जिस सभ्यता ने सेक्स को आम कर दिया, वो खत्म होती गई-सारा खान को ये आर्टिकल पढ़ना चाहिए

“मुस्लिम समाज में आमतौर पर महिलाओं को बुर्का पहनना सिखाया जाता है, लेकिन मुस्लिम समुदाय कभी भी पुरुषों को अपनी आंखें बंद करने और न देखने के लिए नहीं कहता है। मैं अगर आधी नंगी हो जाऊं तो मुस्लिम समुदाय को अपनी आंखें ढंक लेनी चाहिए न कि उधर देखना चाहिए। हम वो नहीं हैं जो सिर्फ खुद को मुसलमान साबित करने के लिए बुर्का पहनेंगे, हम जो चाहें पहनेंगे, जब हम आधे नग्न दिखें तो आपको हमारी ओर नहीं देखना चाहिए।” (Actress Sara Khan Muslims)


ये अल्फाज एक्ट्रेस सारा खान के हैं. जिनका बाथटब में नहाने के दौरान एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. हालांकि आलोचना के बाद वो वीडियो डिलीट कर दिया गया. सारा का कंट्रोवर्सी से गहरा नाता है. भोपाल में जन्मीं 32 साल वर्षीय एक्ट्रेस विदाई सीरियल में नजर आईं थीं और बिग बॉस के सीजन-4 में शामिल रही हैं. उन्होंने मुस्लिम समाज में पर्देदारी को लेकर विवाद बयान दिया है. तारिक अनवर चंपारणी का ये आर्टिकल पढ़िए.


ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक Ethnologist तथा Anthropologist ‘जोसफ डेनियल अनविन’ थे. जिन्होंने 6 अलग-अलग सभ्यताओं और 80 अलग-अलग ट्राइब्स का अध्ययन किया. अपनी स्टडी के आधार पर कई किताबें लिखीं. उनकी जो किताब सबसे मशहूर हुई वो है”सेक्स एंड कल्चर”. डेनियल ने अपने रिसर्च में पाया कि वो सभी सभ्यतायें और ट्राइब्स ख़त्म हो गयीं, जिन्होंने अपने सेक्सुअल एथिक्स को ओपन कर दिया. यानी जिस भी सभ्यता या ट्राइब्स ने सेक्स को बहुत आम कर दिया था, उनको दूसरी सभ्यताओं ने रिप्लेस कर दिया. (Actress Sara Khan Muslims)

उन्होंने कहा कि ये सभी सभ्यतायें या समाज जब अपने अंत तक पहुंचे हैं तो उस समय, उस सभ्यता और समाज में स्वच्छंद यौन सम्बन्ध (Promiscuity) सामान्य बात हो चुकी थी. ये सभी सभ्यतायें और समाज अपने समय की सबसे आधुनिक सभ्यतायें और समाज कहलाती थीं. हम आज 21वीं सदी में खुद को सबसे आधुनिक और सभ्य समाज घोषित कर चुके हैं.

आज का आधुनिक समाज लेस्बियन और गे सेक्स को सामाजिक स्वीकृति दे रहा है. यूरोप में तो नास्तिकों का एक गिरोह, जिनमें सैमुअल बेंजामिन हैरिस प्रमुख है, इन्सेस्ट सेक्स (बाप-बेटी, भाई-बहन, मां-बेटे के बीच यौन-संबंध) को भी सामाजिक एवं वैधानिक स्वीकार्यता प्रदान करने की मांग कर रहा है. आधुनिक समाज प्री-मैरिटल सेक्स, एक्स्ट्रा मैरिटल और लिव-इन-रिलेशनशिप पर गर्व महसूस कर रहा है. (Actress Sara Khan Muslims)

ऐसे में मुझें जोसफ डेनियल अनविन की स्टडी से मुझें ऐसा महसूस हो रहा है कि ये आधुनिक सभ्यता भी अपने अंत की तरफ़ बढ़ रहा है. आज़ादी के नाम पर ये सभी काम धीरे-धीरे हमारी संस्कृति और समाज का हिस्सा बन रहे हैं. इसलिए हम इसके मानव सभ्यता और भविष्य में पड़ने वाले दूर्गामी परिणामों को महसूस नहीं कर पा रहे हैं.

