गाजीपुर बॉर्डर पर तड़के क्यों गूंजे गगनभेदी नारे, हड़बड़ाकर जागी दिल्ली

0
267

उत्तरप्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर तड़के गगनभेदी नारों के साथ किसानों ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों की याद में प्रभातफेरी निकालकर दिल्लीवासियों को जगाया। उन्होंने अंग्रेजी राज और उसके जनरल डायर की तुलना आज के राजनैतिक माहौल और सरकार के रुख से की। प्रभातफेरी के बाद हुई सभा में तीन कृषि कानूनों को रद करने से लेकर संविधान बचाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।

14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती को धूमधाम से मनाने के लिए किसानों ने जमकर तैयारी की है। इससे पहले आज वैसाखी का त्योहार, खालसा पंथ स्थापना दिवस और जलियांवाला हत्याकांड की बरसी के आयोजन दिल्ली की सीमाओं पर जोश से मनाए जा रहे हैं।

आज दिनभर किसानों मजदूरों व सामाजिक न्याय के लिए लंबे समय से संघर्षशील खालसा पंथ पर सिंघु बॉर्डर पर खास कार्यक्रम होंगे। टिकरी बॉर्डर पर भी “कैलिफोर्निया पिंड” में वैशाखी के सांस्कृतिक, खेल व अन्य पारंपरिक कार्यक्रम होंगे।

यह भी पढ़ें: बहुजनों के हाथ में मोर्चे सौंपकर पैनी होगी किसान आंदोलन की धार, मई में संसद मार्च

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर के किसानों के धरनास्थलों पर 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के अवसर पर संविधान बचाओ दिवस और किसान बहुजन एकता दिवस मनाया जाएगा।

इस दिन देशभर के दलितों आदिवासियों व बहुजनों को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरनों में शामिल होने का आह्वान किया गया है। बहुजन समाज के अनेक नुमाइंदे 14 अप्रैल को सिंघु, टिकरी, गाज़ीपुर व अन्य बॉर्डराें पर पहुंचकर किसानों को समर्थन देंगे और सभी स्टेज का संचालन उनके ही हाथ में रहेगा।

किसानों की ओर जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, ”डॉ.भीमराव आंबेडकर देश के शोषित, उत्पीड़ित लोगों की आजादी के सपनों के नायक थे। हम उन्हें संविधान निर्माता के रूप में जानते हैं, जिस संविधान से मिले कई मौलिक अधिकारों पर आज आरएसएस-भाजपा की मोदी सरकार तीखे व क्रूर हमले कर रही है।”

मोर्चा के समन्वयक डॉ.दर्शनपाल ने कहा, ”बेरोजगारी बेइंतहा तेजी से बढ़ रही है और खेती में घाटा व कर्जदारी बढ़ रही है। खेती के लिए बनाए गये ये तीन कानून और बिजली बिल 2020 भी मोदी सरकार के गरीब विरोधी नीतियों में अगला कदम है। आज ये कानून दोनों जमीन वाले व बिना जमीन वाले किसानों के लिए खतरा बन गए हैं।”

”खेती का यह नया प्रारूप बटाईदार किसानों के लिए और भी घातक है क्योंकि खेती को लाभकारी बनाने के लिए कंपनियां बड़े पैमाने पर इसमें मशीनों का प्रयोग कराएंगी और बटाईदारों का काम पूरा छिन जाएगा। बटाईदारों की बड़ी संख्या बहुजन समाज से आती है। देश के मेहतनकशों के लिए एक उत्साह की बात है कि जमीन वाले किसान और इनके संगठन, इन कानूनों को रद्द कराने के लिए लड़ रहे हैं”,  डॉ.दर्शनपाल ने कहा।

(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here