द लीडर हिंदी : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार के घर राष्ट्र मंच की बैठक भविष्य की राजनीति को लेकर संकेत तो बहुत कुछ दे गई, लेकिन विपक्षी कुनबे को मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट करना आसान नहीं है.
कांग्रेस के साथ शिवसेना जैसे प्रमुख दलों के नदारद रहने से यह साफ भी हो गया. हां, भाजपा की तरफ से जिस तरह बैठक के बाद बयान दिए गए, उससे सत्तापक्ष के खेमे की बेचैनी जरूर उजागर हुई है.
बैठक का सकारात्मक पहलु यह रहा कि तृणमूल कांग्रेस के साथ बैठक में वामदलों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया, जबकि पश्चिम बंगाल में दोनों दलों के बीच रिश्तों में काफी ज्यादा तल्खी है.
शरद पवार के दिल्ली स्थित सरकारी आवास 6 जनपथ पर मंगलवार शाम करीब 4 बजे विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई. जो करीब ढाई घंटे तक चली. बैठक में आम आदमी पार्टी, आजेडी, तृणमूल कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत विपक्षी दलों के कई नेता शामिल हुए.
बैठक के बाद एनसीपी सांसद माजिद मेमन ने कहा कि “ऐसा चल रहा है कि ये मीटिंग शरद पवार ने बुलाई थी, जबकि असलियत में राष्ट्र मंच के प्रमुख यशवंत सिन्हा ने इसे बुलाया था. हम सभी राष्ट्र मंच के सदस्य है.
यह बैठक भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एकजुट होने और कांग्रेस का बहिष्कार करने के लिए आयोजित नहीं की गई थी, बल्कि देश के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर बातचीत के लिए बुलाई गई थी.
उन्होंने आगे कहा कि विवेक तनखा, मनीष तिवारी, शत्रुघ्न सिन्हा, अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल को भी आमंत्रित किया था, लेकिन दिल्ली में न होने के कारण सभी शामिल नहीं हो सके.
इन नेताओं ने की शिरकत
टीएमसी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा, जावेद अख्तर, विनय बिश्वम, वंदना चव्हाण, कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा, जयंत चौधरी, उमर अब्दुल्ला, शाहिद सिद्दीकी, केसी सिंह, सीपीएम नेता नीलोत्पल बसु, पवन वर्मा और अर्थशास्त्री अरुण कुमार आदि ने शिरकत की.
लोकतांत्रिक वाम ताकतों का एक मंच
बैठक में शामिल होने के बाद सीपीआई के सांसद विनय बिश्वम ने कहा कि “सबसे ज्यादा नफरत फैलाने वाली सरकार विफल रही है. यह उसके खिलाफ सभी धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक वाम ताकतों का एक मंच है. देश में बदलाव किए जाने आवश्यकता है. आम जनता भी बदलाव चाह रही है.
क्यों रही शिवसेना गायब ?
शिवसेना बैठक से गायब क्यों रही ? इस सवाल का जबाव संजय राउत ने दे दिया है. उन्होंने बताया कि यह विरोधी दलों की नहीं, बल्कि राष्ट्रमंच की बैठक थी. इसलिए उसमें जाने का क्या मतलब.
कांग्रेस और शिवसेना के बिना तीसरा मोर्चा बनना संभव नहीं. अगर यह तीसरे मोर्चे की बैठक है तो समाजवादी पार्टी, बसपा, चंद्रबाबू नायडू, चंद्रशेखर राव कहां हैं?
भाजपा सांसद ने ली चुटकी
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने बैठक को लेकर चुटकी ली. बोलीं- जिन नेताओं को जनता ने नकार दिया है वही इस तरह बैठक करते हैं. प्रोफेशनल तौर पर चुनाव नहीं लड़ पाते. ऐसी बैठक पहले भी होती थी.
उनका कहना है कि कुछ कंपनियां सबको पीएम बनाने का वादा करती हैं और पैसा घसोटने का काम करती है.