सऊदी महिलाओं के अधिकार की आवाज बुलंद करने वाली लुजैन अल-हथलौल के 1000 दिनों से ज्यादा कैद के बाद गुरुवार को जेल से रिहा होने की उम्मीद है।
उनकी बहन आलिया अल-हथलौल ने ट्वीट कर बताया, लुजैन को एक जज के आदेश के अनुसार जेल से बाहर आने की उम्मीद थी, लेकिन निगरानी के साथ सऊदी अरब से बाहर की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
मंगलवार को आलिया ने ट्वीट किया, ” जेल से संभावित रिहाई होना है, यात्रा प्रतिबंध हटने और अपील प्रक्रिया का इंतजार कर रही हैं।”
Can I kindly ask that we don't use the word 'free' or 'freed' in noting Loujain's potential release as it is not freedom. It is a potential release from prison and she is still under probation, travel ban and awaiting news of the appeal process. Thank you all for your support ❤️
— Lina Alhathloul لينا الهذلول (@LinaAlhathloul) February 9, 2021
दिसंबर 2020 में एक सऊदी अदालत ने लुजैन अल-हथलौल को आतंकवाद से संबंधित आरोपों में पांच साल आठ महीने की जेल की सजा सुनाई और पांच साल के लिए देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि उन्हें अदालत ने बदलाव के लिए आंदोलन करने, विदेशी एजेंडे को आगे बढ़ाने और सार्वजनिक आदेश को नुकसान पहुंचाने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने जैसे आरोपों में दोषी पाया था।
बाद में अदालत ने उनकी सजा के दो साल और 10 महीने को कम कर दिया और मार्च में रिहा करने की तैयारी थी।
उनकी संभावित रिहाई अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के प्रशासन के कारण भी मानी जा रही है, जिसने मानवाधिकार मामले मजबूत से खड़े होने का रुख अपनाने की बात कही है।
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बिडेन ने कहा कि वह यमन में सऊदी के नेतृत्व वाले सैन्य अभियान में अमेरिका के समर्थन को रोक देगा। यह कहते हुए कि छह साल से ज्यादा समय से जारी युद्ध सऊदी अरब और ईरान के बीच एक आभासी संघर्ष है, इसे “समाप्त होना है”।
गौरतलब है, पिछले हफ्ते सऊदी अधिकारियों ने जमानत पर एक्टिविस्ट दो अमेरिकी नागरिकों को रिहा कर दिया और उनके मुकदमों को लंबित कर दिया।
एपिडेमियोलॉजिस्ट व पत्रकार बदर अल-इब्राहिम और मीडिया टिप्पणीकार सलाहा अल-हैदर, जिनकी मां अज़ीज़ा अल-यूसेफ़ एक प्रमुख महिला अधिकार प्रचारक हैं, गुरुवार को रिहा कर दिए गए।
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31 वर्षीय लुजैन अल-हथलौल क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) के नेतृत्व वाले शासन में असंतोष जाहिर करने के चलते एक दर्जन महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार हुईं और 2018 से हिरासत में हैं।
उनकी गिरफ्तारी महिला को कार चलाने की बंदिशों को हटाने से कुछ अरसे पहले की गई। इस मामले में लुजैन ने लंबे समय आंदोलन तक चलाया था।
अल-हथलौल के पिछले ढाई साल से कारावास में डालने को लेकर मानवाधिकार समूहों, अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों और यूरोपीय संघ के सांसदों ने सऊदी सरकार की आलोचना की है।
प्रो-गवर्नमेंट सऊदी मीडिया ने उन्हें “देशद्रोही” बताया। वहीं, परिवार ने हिरासत में लुजैन के यौन उत्पीड़न और यातना का आरोप लगाया। परिवार के सदस्यों के अनुसार, कुछ यातनाएं क्राउन प्रिंस के करीबी सहयोगी सऊद अल-कातानी की मौजूदगी में हुए हैं।
सऊदी अदालत ने हाल ही में इन आरोपों को खारिज कर दिया।
बहरहाल, मानवाधिकार संगठनों ने भी यातना को लेकर कागजात जुटाए हैं।
Today marks 1000 days that human rights defender @LoujainHathloul has spent in prison for advocating for women's rights in #SaudiArabia.
Sign this petition calling on the #Saudi authorities to #FreeLoujain immediately and unconditionally. https://t.co/43CxfiZDhs pic.twitter.com/TcZCIP263U
— ALQST for Human Rights (@ALQST_En) February 8, 2021
लंदन स्थित एनजीओ ALQST के अनुसार, सोमवार को लुजैन के कारावास के 1000 दिन हो चुके। महिला कार्यकर्ताओं की हिरासत ने मानवाधिकार रिकॉर्ड पर एक नए सिरे से रोशनी डाली है।
कहा है कि सऊदी अरब एक निरंकुश राजशाही है, जिसे अपने इस्तांबुल वाणिज्य दूतावास में पत्रकार जमाल खशोगी की 2018 में हत्या पर भी आलोचना का सामना करना पड़ा था।