द लीडर : उत्तर प्रदेश के ज़िला बरेली और अंबेडकरनगर के किछोछा की दो बड़ी ख़ानक़ाहों के बुज़ुर्गों के बीच की दूरियां पाटने की कोशिश तौबा की शर्त पर अटक गई है. किछोछ से सैयद हाशमी मियां, नबीरे आला हज़रत मौलाना मन्नान रज़ा ख़ान-मन्नानी मियां के बुलावे पर आला हज़रत के 104वें उर्से रज़वी में बरेली तशरीफ़ लाए थे. लेकिन दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन मुफ़्ती असजद रज़ा क़ादरी-असजद मियां ने मंच से स्पष्ट कर दिया कि रज़वी और अशरफ़ी के बीच कोई विवाद या भेद है ही नहीं. दोनों सिलसिलों के बीच इत्तेहाद के नाम पर धोख़ा दिया जा रहा है. जबकि दोनों पहले से एक हैं. लेकिन जिन्होंने आला हज़रत ख़ानदान के बुज़ुर्गों के बारे में ग़लतबयानी की है, जब तक तौबा नहीं करेंगे, कोई इत्तेहाद नहीं हो सकता.
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