चे का नाम फारिस है. वह भी अपने वालिद का हाथ बंटाते हैं.

वह कुवैती नागरिक डाक्टर अब्दुर्रहमान अल सुमैइत को अपना आदर्श मानते हैं, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में इंसानियत के लिए बड़ा काम किया है.

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हज़रत अली रज़िल्लाह अनहो को दुनिया अबुल ऐताम ( ابوالايتام ) कहती थी. क्योंकि वह यतीमों की देख भाल करते थे. यह अली भी अबुल ऐताम ( ابوالايتام ) के नाम से मशहूर हैं. शायद इसे हज़रत अली रज़िल्लाह अनहो के नाम का ही असर कहेंगे.

(खुर्शीद अहमद, मूलरूप से यूपी के हैं. सऊदी अरब की इमाम यूनिवर्सिटी से अरबी भाषा और साहित्य में परास्नातक किया. फिलहाल अभी कतर में कार्यरत हैं.)

Ateeq Khan

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