बरेली में आमद-ए-रसूल के जश्न में ख़ुराफ़ात रोकने को उठे क़दम, डीजे के बाद अब ये चीज़ें बैन

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द लीडर हिंदी : भले ही देर से सही लेकिन आला हज़रत की नगरी कहे जाने वाले यूपी के ज़िला बरेली के मज़हबी आयोजनों में कुछ कड़े क़दम मुस्लिम समाज की तरफ से ही उठाए जा रहे हैं. पिछले साल जुलूस-ए-मुहम्मदी में डीजे पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई थी. तय कर लिया गया था कि डीजे के साथ आने वाली अंजुमन को जुलूस में शामिल नहीं होने देंगे. फ़ैसला बहुतों को नागवार गुज़रा. विरोध भी हुआ पर उसका कड़ाई से पालन कराया गया. तब काफी अंजुमनों का शिकवा था कि डीजे पहले बुक करा चुके थे, पाबंदी बाद में लगाई गई. उसी से नसीहत लेते हुए इस बार जुलूस की आयोजक अंजुमन ख़ुद्दाम-ए-रसूल ने दो माह पहले ही साफ कर दिया है कि जुलूस में क्या होगा और क्या नहीं होने दिया जाएगा. इसके लिए अंजुमन की क़ुतुबख़ाना स्थित कार्यालय पर मीटिंग की गई. इसमें अध्यक्ष सय्यद आसिफ़ मियां, सेक्रेट्री शान अहमद रज़ा, नायब सदर डॉ. नफ़ीस ख़ान, अफ़ज़ाल बेग, हाजी उवैस ख़ान, शावेज़ हाशमी वग़ैरा मौजूद रहे. एक राय से तय किया गया कि डीजे जुलूस का हिस्सा इस मर्तबा भी नहीं होंगे. इसके बाद और तमाम बातों पर तफ़सील से चर्चा हुई. जब जुलूस के रूट की बात आई तो यह पहले की तरह ही कोहाड़ापीर से शुरू होगा.

क़ुतुबखाना पर बने नवनिर्मित महादेव सेतु से होकर गुज़रेगा. नावल्टी चौराहा पर पहलवान साहब की मज़ार होकर इस्लामिया इंटर कॉलेज, ज़िला पंचायत मार्ग, बिहारीपुर होकर दरगाह आला हज़रत पहुंचेगा. गलियों में नहीं जाएगा. पुराना शहर से जुलूस में शामिल होने के लिए आने वाली अंजुमनों के लिए श्यामगंज पुल से नीचे शाहबाद, भूड़ होकर क़ुतुबख़ाना आने की बात फाइनल हुई. अंजुमनें मनमर्ज़ी गलियों में नहीं घुसेंगी, जिससे अनावश्यक विवाद खड़ा हो, जैसा कि एक बार 2010 के जुलूस में चाहबाई में हो चुका है. अंजुमन के सेक्रेट्री शान अहमद रज़ा ने बताया कि जुलूस में शामिल होने वाली अंजुमनों को साउंड के लिए दो सुराही की इजाज़त रहेगी.

वाहन भी डीसीएम, टेम्पो, कार, जीप नहीं ला सकेंगे. महज़ टुकटुक यानी ई-रिक्शा के साथ आना होगा. जो अंजुमन इन शर्तों को मानेंगी उन्हीं को जुलूस में शामिल होने की इजाज़त रहेगी. ऐसी अंजुमनों को ग्रीनकार्ड भी मिलेगा. नियमों का दायरा लांघने वाली अंजुमन पर कार्रवाई के लिए पुलिस स्वतंत्र होगी. उसमें अंजुमन ख़ुद्दाम-ए-रसूल के ओहदेदार मदाख़लत नहीं करेंगे. जुलूस में कुछ लड़के उछलकूद करते भी दिखाई देते रहे हैं, जिसे शरीयत के ख़िलाफ़ क़रार दिया जाता है. उसे कैसे रोका जाएगा.