अमेरिका ने आज के दिन बोला था इराक पर हमला, जिसके जख्म आज भी रिस रहे

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आशीष आनंद

अक्टूबर 2005 में सद्दाम हुसैन को इराकी हाई ट्रिब्यूनल के सामने सुनवाई के लिए लाया गया। यह एक पैनल कोर्ट था, जो अमेरिका की सरपरस्ती में स्थापित किया गया था। इस कोर्ट ने 1982 ने सद्दाम हुसैन पर अल-दुजायल में 148 शहरवासियों की हत्या के आरोप में नौ महीने ट्रायल किया। (US Destruction Saddam Hussein)

सद्दाम ने मुकदमे को अमेरिका का दिखावा बताकर विरोध किया। ट्रिब्यूनल ने फिर भी अपना फैसला सुनाया। चार अप्रैल 2006 को सद्दाम को मानवता के खिलाफ अपराधों और नरसंहार के लिए दोषी ठहराया। सद्दाम के सौतेले भाई और इराक के पूर्व मुख्य न्यायाधीश को भी मौत की सजा सुनाई। दिसंबर 2006 में एक इराकी अदालत ने सद्दाम को फांसी दे दी।

जिस वक्त यह सब चल रहा था, पूरी दुनिया की नजर इराक पर थी। अमेरिका की ओर से गिराए जाने वाले बम, इस्तेमाल किए जा रहे हथियारों की मारक क्षमता का प्रदर्शन पूरी दुनिया में दिखाई दे रहा था। इराक पर अमेरिकी हमले के बाद शुरू हुई जंग में लाखों लोग मारे गए, अपाहिज हुए और इसका असर आज तक बना हुआ है।

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Ex USA President Bush

अमेरिका पूरे विश्व में अपने वर्चस्व का कायम रखने के साथ ही इराक की तेल संपदा को हथियाने के लिए इस युद्ध को अंजाम दे रहा है, यह भी छुपी बात नहीं थी। खाड़ी देशों में दबदबे के साथ ही चुनौती बन रहे यूरोपीय संघ के सामने अपनी ताकत का भी यह प्रदर्शन था, जिस यूरोपीय संघ की साझी मुद्रा यूरो में व्यापार करके सद्दाम हुसैन ने अमेरिकी डॉलर को झटका दिया और खाड़ी देशों को अमेरिकी चंगुल से छुटकारा पाने का रास्ता दिखा दिया था।

सद्दाम हुसैन का जन्म उत्तरी इराक के टिकरिट शहर के पास एक गांव में किसान परिवार में हुआ था। यह क्षेत्र देश के सबसे गरीब लोगों में से एक था और सद्दाम खुद गरीबी में पले-बढ़े। जन्म से पहले ही उनके पिता का देहांत हो गया और वह बगदाद में चाचा के साथ रहने कम उम्र में ही चले गए। (US Destruction Saddam Hussein)

सद्दाम 1957 में बाथ पार्टी में शामिल हुए। 1959 में बाथिस्टों द्वारा इराकी प्रधानमंत्री अब्द-अल-करीम क़ासिम की हत्या के असफल प्रयास में शामिल हुए और घायल हो गए। इसके बाद पहले सीरिया और फिर मिस्र में पनाह ली। उन्होंने 1963 में इराक में सत्ता संभालने के बाद काहिरा लॉ स्कूल और फिर बगदाद लॉ कॉलेज में पढ़ाई जारी रखी।

Saddam Hussain

उसी साल बाथिस्टों को सत्ता से उखाड़ फेंका गया और सद्दाम को कई साल जेल में बिताने पड़े। जान बच जाने से वह बाथ पार्टी के नेता बन गए और 1968 में तख्तापलट के बाद सत्ता नियंत्रित करना शुरू कर दिया। उन्होंने राष्ट्रपति अहमद हसन अल बक्र के जरिए 1972 में इराक के तेल उद्योग का राष्ट्रीयकरण का कदम उठा लिया।

1979 में राष्ट्रपति बनने के साथ ही क्रांतिकारी कमान परिषद के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री भी बन गए। कहा जाता है कि उन्होंने आंतरिक विरोध को दबाने के लिए खुफिया का बेजा इस्तेमाल किया और खुद को केंद्र में रखकर जनता के बीच लोकप्रिय होने का कायदे चुने। साथ ही अरब क्षेत्र में मिस्र को हटाकर खाड़ी में इराक को नेता स्थापित करने का मकसद बनाया। (US Destruction Saddam Hussein)

सद्दाम ने सितंबर 1980 में ईरान के तेल क्षेत्रों पर हमला कर दिया, लेकिन व्यापार लड़खड़ाने से कदम पीछे खींचने पड़े। युद्ध की लागत और इराक के तेल निर्यात में रुकावट के चलते कई महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों को कम करना पड़ा। ईरान-इराक युद्ध 1988 तक संघर्ष विराम होने तक कम या ज्यादा चलता ही रहा। विदेशी कर्जों के साथ ही युद्ध से परेशानियां बढ़ रही थीं, लेकिन सद्दाम हुसैन ने सेना को मजबूत बनाने का काम जारी रखा।

