द लीडर देहरादून
मुख्यमंत्री बनने के तीसरे दिन जहां तीरथ सिंह रावत कुछ तेवर में दिखने लगे हैं वहीं सियासी हलकों और नौकरशाही में छाया त्रिवेंद्र का जादू भी उड़ने लगा है। तीरथ अब पिछले सीएम के अलोकप्रिय फैसले बदलने लगे हैं। आज कुम्भ संबंधी फैसला पलटा गया। इधर शीघ्र नौकरशाही में भी बडे बदलाव की चर्चा है।
शायद खुद तीरथ और उनके समर्थक भी भाजपा आलाकमान को यह संदेश देने में कामयाब रहे हैं कि त्रिवेंद्र की छाया और कठपुतली की छवि पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
करोड़ों के खर्च वाले त्रिवेंद्र के चार साल बेमिसाल समारोह को निरस्त करने के साथ ही तीरथ ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, का नया नारा दिया है। यह भी खबर है कि अब अपने सौ दिन पूरे होने पर ही वह जनता के सामने उपलब्धियों का ब्यौरा और अपना विजन रखेंगे।
सियासी गलियारों में शनिवार को कुछ दिलचस्प नज़ारे थे। कुछ पुराने लोग पहले तो त्रिवेंद्र के आवास पर मिजाजपुर्सी को गए लेकिन बाद में उनके कदम तीरथ के गुरु भुवन चंद्र खंडूड़ी के निवास की तरफ मुड़ गए। इनमें ऐसे लोग भी थे जो अर्से से खडूडी की उपेक्षा करते रहे हैं।
तो हटेंगे ओमप्रकाश
लंबे समय से विपक्ष के साथ ही तटस्थ लोग भी आरोप लगा रहे हैं कि ओम प्रकाश के नेतृत्व वाली नौकरशाही उत्तराखंड की भावना के विपरीत काम कर रही है और सरकार को भरमाती रही है। आज ओमप्रकाश ही नहीं उनके खास लोगों के विकल्पों पर भी चर्चा रही। नए मुख्य सचिव के लिये एस एस संधू तो मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव के रूप में पूर्व सी एस शत्रुघ्न सिंह के नाम की चर्चा है।
कुम्भ में अखाड़ों, धर्म गुरुओं को मिलेगी भूमि
मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले में आने वाले शंकराचार्यों एवं अखाड़ों को भूमि उपलब्ध कराने के साथ उन क्षेत्रों में आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर भी ध्यान देने के निर्देश दिये। त्रिवेंद्र सिंह ने भूमि उपलब्ध कराने पर रोक लगाई थी, जिस वजह से अखाड़े नाराज थे। कल पहली बैठक में विशेष प्राधिकरणों संबंधी फैसले को भी तीरथ सरकार पलट चुकी है जिसका खास कर पहाड़ों में व्यापक विरोध हुआ था। उत्तरायणी मेले के दिन बागेश्वर में उस शासनादेश के प्रतियां सरयू में बहाई गई, लेकिन तब सरकार ने इसका कोई से संज्ञान नहीं लिया।