सवाल ये है कि आज़ादी के नाम पर इन सभी कार्यों को नैतिक बल कहां से मिल रहा है? अगर गहराई में जायेंगे तब इन सभी के जड़ में ‘लिबरालिज्म’ ही नज़र आयेगा. एक अंग्रेज़ लिबरल थिंकर जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपनी किताब ऑन लिबर्टी में “हार्म प्रिंसिपल” के बारे में डिस्कशन किया था. उन्होंने कहा था की हर इंसान को आज़ादी है कि वह अपनी इच्छा के अनुसार जो करना चाहता है करे. जब तक कि वह किसी दूसरे शख्स को नुक़सान नहीं पहुंचाता है. जॉन स्टुअर्ट मिल ने ही उपयोगितावाद (Utilitarianism) का कॉन्सेप्ट दिया था. (Actress Sara Khan Muslims)


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जिसमें उन्होंने Happiness और Pain के बारे में चर्चा की. वह कहते हैं कि जिस काम (Action) को करने से व्यक्ति को ख़ुशी मिलती है. वह काम नैतिक (Ethical) है और जो काम नुक़सान की तरफ़ लेकर जाता है. वो अनैतिक (Unethical) है.

फ़्रीडम की बात करने वाले नैतिक व्याख्या जॉन स्टुअर्ट मिल से ही लेते हैं. हार्म प्रिंसिपल की सबसे बड़ी कमजोरी ये है कि पर्मानेंट हार्म या भविष्य के नुक़सान को महसूस नहीं कर सकता है. मसलन, चीन ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए ‘एक बच्चा’ की नीति को लागू किया. साधारणतया एक से अधिक बच्चा नहीं करने पर एक व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. (Actress Sara Khan Muslims)

मगर एक समस्या को ख़त्म करने के लिए कई दूसरी समस्याओं को जन्म दिया गया. एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में लगभग 400 मिलियन बर्थ यानी भ्रूण को, गर्भपात या पिल्स के जरिये, रोका गया. इसमे लगभग 40 मिलियन लड़कियों का गर्भपात कराया गया. इसका नुक़सान ये हुआ कि चीन में फर्टिलिटी रेट एवं लैंगिंक असमानता की समस्या बन आई.


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इतना ही नहीं मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ने लगी. इसने मानव तस्करी को बढ़ावा दिया. बाद में इस नीति में सुधार किया गया. ठीक यही मामला शराब के साथ है. यूरोप ने भविष्य के नुक़सान को महसूस किये बिना Individual Pleasure के आधार पर शराब को आम कर दिया. जब नुक़सान सामने आए तब यूरोप और अमेरिका के कई देशों ने दो दशक तक शराब पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की. लेकिन कामयाब नहीं हुए. क्योंकि लोगों को इसकी लत लग चुकी थी. इस मुद्दें पर भी डेटा और रिसर्च उपलब्ध है. (Actress Sara Khan Muslims)

जापान भी लगातार बूढ़ा होता जा रहा है। ऐसे हज़ारों उदाहरण हैं. यही वह बिंदु है जहां पर जाकर यह समझ आता है कि भविष्य के कुछ नुक़सान (Harm) ऐसे हैं जिनको एक साधारण इंसान महसूस नहीं कर सकता है. चलिये, आज एक व्यक्ति यह बोल सकता है कि उसके पास Research Methodology है जिसके जरिये वह आंकड़ो के आधार पर समस्याओं को पेश कर सकता है.

मगर रिसर्च प्रोसेस तभी लागू होता है. जब ब्रह्मण्ड में समस्या खड़ी हो जाती है. फिर ये समझने की जरूरत है कि आज से साढ़े चौदह सौ साल पहले इस्लाम या दूसरे धर्मों में ब्याज, शराब, अनैतिक यौन संबंध, गर्भपात इत्यादि को हराम क्यों घोषित किया गया? प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से क्यों रोका गया? (Actress Sara Khan Muslims)

(तारिक अनवर चंपारणी सोशल एक्टिविस्ट हैं. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से पढ़ाई की है. ये लेख उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से यहां साभार प्रकाशित है.)

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Ateeq Khan

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