Saddam Hussain with elder daughter

कुछ अरसे बाद अगस्त 1990 में इराकी सेना ने पड़ोसी कुवैत पर कब्जा जमा लिया, जिससे वहां के तेल कुओं से इराक की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सके। इस कब्जेदारी ने इराक की छवि खराब कर दी। कुछ जानकारों का कहना है कि अमेरिका के उकसाने पर यह कब्जेदारी की गई, जिससे बाद में वह बाद में कुवैत और इराक दोनों जगह पर अपना नियंत्रण कायम कर ले।

बहरहाल, कुवैत पर इराक के कब्जे के बाद सऊदी अरब में अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य बल ने तैयारी शुरू कर दी। अब इराक फंस चुका था। अमेरिका ने गठबंधन देशों के साथ 16 जनवरी 1991 को हमला बोल दिया, इराक की सेना को कुवैत से खदेड़ दिया गया। सद्दाम हुसैन की इस हार ने इराक में शियाओं और कुर्दों के आंतरिक विद्रोह को जन्म दिया। हजारों लोग देश की उत्तरी सीमा पर शरणार्थी शिविरों में जाने को मजबूर हो गए, हजारों हत्याएं हो गईं, कितने ही लोग लापता हो गए। (US Destruction Saddam Hussein)

Saddam Hussain with Yasir Arafat

संयुक्त राष्ट्र के साथ संघर्ष विराम समझौते के तहत इराक को रासायनिक, जैविक और परमाणु हथियारों के उत्पादन या रखने से प्रतिबंधित कर दिया गया। यूएन हथियार निरीक्षकों के साथ सहयोग में इनकार करने पर 1998 के अंत में संयुक्त राज्य अमेरिका और ग्रेट ब्रिटेन ने ऑपरेशन डेजर्ट फॉक्स नाम से हवाई हमला कर दिया। घोर अमेरिका विरोधी रुख वाले सद्दाम हुसैन पलटवार बयान देने से भी गुरेज नहीं कर रहे थे, जिससे अमेरिकी घमंड टूट रहा था। खाड़ी देशों के किसी भी नेता के अंदर शायद ही तब इतना साहस रहा हो।

यह तनाव चल ही रहा था कि 11 सितंबर 2011 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अल कायदा आतंकियों का हमला हो गया, जिसमें 19 आतंकियों समेत तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों जख्मी हुए। अमेरिका को मौका मिल गया, और दावा किया कि सद्दाम हुसैन आतंकवादियों के साथ हैं, आतंकियों को रासायनिक या जैविक हथियार भी दे सकते हैं। अमेरिका ने निरस्त्रीकरण की नए सिरे से मांग की। सद्दाम ने संयुक्त राष्ट्र के हथियार निरीक्षकों को नवंबर 2002 में इराक में जांच की अनुमति दी, लेकिन अमेरिका-ब्रिटेन फिर भी नाखुश रहे।

world trade centre attack

17 मार्च 2003 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने सद्दाम हुसैन को 48 घंटे के अंदर इराक को छोड़ने या युद्ध का सामना करने का अल्टीमेटम जारी कर दिया। यह भी लगभग इशारा दे ही दिया कि भले ही सद्दाम ने देश छोड़ दिया हो, अमेरिका फिर भी वहां नई सरकार बनाने के साथ ही उसे स्थिर करने और सामूहिक विनाश के हथियारों की तलाशी के बहाने वहां जमेगा।

विनाशक हथियारों के होने की तोहमतें लगाकर अमेरिका महाविनाशक हथियारों के साथ हमला करने को तैयार खड़ा था, जबकि इतिहास में उसने कई विनाशों को अंजाम भी दिया था। (US Destruction Saddam Hussein)

अमेरिका का इरादा साफ था, लिहाजा सद्दाम ने इराक छोड़ने से इनकार कर सामना करने का ऐलान कर दिया। अमेरिकी सेना ने सहयोगी देशों के साथ 20 मार्च को इराक पर हमला बोल दिया।

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शुरुआत में एक बंकर को निशाना बनाया गया, लेकिन सद्दाम बच निकले। हमेशा अपने लहजे में अडिग रहे सद्दाम ने कहा, ”मुझे मारना ही मकसद है तो मैं जान देने को तैयार हूं, लेकिन इराकियों को निशाना न बनाया जाए।” लेकिन आक्रमणकारी अमेरिकी-ब्रिटिश सेना प्रमुख शहरों और स्मारकों पर बम बरसाती रही। इराकी प्रतिरोध कुछ समय में चरमरा गया और 9 अप्रैल को बगदाद अमेरिकी सैनिकों से घिर गया, सद्दाम को भी छिपना पड़ा।

सद्दाम के बेटे उदै और कुसै को 22 जुलाई को मोसुल में मार दिया गया। फिर टिकरिट के पास के फार्महाउस के नजदीक छोटे से बंकर से सद्दाम को गिरफ्तार कर बंकर जमींदोज कर दिया गया। मुकदमा चला और नरसंहार का दोषी ठहराकर फांसी पर चढ़ा दिया गया। सद्दाम हुसैन से जुड़ी हर चीज को नेस्तोनाबूद कर दिया गया।

अमेरिका को जो हासिल करना था, वह हासिल कर चुका, लेकिन इराक के जख्म अभी भी रिस रहे हैं।

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