द लीडर : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों से कहा है कि वे छात्रों को शहीदों के बलिदान का महत्व समझाने के लिए नेशनल वार स्माकर पर लेकर जाएं. ये एक अधिकारिक छात्र भ्रमण भी हो सकता है. हमारे वीर जवानों की शहादत नई पीढ़ी को प्रेरित करने का महत्वपूर्ण सोर्स है. वे जान सकेंगे कि किन मुश्किल चुनौतियों के बीच हमारे सैनिक सरहदों की सुरक्षा में डटे रहते हैं, ताकि देश की एकता-अखंडता कायम रहे. शिक्षा मंत्रालय का हवाला देते हुए विश्वविद्यालयों को ये पत्र जारी किया गया है. (University Students National War Memorial Ssacrifice)
दिल्ली के इंडिया गेट पर नेशनल वार स्मारक है, जोकि करीब 40 एकड़ के दायरे में फैला है. भारत और चीन के बीच 1962 के युद्ध से लेकर कारगिल तक शहादत देने वाले वीर सैनिकों के नाम यहां दर्ज हैं, जिन्हें देश नमन करता है. देश की आजादी से लेकर अब तक पाकिस्तान और चीन के साथ करीब पांच युद्ध हो चुके हैं.
1947, 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ जंग हुई. और 1999 में कारगिल युद्ध हुआ. इसके अलावा श्रीलंका में शांति बहाली ऑपरेशन में भी भारतीय सैनिकों ने शहादत दी. इन सबकी कुर्बानियां भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक हैं.
दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में नेशनल पुलिस स्मारक है. 6.12 एकड़ में फैले इस स्माकर में 1947 से लेकर अब तक विभिन्न पुलिस बलों में शहीद जवानों की स्मृतियां हैं.
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आजादी से अब तक केंद्रीय और राज्य पुलिस बल के करीब 34,844 जवान ड्यूटी के दौरान शहीद हुए हैं. उनके स्मारक स्थल का भी छात्रों को भ्रमण कराया जाना शामिल है. ये दोनों स्मारक केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बनवाए गए हैं.
महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. अमित सिंह बताते हैं कि यूजीसी का पत्र मिला है. ये जरूरी है कि छात्रों को इन स्मारकों के भ्रमण पर जाना चाहिए.
मेरा मानना है कि हर नागरिक, बुद्धिजीवी को यहां जाना चाहिए. ताकि वे देश के सेना नायकों के पराक्रम, बलिदान और साहस को समझें. उसके जज्बे को महसूस करें. निश्चित रूप से इससे नई पीढ़ी में ऊर्जा का संचार होगा. उनमें सेनाओं और पुलिस बलों के बारे में जानने की जिज्ञासा पैदा होगी.