सोमालियाई लोगों को लीलने लगा अकाल, सूखे ने मचाई तबाही

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संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने मंगलवार को सोमालिया में लाखों लोगों को अकाल के खतरे का अलर्ट जारी किया है, जिसमें सबसे ज्यादा छोटे बच्चों की जान का खतरा है। बरसों से गरीबी और अशांति से जुझ रहे हॉर्न ऑफ अफ्रीका कहे जाने वाला सोमालिया भीषण सूखे की चपेट में आ चुका है। (Somalians Hit By Famine)

डब्ल्यूएफपी, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), मानवीय एजेंसी ओसीएचए और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने संयुक्त बयान में कहा गया है कि सोमालिया के छह क्षेत्रों में “अकाल की स्थिति” की संभावना है।

उन्होंने कहा कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं, क्योंकि खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों और पशुधन की समस्या के चलते भोजन और दूध की बेहद कमी हो चुकी है।

बयान में कहा गया है कि साल के अंत तक लगभग 14 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार होने की आशंका है, जिसमें लगभग एक चौथाई बच्चे गंभीर कुपोषित हो सकते हैं। (Somalians Hit By Famine)

यूएन एजेंसियों ने बयान में कहा, “सोमालिया अकाल की स्थिति का सामना कर रहा है क्योंकि बेहद कम बारिश, आसमान छूती खाद्य कीमतों और धन की भारी कमी के चलते लगभग 40 प्रतिशत सोमालिया दाे निवाले को तड़प रहा है।”

सूखे से सोमालिया के कई हिस्से तबाह हो रहे हैं, जिसने इथियोपिया और केन्या सहित इस क्षेत्र के अन्य देशों में भी पैर पसारना शुरू कर दिया है। हालात को देखकर संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने संकट को दूर करने का अलर्ट जारी किया है और अाशंका जताई है कि मदद न मिलने पर यहां 2011 के अकाल की नौबत आ जाए, जब लाखों लोग भूख से मर गए।

2011 के अकाल में 2 लाख 60 हजार लोग, जिनमें छह साल से कम उम्र के आधे बच्चे – भूख या भुखमरी से जुड़ी बीमारियों से मर गए थे। (Somalians Hit By Famine)

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के सोमालिया प्रतिनिधि अल-खिदिर दलौम ने देश को “मानवीय तबाही के कगार पर” बताते हुए कहा, “हम सचमुच भूखे से तड़प रहे लोगों को भोजन दान लेने वाले हैं।”

एजेंसियों ने कहा कि 60 लाख सोमालियाई यानी 40 प्रतिशत आबादी अभी खाद्य असुरक्षा के चरम स्तर का सामना कर रही है। नई रिपोर्ट के अनुसार, साल की शुरुआत से अब तक भुखमरी से जुझने वाली आबादी लगभग दो गुना हो चुकी है। (Somalians Hit By Famine)

प्राकृतिक आपदाएं या संघर्ष नहीं, हाल के वर्षों में सोमालिया में विस्थापन ने जीवन तबाह किया है। यह युद्धग्रस्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया के सबसे कमजोर देशों में शुमार है।


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