Monday, October 2, 2023
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सरकार के खिलाफ ऐसा क्या लिखा कि हिरासत में हो गई पत्रकार की मौत, पुलिस से झड़प में दर्जनों जख्मी

जन सरोकारों से जुड़ी डिजिटल पत्रकारिता सरकारों की आंखों में खासी अखर रही है। सरकार की नीतियां जैसी भी हों, उसकी आलोचना रत्तीभर भी बर्दाश्त नहीं किया जा रहा। कोरोना वायरस से फैली महामारी से लेकर आर्थिक और सामाजिक मामलों में सोशल मीडिया पर लिखना ही एक पत्रकार को मौत की दहलीज पर ले गया।

पुलिस हिरासत में उसकी मौत होने पर अब बवाल शुरू हो गया है, जिसमें दर्जनों प्रदर्शनकारी रबर की गोलियाें और आंसू गैस से तो कई पुलिसकर्मी जवाबी पथराव में जख्मी हो गए हैं।

यह ताजा वाकया पड़ोसी देश बांग्लादेश का है। पत्रकार व स्वतंत्र लेखक मुश्ताक अहमद की मौत के बाद आमजन में आक्रोश फैल गया। सैकड़ों की तादाद में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए।

पुलिस के रवैये से खफा जब ये प्रदर्शकारी नेशनल प्रेस क्लब के सामने सड़क पर आए ताे पुलिस ने उन्हें खदेड़ने को लाठीचार्ज के साथ रबर की गोलियां और आंसू गैस चलाना शुरू कर दिया। जवाब में दूसरी ओर से भी पथराव के साथ भगदड़ मच गई। चैनलों की फुटेज में दिखाया गया कि कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने बुरी तरह पीटा।

ढाका पुलिस के उपायुक्त सज्जादुर रहमान ने समाचार एजेंसियों को बताया, ”मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और प्रदर्शनकारियों की पत्थरबाजी रोकने की कोशिश में पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया। रबर की गोलियों और आंसू गैस का भी जरूरी इस्तेमाल किया गया।”

“उन्होंने विरोध प्रदर्शन की कोई अनुमति नहीं ली थी”,  उन्होंने पुलिस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा।

बीएनपी के प्रवक्ता रिजवी अहमद ने कहा कि झड़पों में एक वरिष्ठ नेता सहित पार्टी के लगभग 30 छात्र नेता घायल हो गए। कई पुलिस वाले भी घायल हो गए, जिनमें एक पुलिसकर्मी को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

प्रवक्ता ने बताया कि 500 ​​से ज्यादा प्रदर्शनकारी प्रेस क्लब में लेखक व पत्रकार मुश्ताक अहमद की मौत की निंदा के विरोध में मानव श्रृंखला बनाने को जुटे थे।

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क्या है हिरासत में मौत का मामला

53 वर्षीय पत्रकार मुश्ताक अहमद को पिछले साल मई में ढाका में सोशल मीडिया पर लिखी उनकी पोस्टों पर पुलिस ने डिजिटल सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किया गया था।

इन पोस्टों में प्रधानमंत्री शेख हसीना सरकार की कोरोनोवायरस महामारी पर नीति को लेकर आलाेचना की गई थी। उनकी छह बार जमानत खारिज हुई और गुरुवार को उनकी जान चली गई।

मौत की खबर फैलते ही बांग्लादेश छत्र संघ, समाजवादी छत्र मोर्चा, बिप्लोबी छत्र मोहित्री और बांग्लादेश छत्र महासंघ की अगुवाई में प्रगतिशील छात्र संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जेल के बाहर विरोध में जुलूस निकाला।

प्रमुख बांग्लादेशी मीडिया हाउस ‘द डेली स्टार’ के अनुसार, जेल महानिरीक्षक ब्रिगेडियर जनरल एमडी मोमिनुर रहमान मामून ने बताया कि लेखक मुश्ताक अहमद की मौत शहीद ताजुद्दीन अहमद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुई।

डॉक्टरों का हवाला देते हुए जेल महानिरीक्षक ने कहा कि मुश्ताक को अस्पताल में मृत लाया गया और शव परीक्षण के बाद विवरण की पुष्टि की जाएगी। उन्हें रात 8:20 बजे मृत घोषित कर दिया गया।

बांग्लादेश न्यूज से वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने कहा, गुरुवार की रात लेखक मुश्ताक अहमद को काशीपुर हाई सिक्योरिटी जेल में बेहोश पर शहीद ताजुद्दीन अहमद मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया।

लेखक को कोई बीमारी नहीं थी और मौत का कारण स्पष्ट कारण पता नहीं चला, उन्होंने कहा।

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नारायणगंज के अरिहजर से निकलकर मुश्ताक बांग्लादेश में मगरमच्छ खेती करने वाले उद्यमियों में से एक थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर विभिन्न मुद्दों पर सक्रिय रूप से लिखा। रैपिड एक्शन बटालियन ने उन्हें कोरोना वायरस संकट के बीच ढाका के ललमटिया और कार्टूनिस्ट अहमद कबीर किशोर के घर में पिछले साल 5 मई को गिरफ्तार किया था।

आरएबी-3 कंपनी के कमांडर अबू जफर मोहम्मद रहमतुल्ला ने उस समय कहा था, “वे दोनों सोशल मीडिया पर सरकार और उसके कोरोनो वायरस राहत कार्यक्रमों के खिलाफ झूठी जानकारी फैलाते हैं। उन्होंने बंगबंधु के बारे में अभद्र टिप्पणी भी की।“

मामले की जांच कर रहे एसआई जमशेदुल इस्लाम ने कहा था कि किशोर ने अपने फेसबुक अकाउंट “अमी किशोर” पर कार्टून और पोस्टर लगाए थे जो कोरोनो वायरस स्थिति के लिए सरकार कोशिशों के खिलाफ आलोचना कर रहे थे, जबकि मुश्ताक ने उनमें से कई को अपने फेसबुक अकाउंट पर साझा किया था।

सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ प्रचार के आरोप में नौ अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था। राजनीतिक कार्यकर्ताओं के एक ग्रुप से जुड़े कारोबारी मिन्हाज मन्नान और दीदारुल भुइयां को भी गिरफ्तार किया।

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सुनवाई में अदालत ने दीदारुल और मन्नान को जमानत पर रिहा कर दिया, लेकिन मुश्ताक और किशोर की कई जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया। उनकी रिहाई के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई बार प्रदर्शन भी किए।

मुश्ताक को पहले ढाका सेंट्रल जेल भेजा गया और फिर पिछले साल 24 अगस्त को काशीपुर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।

इस मामले के अन्य आरोपी स्वीडन में रहने वाले नेत्रा न्यूज़ के संपादक तस्नीम खलील, जर्मनी में रहने वाले ब्लॉगर आसिफ मोहिउद्दीन, अमेरिका में रहने वाले पत्रकार शहीद आलम, जुल्कारनैन अय्यर खान उर्फ ​​सामी भी हैं जो प्रमुख वेबसाइटों पर छपे हैं।

आरएबी द्वारा लाए गए आरोपों में बंगबंधु, लिबरेशन वॉर और महामारी के खिलाफ सरकार की छवि को चोट पहुंचाने और देश में अस्थिरता पैदा करने के अभियान चलाना शामिल हैं। मुश्ताक और किशोर ने व्हाट्सएप और मैसेंजर पर तसनीम, जुल्कारनैन, शाहिद और आसिफ के साथ “साजिश” की थी।

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