हिना फातिमा : West Bengal Election 2021 : देश भर में ऐसे कई तबके हैं जिन्हें आज तक वोटिंग का अधिकार नहीं मिला है. इसी तरह पश्चिम बंगाल में भी कई समुदाय इंतजार कर रहे हैं कि कब उनका वोटर लिस्ट में नाम जुड़ेगा, लेकिन जिनका नाम उस फेहरिस्त में शुमार हो भी जाता है तो उन्हें आगे बूथ कैप्चरिंग जैसे मुद्दों से जूझना पड़ता है. कुछ इसी तरह की जद्दोजेहद एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया कोलकाता के सोनागाछी (Sonagachi) की सेक्स वर्कर्स (Sex Workers) कर रही हैं. इतना ही नहीं उनके सामने और कई तरह की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्याएं हैं.
नहीं मिलता है वोट डालने का अधिकार
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन से आईं कमला सरदार पिछले 35 सालों से सोनीगाछी में रह रहीं हैं और सेक्स वर्कर हैं. उनका कहना है कि उनके पास किसी तरह का रेज़िडेंशियल प्रूफ़ (निवास प्रमाण पत्र) नहीं है जिसकी वजह से उन्हें यहां वोट डालने का अधिकार नहीं मिलता है. वो आगे कहती हैं ‘यहां सेक्स वर्कर्स को वोट डालने नहीं दिया जाता है. लोकल गुंडे उन्हें वोटिंग करने से रोकते हैं और उनके नाम पर खुद ही वोट डालकर आ जाते हैं. यहां महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस ने कोई इंतजाम नहीं किए हैं. हमारे पास पहचान पत्र ना होने की वजह से कोई सरकारी सुविधा भी नहीं मिलती है.’
सोनागाछी को सेंसिटिव एरिया घोषित करने की मांग
उधर, सेक्स वर्कर्स के कल्याण के लिए काम कर रही दरबार महिला समन्वय समिति ने उनको वोटिंग अधिकार दिलाने के लिए इस विधानसभा चुनाव में सोनागाछी को सेंसिटिव एरिया घोषित करने की मांग की है. दरबार महिला समन्वय समिति के डायरेक्ट डॉ. एस जाना बताते हैं ‘इस एरिया के कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि सेक्स वर्कर्स को उनके अधिकार मिले. इसलिए इलाके में गुंडागर्दी ज्यादा बढ़ गई है. चुनाव के दौरान कुछ लोग उन्हें वोट नहीं डालने देते हैं और उनके बदले ख़ुद डाल कर आ जाते हैं.’ उन्होंने आगे कहा ‘सरकार ने जिस तरह कुछ इलाकों को सेंसिटिव मान कर वहां सेना द्वारा सुरक्षा बढ़ाई है उसी तरह सोनागाछी को भी समझा जाए.’
जो कुछ भी बचा है वो सब बिक जाएगा
बंगाल में विधानसभा चुनाव में मौजूदा राजनीति के बारे में बात करते हुए कमला के पति कहते हैं कि ‘मोदी के आने से जो कुछ भी बचा है वो सब बिक जाएगा. उसने लोगों को झूठी उम्मीद देकर वोट लिए हैं. मोदी ने आकर पहले नोटबंदी की, सबके अकाउंट में 15 लाख रुपये डालने की बात कही, लेकिन उसने कोई वादा नहीं निभाया और सब कुछ बेच दिया.’
उन्होंने आगे कहा कि ‘शुभेंदू अधिकारी 8 पेट्रोल पंप और कई रिज़ोर्ट के मालिक हैं. सोनागाछी की जनता उनसे पूछ रही है कि यह पैसा उनके पास कहां से आया? जब तक वो टीएमसी में थे तब तक उन्हें नज़र नहीं आया लेकिन अब अभिषेक उन्हें उगाही वाले दिखने लगे.’
कोरोना की वजह से रोजगार का संकट
नजमा रोजाना कई किलोमीटर का सफर तय करके सोनागाछी आती हैं. वो बताती हैं कि जहां वो रहती हैं वहां उनके किसी परिचित को नहीं पता है कि वो सेक्स वर्कर हैं. उन्होंने बताया कि मजबूरी में घर का खर्च निकालने के मकसद से यहां पैसे कमाने के लिए आती हैं. उन्होंने सोनागाछी की मौजूदा हालात के बारे में बताते हुए कहा कि ‘कोरोना की वजह से यहां कस्टमर आना कम हुए हैं इसकी वजह से सेक्स वर्कर के सामने रोजगार और गुजारा करने का संकट पैदा हुआ है. यहां जितनी सेक्स वर्कर की संख्या है उससे कम कस्टमर की तादाद हो गई है. यहां हमें जगह छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है लेकिन हम यहां से कहीं नहीं जाएंगे.’
को-ऑपरेटिव सोसायटी से भी वक्त पर नहीं मिलता पैसा
वहीं, उन्होंने आगे बताया कि ऊषा को-ऑपरेटिव सोसायटी में यहां की महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप के तहत अपना पैसा जमा करती हैं ताकि मुसीबत के वक्त में वो उन पैसों का इस्तेमाल कर पाएं. लेकिन वो कहती हैं ‘यह लोग हमसे पैसा तो ले लेते हैं लेकिन जब हमको ज़रूरत होती है तो वो वक़्त पर हमें पैसा नहीं मिलता है. साथ ही वो जो पैसा देते हैं वो बहुत कम होता हैं.’
किसान आंदोलन हम सबकी लड़ाई है
वहीं सेक्स वर्कर्स संगठन समेत देशभर के कई किसान मज़दूर संगठन ‘महिला संघर्ष समिति’ के तहत काम कर रहे हैं. महिला संघर्ष समिति की सदस्य और सेक्स वर्कर्स का नेतृत्व कर रही माला सिंह पांच महीनों से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन पर बात रखते हुए कहती हैं कि ‘यह एक जन आंदोलन है. इसमें सिर्फ़ किसानों के नहीं बल्कि सबके सवाल जुड़े हुए हैं. हमारे साथ खेत मज़दूर संगठन भी जुड़े हैं. हम सब मिलकर किसान आंदोलन का हिस्सा बनें और राइट टू फ़ूड मुहिम से भी जुड़े.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘कृषि क़ानूनों को लेकर हमने फैसला किया है कि हम सबको साथ में मिलकर इनके खिलाफ संघर्ष करना होगा. हम सेक्स वर्कर्स का मानना है कि यह सिर्फ किसानों की बल्कि हम सबकी लड़ाई है.’
सोनागाछी में रहती हैं 12 हज़ार से ज्यादा सेक्स वर्कर्स
गौरतलब है सोनागाछी में 12 हज़ार से ज्यादा सेक्स वर्कर्स रहती हैं जिनमें 4 हजार से अधिक दूसरे इलाकों से यहां काम करने आती हैं. यहां पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की 29 अप्रैल को वोटिंग होगी.