रूस-यूक्रेन संकट: मुश्किल में ‘काला सागर का द्वारपाल’ तुर्की

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रूस-यूक्रेन के बीच तकरार का मसला पूरी दुनिया को परेशानी में डालने वाला है। रूस के ताबड़तोड़ हमले से यूक्रेन दो दिन में ही भरभराकर जमीन पर आ गया है और उसकी मदद नाटो अभी नहीं उतरा है, हालांकि रूस पर अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने तमाम आर्थिक-राजनैतिक प्रतिबंधों का ऐलान किया है। जो हालात हैं, उसमें भारत समेत तमाम देशों की विदेश नीति -कूटनीति का सख्त इम्तिहान हो रहा है। ऐसे ही हालात से तुर्की भी गुजर रहा है, क्योंकि वह नाटो सदस्य भी है और रूस के साथ ताल्लुकात भी काफी अच्छे हैं। (Russia-Ukraine Turkey)

तुर्की के सामने सबसे बड़ी मुश्किल पेश तब आई, जब यूक्रेन ने रूसी जहाजों के लिए जलडमरूमध्य बंद करने को कहा। तुर्की की समुद्री सीमाएं यूक्रेन और रूस के साथ जुड़ी हैं। दिक्कत यह भी है कि 1936 के मॉन्ट्रो कन्वेंशन के तहत तुर्की के पास जलडमरूमध्य को नियंत्रित करने का अधिकार हासिल है। अंकारा के पास यह विशेषाधिकार है कि काला सागर की सीमा से लगे देशों से संबंधित युद्धपोतों की आवाजाही काे बंद कर सकता है।

युद्ध के दौरान या आक्रमण के खतरे के चलते तुर्की सभी विदेशी युद्धपोतों के पारगमन के लिए जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है, जबकि गैर-काला सागर देशों और तटवर्ती देशों को जहाजों की आवाजाही से संबंधित नियंत्रण को लेकर अंकारा को 15 दिन और 8 दिन पहले सूचित करना होगा।

इसी नियंत्रण की वजह से न चाहते हुए भी तुर्की पश्चिमी ताकतों का अनिवार्य हिस्सा बन गया है। दूसरी ओर रूस है, जिससे इस मौके पर बिगाड़ना दूरगामी नतीजों का जोखिम रहेगा।

वाशिंगटन इंस्टीट्यूट में तुर्की कार्यक्रम के निदेशक सोनर कैगाप्टे का मानना है कि अगर अंकारा ने काला सागर में रूसी नौसेना के दाखिले से इनकार कर दिया तो यह बड़े विवाद का पिटारा खोल देना होगा, क्योंकि तुर्की और रूस के बीच समुद्री मामलों में कुछ खास साझेदारी भी है।

ऐसा करने की कोशिश की गई तो मास्को मॉन्ट्रो कन्वेंशन पर फिर से बातचीत का दबाव बनाएगा और तुर्की को कभी भी मॉन्ट्रो नियंत्रण की मौजूदा स्थिति शायद हासिल न हो पाए। लिहाजा अंकारा तयशुदा स्थिति को बरकरार रखने की ही कोशिश कर सकता है। (Russia-Ukraine Turkey)

जलडमरूमध्य पर तुर्की की निगरानी व्यवस्था फिलहाल रूस और यूक्रेन के साथ अपने तटस्थ रुख की सीमाओं को परखेगी और तटस्थता निभाने की भूमिका में रहने की कोशिश होगी। एक प्रेस बयान में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने कहा भी है कि तुर्की रूस या यूक्रेन में किसी का भी साथ नहीं छोड़ेगा।

इस्तांबुल में मरमारा विश्वविद्यालय के रूस-तुर्की संबंधों के विशेषज्ञ प्रो. एमरे एर्सेन कहते हैं, दरअसल, तुर्की यूक्रेन या रूस के साथ अपने रिश्ते खत्म करने की हालत में बिल्कुल नहीं है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के साथ रणनीतिक संबंध काफी मजबूत हुए हैं। यही वजह है कि जंग रोकने को राजनयिक समाधान के प्रयास ही चारा हैं।

एर्सन को यह भी लगता है कि अंकारा मॉन्ट्रो कन्वेंशन के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने का प्रयास करेगा, क्योंकि यह दस्तावेज़ तुर्की को मौजूदा संकट में एक पक्ष चुनने बजाय तटस्थ रहने का मौका देता है।

तुर्की के लिए मुश्किल यह भी है कि एक ओर रक्षा उद्योग में यूक्रेन के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, क्योंकि वह अपने ड्रोन बेचता है और रक्षा सौदे के तहत उत्पादन साझेदारी है, दूसरी ओर रूसी गैस और रक्षा खरीद पर भी बहुत अधिक निर्भर है।

