एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के मुख्य शहरों के बाहर तालिबान लड़ाकों के पास खाने के लिए बहुत कम खाना बचा है। न्यूयॉर्क पोस्ट के लेख में दावा किया गया है कि स्थानीय अफगान तालिबान को भोजन देकर गुजारा चला रहे हैं। तालिबान के देश पर नियंत्रण करने के बाद प्रमुख अंतरराष्ट्रीय दाताओं के मदद बंद कर देने से यह नौबत आई है।
विश्व बैंक के अनुसार, पिछले वर्ष अफगानिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद के 42 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय मदद का था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता जारी रखने की अपील की, क्योंकि अमेरिका इस क्षेत्र से निकल रहा था।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अफगानिस्तान डायरिया और कुपोषण के मामलों में वृद्धि से पीड़ित है। संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य निकाय ने पहले देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं को तुरंत फिर से शुरू करने और महिलाओं को महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अनुरोध किया था।
उस समय हालात बदलने पर स्वीडन, जर्मनी और फिनलैंड ने कहा था कि वे अफगानिस्तान को विकास सहायता अस्थायी रूप से रोक देंगे।
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न्यूयॉर्क पोस्ट ने कहा कि अधिकांश तालिबान लड़ाकों को महीनों में पैसा नहीं मिला है क्योंकि पश्चिमी देशों द्वारा देश छोड़ने के बाद नकदी की कमी हो चुकी है।
इस बीच जिनेवा में एक दाता सम्मेलन के बाद तालिबान ने विश्व समुदाय को शुक्रिया कहा, जिसने अफगानिस्तान के लिए 1.2 बिलियन डॉलर की सहायता का वादा किया।
तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अमेरिका से “बड़ा दिल” दिखाने का आग्रह किया और “पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से” जरूरतमंदों को सहायता पहुंचवाने का वादा किया।
मुत्ताकी ने कहा, “हम दुनिया के करीब एक अरब डॉलर की सहायता की वादे का धन्यवाद और स्वागत करते हैं।”
मुत्ताकी ने बताया कि देश सूखे का सामना कर रहा है और उसे कतर, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से सहायता मिली है। विदेश मंत्री ने कहा कि चीन 15 मिलियन डॉलर की सहायता सहित कोरोनावायरस वैक्सीन भेजने को तैयार है।