द लीडर हरिद्वार।
अराजनीतिक कहे जाने वाले रष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मामूली कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले त्रिवेंद्र सिंह संघ की कृपा से कई दिग्गजों को परे धकेल कर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने। कुर्सी खींच लिए जाने के बाद कौरवी रूप पार्टी नेताओं से परेशान है त्रिवेंद्र फिर संघ की शरण में हैं।
संघ प्रमुख हरिद्वार पहुंचे तो त्रिवेंद्र उनसे मिलने जा पहुंचे। इस मुलाकात पर कोई प्रेस रिलीज जारी नहीं हुई लेकिन मुलाकात का मंतव्य भी साफ ही है। त्रिवेंद्र कई बार कह चुके कि ईमानदारी से प्रदेश का विकास करने के बाद क्यों हटा दिया ये उन्हें नहीं बताया गया। जाहिर है संघ प्रमुख के सामने भी उन्होंने अपना ये मासूम सवाल रखा होगा।
रविवार को सरसंघचालक मोहन भागवत से इस मुलाकात के बाद सियासी हलकों में एक बार फिर कयास बाजी का दौर शुरू हो गया है। मोहन भागवत शनिवार से हरिद्वार के दो दिनी दौरे पर हैं रविवार को उन्होंने हरिद्वार में सामाजिक संस्थाओं द्वारा बनाए गए गंगा घाटों का लोकार्पण किया। इस दौरान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की बतौर विशेष अतिथि मौजूद रहे। मोहन भागवत ने अमरापुर घाट सतनाम साक्षी घाट भारत माता व शौर्य घाट का लोकार्पण किया। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम पद से इस्तीफा दे तो दिया लेकिन उन्हें और उनके समर्थकों को अभी तक इस्तीफा मांगने का कारण पता नहीं चला। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नेतृत्व परिवर्तन के खिलाफ खुलकर कोई बयान भी नहीं दिया लेकिन अभिमन्यु की कथा सुना कर उन्होंने इशारों इशारों में अपनी टीस बयान कर दी थी । हालांकि वह ये बात भी कह रहे हैं कि उनके लिए उनकी पार्टी के फैसले से बड़ा कोई फैसला नहीं है।
संघ प्रमुख ने उन्हें क्या मंत्र दिया यह साफ नहीं लेकिन कहा जा रहा है कि संघ के एक अनुशासित सिपाही ने नाते संघ प्रमुख बीजेपी संगठन को जल्द कोई निर्देश दे सकते हैं।
त्रिवेंद्र के हरिद्वार दौरे की झलकियां भी दिलचस्प रही। वे अपने पुराने अभिन्न मित्रों से मिले उनकी आंखों में गुस्सा और सवाल थे। यह भी देखा गया कि मित्र नज़रें चुराते सिर नीचा कर बगल से निकल गए।