द लीडर हिंदी : देश की महिलाओं में आए दिन कई तरह की बीमारियां पाई जाती है. खून में आयरन की कमी से थकान और कमजोरी जैसे लक्षण होते हैं. इसकी सबसे ज्यादा कमी महिलाओं में देखी जाती है. चिकित्सकों के मुताबिक, करीब 90 फीसदी युवा महिलाओं में आयरन की कमी पाई जा रही है. हालांकि, इस समस्या को अक्सर महिलाएं नजरअंदाज कर रही हैं. महिलाओं में ज्यादातर बीमारियां गर्भधारण के दौरान होती है. खून की कमी तो इनदिनों काफी नजर आती है. 50 से 60 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं आयरन की कमी से जूझ रही हैं.
इनमें हीमोग्लोबिन का स्तर कम होना, एनीमिया, सांस लेने में तकलीफ और त्वचा पर पीले धब्बे जैसे संबंधित लक्षण देखे जा रहे हैं. यह स्थिति न केवल माताओं के लिए बल्कि उनके अजन्मे बच्चों के लिए भी खतरा पैदा करती है. इससे समय से पहले प्रसव और वजन कम होने की संभावना बढ़ जाती है. इन जोखिमों को कम करने के लिए आयरन की कमी का शीघ्र पता लगाना और उपचार करना आवश्यक है. अगर इसी नजरअंदाज किया जाए तो ये काफी घातक बन सकती है.
गौरतलब है कि हीमोग्लोबिन के लिए आयरन बहुत जरूरी है. हीमोग्लोबिन फेफड़ों, ऊतकों, मस्तिष्क और मांसपेशियों सहित हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाता है. शरीर में अधिकांश आयरन लाल रक्त कोशिकाओं में होता है. आयरन की कमी होने पर एनीमिया हो जाता है, जिसके कारण त्वचा पीली, बेजान, चक्कर आने होने के साथ ही ठीक से सांस लेने की समस्या पैदा हो जाती है.
वही गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी का खतरा ज्यादा होता है. इसके लिए जरूरी है कि अपने खान-पीन आहार के जरिए पर्याप्त मात्रा में आयरन का सेवन करें.सूत्रोंं के हवाले से मिली जानकारी के मुताबीक पता चला है कि इस समस्या में कई कारक योगदान करते हैं, जिनमें खराब मासिक धर्म, पोषण की कमी और जंक फूड पर निर्भरता शामिल है.
इन परीक्षणों की नियमित निगरानी से भविष्य में आयरन की कमी से होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकता है.इसके साथ ही आहार में पालक और दाल जैसे आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करने से प्राकृतिक रूप से आयरन के स्तर को फिर से पूरा करने में मदद मिलती है.