ज्योति एस हरिद्वार
दो दिन पहले अचानक हरिद्वार पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से कौन सा गुरु मंत्र ले गए? उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर अखिलेश के इस कुंभ स्नान को लेकर कई तरह की अटकलें हैं। एक बात तो साफ है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हिन्दू वोटों ध्रुवीकरण उनकी चिंता का विषय है।
बहरहाल द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया को खबर दी है कि अखिलेश यहां 2015 की घटना के लिए माफी मांगने आये थे। 22 सितंबर को सपा के राज में गणेश प्रतिमा विसर्जन लेकर साधुओं ने धरना दिया था जिसमें अविमुक्तेश्वरानंद समेत 40 सन्यासी पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए थे।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने बताया है कि अखिलेश यादव स्वयं की पहल पर पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज का दर्शन करने हरिद्वार कुम्भ में आये थे।
‘आगत का स्वागत’ सिद्धान्त के अनुसार शिविर के व्यवस्थापकों द्वारा सबकी तरह उनका भी स्वागत किया गया ।
उन्होंने कहा कि ‘शरणागत हूं।’ तो शरणागत की रक्षा ही धर्म है यह सोचकर फिर हमने उनसे पुराने सन्दर्भ में कुछ नहीं कहा और कुशल क्षेम पूछकर उन्हें पूज्यपाद महाराज श्री शंकराचार्य जी के पास ले गये।
उन्होंने पूज्यपाद महाराज श्री से निर्देश, आदेश और आशीर्वाद मांगा। यह भी कहा कि जो गलती हमसे पूर्व में हुई, अब वह भविष्य में नहीं होगी। फिर उन्होंने हमारे सान्निध्य में ही नीलधारा जाकर गंगा जी की विधिपूर्वक पूजा की और हमें प्रणाम कर चले गये। अपने वक्तव्य में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने लिखा है- हमने यह देखा कि उनको पूज्यपाद महाराज श्री का आशीर्वाद मिला । स्वाभाविक है कि जिन्हें हमारे श्रीगुरुदेव का आशीर्वाद हो उसके लिये हमें भी सद्भाव रखना ही चाहिए। गुरुजी और गंगाजी की पूजा में भी गहरी श्रद्धा देखी। इसी से अनुमान लगाइये कि गंगाजी के पूजन के बाद जब प्रणाम का अवसर आया तो उन्होंने साष्टांग प्रणाम किया।
असल में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती संत समाज में अपना अलग नज़रिया रखते हैं और संघ की राजनीतिक विचारधारा से असहमत रहते हैं। ऐसे में उनके आर्शीवाद की सियासी व्याख्या लाज़िमी है।