द लीडर : ज्ञानवापी मस्जिद कैंपस में श्रृंगार गौरी की पूजा करने की इजाज़त वाली याचिका को अदालत ने सुनवाई के लिए मंज़ूर कर लिया है. जबकि इस पर रोक की मांग से जुड़ी मस्जिद इंतजामिया कमेटी की याचिका नामंज़ूर कर दी है. स्थानीय अदालत के इस फ़ैसले से एक पक्ष खुश है, तो दूसरे ने हाईकोर्ट जाने का इरादा ज़ाहिर किया है. (Varanasi Gyanvapi Masjid Worship)
दिल्ली की महिला राखी सिंह समेत चार महिलाओं ने मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं के दर्शन-पूजा करने की मांग करते हुए पिछले साल अगस्त में एक याचिका दाख़िल की थी. इस दावे के साथ कि प्लॉट नंबर 9130 में देवी-देवता मौजूद हैं और ये विवादित नहीं है. क़रीब आठ महीने बाद इसी साल अप्रैल 2022 में अदालत ने सर्वेक्षण कराने के आदेश दिए थे.
ज्ञानवापी मस्जिद की इंतज़ामिया कमेटी इसके विरोध में हाईकोर्ट गई, लेकिन वहां उनकी याचिका नामंज़ूर हो गई. और बाद में हुए सर्वे में मस्जिद के वज़ूख़ाने में एक आकृति मिली, जिसके शिवलिंग होने का दावा सामने आया. और मस्जिद सील कर दी गई. मस्जिद कमेटी सुप्रीमकोर्ट पहुंचीं. सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई करते हुए मुस्लिम पक्ष को मस्जिद में नमाज़ अदा करने की इजाज़त दी. हालांकि वज़ूख़ाना अभी तक सील है.
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सुप्रीमकोर्ट ने मस्जिद कमेटी को स्थानीय अदालत में जाने को कहा था. और तब से इस मामले पर वाराणसी की कोर्ट में केस चल रहा है. महिलाओं की याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी थी. सोमवार को फ़ैसला आ गया. (Varanasi Gyanvapi Masjid Worship)
याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि 1947 के बाद भी उस स्थान पर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना हुई है, इसलिए ये 1991 के वर्शिप-एक्ट से परे है.
दरअसल 1991 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहा राव की सरकार ने भारत में उपासना स्थल क़ानून बनाया था. तब राम मंदिर आंदोलन ज़ोरों पर था. इस क़ानून के तहत 1947 के बाद भारत में जितने भी धार्मिक स्थल बने हैं, वो यथास्थिति में रहेंगे. कोई दूसरा धर्म उस पर अपना अधिकार नहीं जमाएगा. न ही ऐसे मामलों को कोर्ट में सुना जाएगा. इसमें बाबरी मस्जिद विवाद को अपवाद के लिए अलग रखा गया था.
1991 के उपासना स्थल क़ानून के तहत देखा जाए तो ज्ञानवापी मस्जिद का मामला कोर्ट में स्वीकार ही नहीं होना चाहिए था. जिस पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं. तो याचिकाकर्ताओं की अपनी दलीलें हैं. (Varanasi Gyanvapi Masjid Worship)
बहरहाल, बाबरी मस्जिद के शहादत के 30 साल बाद अब ज्ञानवापी मस्जिद का मामला कोर्ट में सुनवाई के लिए आगे बढ़ गया है. संभव है कि ये लंबा खिंचेगा या जल्द अंजाम तक पहुंच सकता है.
रज़ा एकेडमी-मुंबई के अध्यक्ष मुहम्मद सईद नूरी ने भारत के उपासना स्थल क़ानून के हवाले से इस फ़ैसले पर निराशा ज़ाहिर की है.
ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी समेत कई सामाजिक, धार्मिक संगठनों की इस मामले में प्रतिक्रियाएं आई हैं.