तुर्की को प्राकृतिक गैस का लगभग 33 प्रतिशत और 66 प्रतिशत गेहूं रूस से प्राप्त होता है।

वहीं पर्यटन के मौसम में यूक्रेनी और रूसी पर्यटक पारंपरिक रूप से तुर्की के कुल आगंतुकों का लगभग पांचवां हिस्सा होते हैं। (Russia-Ukraine Turkey)

लेकिन अंकारा, जिसने आधिकारिक तौर पर यूक्रेन के खिलाफ रूसी कदम को अस्वीकार्य बताया, अभी भी रूस पर किसी भी प्रतिबंध को लागू करने के खिलाफ खड़ा है- जिसे राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम कलिन ने हाल ही में बेकार की बात कहकर राजनयिक और संवाद के माध्यम से डी-एस्केलेशन को प्राथमिकता देने की बात कही।

अंकारा स्थित रूसी विश्लेषक आयडिन सेज़र का मानना है कि तुर्की ने अब तक दोनों पक्षों से आम समझदारी की बुनियाद पर संकट पर एक उदारवादी रुख का विकल्प चुना है।

यूक्रेन समर्थक रुख दिखाने से रूस को संदेहपूर्ण रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

सेज़र के अनुसार, यदि तुर्की अपने काला सागर जलमार्ग को पश्चिमी शक्तियों के बेड़े के लिए खोलता है या वह यूक्रेन के खिलाफ किसी भी हवाई खतरे के बारे में पश्चिम के साथ कोई खुफिया जानकारी साझा करता है, तो रूस इसे युद्ध के औचित्य के रूप में लेगा।

गुरुवार को एक बयान में तुर्की के विदेश मंत्रालय ने रूस से अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी कार्रवाई को तुरंत समाप्त करने का आग्रह किया और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को रेखांकित किया।

यह भी कहा कि मॉन्ट्रो के तहत, जलडमरूमध्य को पार करते समय विमान वाहक को तुर्की सरकार से अनुमति लेनी चाहिए।

हालांकि, एर्सेन की नजर में 2008 के रूसी-जॉर्जियाई युद्ध की तुलना में अंकारा के लिए रूस और पश्चिम के बीच मध्य-मार्ग नीति का पालन करना अधिक कठिन होगा।

2008 में तुर्की ने जॉर्जिया में रूस के सैन्य हस्तक्षेप पर मॉन्ट्रो के आधार पर बड़े अमेरिकी सैन्य जहाजों को काला सागर में प्रवेश करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। (Russia-Ukraine Turkey)

एर्सन ने कहा, तुर्की के नाटो सहयोगी निश्चित रूप से अंकारा पर मॉस्को के साथ अपने विशेष संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिए दबाव बढ़ाएंगे, जो तुर्की-रूसी संबंधों के लिए महत्वपूर्ण नतीजे भी पैदा कर सकता है, खासकर सीरियाई गृहयुद्ध और रूसी निर्मित एस-400 मिसाइलों जैसे मुद्दों के संबंध में।

रूसी रक्षा खरीद पर नाटो के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, तुर्की ने यूक्रेन के समर्थन में गठबंधन के भीतर अपना महत्व हासिल कर किया है। रॉयल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट के एसोसिएट फेलो सैमुअल रमानी का मानना है कि तुर्की यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करके नाटो की सहमति के साथ अपनी एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने कहा, तुर्की ने 2010 से यूक्रेन को एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखा है, काला सागर ताकत की स्थिति को भांपकर उपयोगी वाणिज्यिक सौदे के रास्ते खुलते हैं, खासतौर पर युद्ध और ड्रोन क्षेत्र में।

उन्होंने आगे कहा, इस संकट में तुर्की ने खुद को वार्ता के लिए सक्षम रूप में पेश करके नाटो को अपना मूल्य दिखाने की कोशिश की है जो कि फ्रांस का पूरक होगा। यह सिलसिला आगे नहीं बढ़ा, क्योंकि अमेरिका तुर्की की भूमिका को संदेह के साथ देखता है। (Russia-Ukraine Turkey)

रमानी के अनुसार, तुर्की अभी भी कूटनीति के समर्थन और रूस पर प्रतिबंधों का विरोध करेगा, क्योंकि उसे सीरिया, लीबिया और दक्षिण काकेशस जैसे कई अन्य मामलों में मास्को के साथ सहयोग की जरूरत है।

हालांकि, तुर्की अपने मॉन्ट्रो कन्वेंशन से हासिल ताकत का उपयोग काला सागर सुरक्षा में योगदानकर्ता के रूप में दिखाकर छवि को मजबूत करने और यूक्रेन को ड्रोन बेचने के लिए भी कर सकता है।

Source: Arab News


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