विशाल अंतरिक्ष में क्या नासा का एलियंस से संपर्क हो चुका है? या फिर इसकी संभावना प्रबल हो गई है? नासा की गतिविधियों से ऐसा लग रहा है कि पृथ्वी के प्राणी मानव जल्द ही आसमान के प्राणियों से ‘नजर’ मिलाने जा रहे हैं। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को अभी 26 दिसंबर को लांच किया गया था। यह हबल स्पेस टेलीस्कोप के बाद एक ऐसा अंतरिक्ष टेलीस्कोप होगा, जो ब्रह्मांड के उन कोनों को भी देख सकेगा, जो इससे पहले देखना संभव नहीं थे। ऐसा हुआ तो शायद गहरे अंतरिक्ष में परग्रही अंतरिक्ष यान को उड़ते हुए पाएंगे। वक्त जल्द इस बात को सामने ला देगा। अलबत्ता, नासा ने जो तैयारी शुरू कर दी है, वह इस ओर इशारा कर रही है। (NASA Hiring Priests)
टेक्नोट्रेंड्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल स्पेस एंड एरोनॉटिक्स एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) 24 धर्मशास्त्रियों की मदद ले रहा है, जिससे दुनिया भर के विभिन्न धर्म एलियंस के संपर्क में कैसे आएंगे, यह निर्धारित किया जा सके। एक श्रद्धालु पहले से ही नासा के साथ काम कर रहा है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ब्रिटिश पुजारी और धर्मशास्त्री रेव डॉ एंड्रयू डेविसन के पास जैव रसायन की डिग्री है। अगले साल वह इस विषय पर अपनी पुस्तक का विमोचन कर रहे हैं। अपनी पुस्तक में वह ऐसे सवाल उठाने जा रहे हैं, जो पूछते हैं कि जीवन की खोज दुनियाभर के धार्मिक लोगों की मान्यताओं को कैसे प्रभावित करेगी। (NASA Hiring Priests)
परग्रही जीवन की खोज सदियों से मानव जाति के लिए आकर्षण का विषय रही है। जैसे-जैसे आधुनिक विज्ञान के उपकरण उन्नत होते गए, वैज्ञानिकों ने परग्रही जीवन की तलाश में अंतरिक्ष पर गहराई से निगाह डाली है।
हमारे सौर मंडल में ही कई रहस्यों से पर्दा उठने को है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा, बृहस्पति ग्रह के बर्फीले चंद्रमा की सतह के नीचे तरल महासागर हैं, जो जीवन पनपने का आधार मुहैया कराते हैं। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि शुक्र के बादलों में रोगाणु होते हैं। सूक्ष्य जीवों से जीवों का विकास हुआ है, यह अब तक की मान्य अवधारणा है।
अंतरिक्ष में किसी सुदूर सौरमंडल के किसी ग्रह पर भी जैव विकास अपने तरीके से हुआ हो सकता है, इस पर विमर्श भी लंबे समय से जारी है। हालांकि, अब तक कि खोज में यह दावा नहीं किया गया कि एलियंस से संपर्क हुआ है। वहीं अमेरिका में यूएफओ के खुफिया मिशन की चर्चा भी होती रही है। (NASA Hiring Priests)