सोनिया गांधी ने बुलाई मुख्यमंत्रियों कि बैठक : जानिए क्या है वजह ?

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दिल्ली | कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी शनिवार को देश में बेकाबू हुई कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार को लेकर बनी वर्तमान स्थिति के मुद्दे पर कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक वर्चुअल बैठक करेंगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी बैठक में भाग लेंगे। बैठक में देश में कोविड-19 की वर्तमान स्थिति की समीक्षा भी की जाएगी। सोनिया गांधी इस दौरान पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से जनता की मदद करने का सुझाव दे सकती हैं।

वैक्सीन शॉर्टेज पर चर्चा

बैठक के दौरान देश के कई राज्यों में जारी वैक्सीन की कमी का मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। दरअसल महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, यूपी, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार में वैक्सीन की कमी की खबरें सामने आई हैं। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर टीके के निर्यात पर तत्काल रोक लगाने और हर किसी के लिए टीकाकरण की शुरुआत करने की मांग की थी।

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यह बैठक कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी गई चिट्ठी के एक दिन बाद होने जा रही हैं। आपको बता दें कि राहुल गांधी ने कोरोना टीकों के निर्यात पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। पीएम की आलोचना करते हुए, राहुल गांधी ने पूछा था कि क्या टीकों का निर्यात प्रचार को बढ़ाने का एक प्रयास था।

11 से 14 अप्रैल तक टीका उत्सव आयोजित करने के लिए मुख्यमंत्रियों की पीएम मोदी की अपील का उल्लेख करते हुए उन्होंने ट्वीट किया कि कोरोना मामलों में वृद्धि के बीच टीकों की कमी एक बहुत गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा, “टीकाकरण में भारत को पहला लाभ मिला है और इसके बावजूद हम एक घोंघे की गति से आगे बढ़ रहे हैं।”

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उन्होंने प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि टीके के आपूर्तिकर्ताओं को जरूरी संसाधन मुहैया कराए जाएं ताकि टीके तैयार करने की क्षमता में इजाफा हो सके। कांग्रेस नेता ने देश में कोरोना वायरस संक्रमण की नयी लहर आने और टीकाकरण की गति कथित तौर पर धीमी होने का भी उल्लेख किया। उन्होंने दावा किया कि अगर मौजूदा गति से टीकाकरण चलता रहा तो देश की 75 फीसदी आबादी को टीका लगाने में कई साल लग जाएंगे।

राहुल गांधी ने कहा, ”भारत के पास टीके की दौड़ में आगे होने का लाभ था, फिर भी हम टीकाकरण प्रक्रिया में बहुत ही धीमी गति से चल रहे हैं। वर्तमान में, हम 3 महीने में अपनी जनसंख्या अनुपात के सिर्फ एक फीसदी को ही दो खुराक दे पाए हैं।” उन्होंने कहा, ”यहां पर कोई स्पष्ट कारण नहीं है कि सरकार ने बड़े स्तर पर टीके के निर्यात की अनुमति क्यों दी, जबकि हमारा देश वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है। टीके की 6 करोड़ से अधिक खुराक का निर्यात किया जा चुका है।”

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