120 दिन तक आंदोलन के बाद देशव्यापी सफल बंद किसानों के हौसलों की जीत: किसान मोर्चा

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Thousands Farmers Bus Conductor Barnala

देशव्यापी बंद की सफलता पर संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलनकारियों को बधाई दी है। मोर्चा के नेताओं ने कहा कि यह हौसला बीते चार महीने में दुश्वारियों का सामना करने से उपजा है। आंदोलन को तोड़ने की सरकारी कोशिशें इस मौके पर भी उजागर हुईं, जब गुजरात में प्रेस कांफ्रेंस कर रहे किसान नेता युद्धवीर सिंह को पुलिस ने अभद्रतापूर्वक गिरफ्तार किया, ये लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।

मोर्चा के कोऑर्डिनेटर डॉ.दर्शनपाल ने बताया कि देश के कई हिस्सों में बंद पूरी तरह सफल रहा, जबकि बाकी हिस्सों में उसका प्रभाव साफतौर पर देखा गया। उन्होंने बताया कि बिहार में 20 से ज्यादा जिलों में, पंजाब में 200 से ज्यादा स्थानों पर और हरियाणा में भी बड़े पैमाने पर लोगों ने बंद को सफल बनाया। कर्नाटक व आन्ध्रप्रदेश में भी व्यापक स्तर पर बंद का प्रभाव रहा।

kisan andolan
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले चार महीने से आंदोलन कर रहे किसानों ने 26 मार्च को भारत बंद किया

अनेक राजनीतिक दलों, बार संघ, ट्रेड यूनियनों, छात्र संगठनों, जनवादी संगठनों, आढ़ती एसोसिएशन, छोटे व्यापारियों, सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत संगठन, सामाजिक व धार्मिक संगठनों व जागरूक नागरिकों ने बंद का समर्थन कर ऊर्जा कई गुना बढ़ा दी।

उन्होंने बताया कि बिहार में बड़े पैमाने पर भारत बंद का असर देखा गया। पटना सहित भोजपुर, रोहतास, बक्सर, गया, नवादा, शेखपुरा, नालंदा, पूर्णिया, बेगूसराय, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीवान, वैशाली समस्तीपुर, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, जमुई, पश्चिमी चम्पारण, आदि जिलों में बंद का व्यापक असर रहा।

उत्तरप्रदेश में अलीगढ़, मुरादाबाद, इटावा, संभल समेत कई जगहों पर सड़के व बाजार बंद रखे गए। आंध्रप्रदेश में सरकार समेत लगभग सभी राजनीतिक दलों ने बंद का समर्थन किया। कुरनूल व विजयवाड़ा में किसान संगठनों ने बंद को सफल बनाया। वारंगल, हनमाकोंडा व महबूबाबाद समेत दर्जनों जगह तेलंगाना में भारत बंद का असर देखा गया।

कर्नाटक के बैंगलोर समेत मैसूर, गुलबर्गा, मांड्या में किसानों ने सांकेतिक धरने दिए। मैसूर में तीन कृषि कानूनों की प्रतियां भी जलाई गईं। ओडिशा के केंद्रपाड़ा व भद्रक व अन्य जगहों पर किसानों ने भारत बंद में अपना सहयोग दिया।

उतराखंड में उधम सिंह नगर में बड़ी संख्या में किसानों ने बंद को सफल बनाया। झारखंड में रांची समेत अन्य जिलों में किसानों ने सडकें जाम कीं। महाराष्ट्र में भी किसानों ने भारत बंद से भूमिका निभाई व पालघर और जलगांव में किसानों ने सड़कें बंद रखीं।

राजस्थान के बीकानेर, श्रीगंगानगर, केसरीसिंहपुर, पदमपुर, अनूपगढ़, एनएच-62 व अन्य स्थानों पर किसानों ने सड़कें जाम कीं। हरियाणा में लगभग हर जिले से भारत बंद के सफल आयोजन की खबरें हैं। कुरुक्षेत्र, करनाल, सोनीपत, यमुनानगर, अंबाला आदि शहरों से संचालन बंद रहा। पंजाब में मनसा, अमृतसर, मोगा, फिरोजपुर, जालंधर समेत तमाम जगहों पर भारत बंद के सफल कार्यक्रम हुए।

पंजाब विश्वविद्यालय व पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में छात्र सक्रिय रूप से इस आन्दोलन में सेवा कर रहे है। आज सयुंक्त किसान मोर्चे की भारत बंद की कॉल पर छात्रों ने एक मार्च निकाला। वहीँ पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ, छात्र संगठनों व स्टाफ ने आज के भारत बंद को समर्थन दिया।

दिल्ली के आसपास के धरनास्थलों पर मौजूद किसानों ने आसपास की सड़कें व रेलमार्ग जाम किए। दिल्ली के मजदूर संगठनों और जनवादी संगठनों ने दिल्ली के अंदर भी विरोध प्रदर्शन किया। मायापुरी, कालकाजी समेत अन्य जगहों पर जागरुक नागरिकों ने सांकेतिक हड़ताल की।

उतराखंड से चली किसान मजदूर जागृति यात्रा कल दिनांक 25 मार्च को गुरुद्वारा नानक बाड़ी मुरादाबाद में पहुंच गई थी। आज यहां से यात्रा आरंभ होकर गुरुद्वारा गढ़ गंगा तक पहुंचनी थी, लेकिन भारत बंद के कारण से जागृति यात्रा मुरादाबाद में निरस्त कर दी गई।

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पुलिसिया कार्रवाई की निंदा

मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा, भारत बंद कार्यक्रम के दौरान कर्नाटक और गुजरात समेत भाजपा शासित राज्यों में कई संयुक्त किसान मोर्चा नेताओं और कैडर को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया। यह शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे नागरिकों के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है, जिसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्तमान किसानों के विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में भी कहा है।

मोर्चा के प्रमुख नेता व बीकेयू टिकैत के युद्धवीर सिंह, जेके पटेल, गजेंद्र सिंह, रंजीत सिंह व अन्य गुजरात के भावनगर में प्रेस कांफ्रेंस करने गए थे, वहां उनको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

इसी तरह कर्नाटक में कविता कुरुगूंटी, कोडिहल्ली चंद्रशेखर, बेयारेड्डी, ट्रेड यूनियन नेताओं और अन्य प्रदर्शनकारियों को बैंगलोर में पुलिस द्वारा उठाया गया। कर्नाटक पुलिस ने गुलबर्गा में भी कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। एसकेएम ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ इस व्यवहार की कड़ी निंदा और विरोध किया।

मोर्चा ने बेंगलुरु के टाउन हॉल में सिविल कपड़ों में महिला पुलिस की तैनाती की भी निंदा की है। पदाधिकारियों ने बयान जारी कर कहा कि भाजपा शासित सरकारें किसान आंदोलन को दबाने के लिए अपनी बौखलाहट में बुनियादी मानदंडों और नियमों का उल्लंघन कर रही हैं।

मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि तीन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की गारंटी के लिए दिल्ली की सीमाओं पर चार महीने से जारी आंदोलन न सिर्फ किसानों के हौसले की जीत है, यह सरकार के लिए शर्म की भी बात है। लक्ष्य हासिल होने तक ये हौसला टूटने वाला नहीं है।

एसकेएम पदाधिकारियों ने कहा, हमें जानकारी मिली है कि बंद के दौरान कुछ जगहों पर मीडियाकर्मियों और आम लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ा। जाने अनजाने में अगर प्रदर्शनकारियों की इसमें भागीदारी है तो हमें खेद है।

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