देशव्यापी हड़ताल के दिन पढ़िए ‘मां’ उपन्यास का अंश, जिसके लेखक मक्सिम गोर्की का आज जन्मदिन है

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केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर लेबर कोड, पुरानी पेंशन, निजीकरण, बेरोजगारी आदि मुद्दों पर 28 और 29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारी, असंगठित क्षेत्र के मजदूर, संविदा और ठेका श्रमिकाें के साथ ही खेत मजदूर भी शामिल हो रहे हैं। ट्रेड यूनियनों का अनुमान है कि दो दिन की इस हड़ताल में तकरीबन 25 करोड़ श्रमिक शामिल होंगे। (Mother Novel Maxim Gorky)

संयोग यह है कि पहले दिन की हड़ताल की तारीख में महान् रूसी साहित्यकार मक्सिम गोर्की का 28 मार्च 1868 को जन्म हुआ था, जिन्होंने मजदूर आंदोलन पर आधारित कालजयी उपन्यास मां लिखा था, जिसको आज भी उतनी ही ख्याति हासिल है, जितनी सौ साल पहले थी।

अलेक्सी मैक्सिमोविच पेशकोव यानी गोर्की साहित्य में नोबेल पुरस्कार के लिए पांच बार नामित भी हुए थे। गोर्की की सबसे प्रसिद्ध रचनाएं द लोअर डेप्थ्स (1902), छब्बीस पुरुष और एक लड़की (1899), द सॉन्ग ऑफ द स्टॉर्मी पेट्रेल (1901), माई चाइल्डहुड (1913-1914), मदर (1906), समरफोक (1904) और सन ऑफ़ चिल्ड्रेन (1905) थीं। उनका बेहतरीन रूसी लेखकों लियो टॉलस्टॉय और अंतोन चेखव के साथ जुड़ाव रहा।

GORKI WITH STALIN

गोर्की उभरते हुए मार्क्सवादी सामाजिक-लोकतांत्रिक आंदोलन के साथ सक्रिय रहे। उनके लेखन के मुरीद रूसी बोल्शेविक क्रांति के नायक लेनिन तक रहे। कुछ समय के लिए सोवियत संघ से निर्वासित भी रहे, लेकिन 1932 में स्टालिन के व्यक्तिगत बुलावे पर यूएसएसआर लौट आए और जून 1936 में अपनी मृत्यु तक वहां रहे। (Mother Novel Maxim Gorky)

‘मां’ उपन्यास में गोर्की ने रूसी समाजवादी क्रांति की गहराई को इस तरह उकेरा कि कोई भी इस रचना का प्रशंसक बन जाए। इस उपन्यास में अहम किरदार पावेल नाम का मजदूर है, जो क्रांतिकारी आंदोलन में भी शरीक है। पावेल कोर्ट में जो बयान देता है, उसके कुछ अंश आप भी पढ़िए-

‘‘हम क्रान्तिकारी हैं और उस समय तक क्रान्तिकारी रहेंगे जब तक इस दुनिया में यह हालत रहेगी कि कुछ लोग सिर्फ हुक़्म देते हैं और कुछ लोग सिर्फ़ काम करते हैं। हम उस समाज के ख़िलाफ हैं जिनके हितों की रक्षा करने की आप जज लोगों को आज्ञा दी गयी है। हम उसके कट्टर दुश्मन हैं और आपके भी और जब तक इस लड़ाई में हमारी जीत न हो जाय, हमारी और आपकी कोई सुलह मुमकिन नहीं है। और हम मजदूरों की जीत यकीनी है! आपके मालिक उतने ताकतवर नहीं हैं जितना कि वे अपने आपको समझते हैं। यही सम्पत्ति जिसे बटोरने और जिसकी रक्षा करने के लिए वे अपने एक इशारे पर लाखों लोगों की जान कुर्बान कर देते हैं, वही शक्ति जिसकी बदौलत वे हमारे ऊपर शासन करते हैं, उनके बीच आपसी झगड़ों का कारण बन जाती है और उन्हें शारीरिक तथा नैतिक रूप से नष्ट कर देती हैं। सम्पत्ति की रक्षा करने के लिए उन्हें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ती है। असल बात तो यह है कि आप सब लोग, जो हमारे मालिक बनते हैं हमसे ज़्यादा गुलाम हैं। हमारा तो सिर्फ़ शरीर गुलाम है, लेकिन आपकी आत्मायें गुलाम हैं । आपके कंधे पर आपकी आदतों और पूर्व–धारणाओं का जो जुआ रखा है उसे आप उतारकर फेंक नहीं सकते। लेकिन हमारी आत्मा पर कोई बंधन नहीं है। आप हमें जो जहर पिलाते रहते हैं वह उन जहरमार दवाओं से कहीं कमजोर होता है जो आप हमारे दिमागों में अपनी मर्जी के ख़िलाफ उँड़ेलते रहते हैं। हमारी चेतना दिन–ब–दिन बढ़ती जा रही है और सबसे अच्छे लोग, वे सभी लोग जिनकी आत्मायें शुद्ध हैं हमारी और खिंचकर आ रहे हैं, इनमें आपके वर्ग के लोग भी हैं। आप ही देखिये-आपके पास कोई ऐसा आदमी नहीं है जो आपके वर्ग के सिद्धान्तों की रक्षा कर सके; आपके वे सब तर्क खोखले हो चुके हैं जो आपको इतिहास के न्याय के घातक प्रहार से बचा सकें, आपमें नये विचारों को जन्म देने की क्षमता नहीं रह गयी है, आपकी आत्मायें निर्जन हो चुकी हैं। हमारे विचार बढ़ रहे हैं, अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं, वे जन–साधारण में प्रेरणा फूँक रहे हैं और उन्हें स्वतंत्रता के संग्राम के लिए संगठित कर रहे हैं। यह जानकर कि मजदूर वर्ग की भूमिका कितनी महान है, सारी दुनिया के मजदूर एक महान शक्ति के रूप में संगठित हो रहे हैं-नया जीवन लाने की जो प्रक्रिया चल रही है उसके मुकाबले में आपके पास क्रूरता और बेहयाई के अलावा और कुछ नहीं है। परन्तु आपकी बेहयाई भोंडी है और आपकी क्रूरता से हमारा क्रोध और बढ़ता है। जो हाथ आज हमारा गला घोंटने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं वही कल साथियों की तरह हमारे हाथ थाम लेने को आगे बढ़ेंगे। आपकी शक्ति धन बढ़ाते रहने की मशीनी शक्ति है, उसने आपको ऐेसे दलों में बाँट दिया है जो एक–दूसरे को खा जाना चाहते हैं। हमारी शक्ति सारी मेहनतक़श जनता की एकता की निरन्तर बढ़ती हुई चेतना की जीवन–शक्ति में है। आप लोग जो कुछ करते हैं वह पापियों का काम है, क्योंकि वह लोगों को गुलाम बना देता है। आप लोगों के मिथ्या प्रचार और लोभ ने पिशाचों और राक्षसों की अलग एक दुनिया बना दी है जिसका काम लोगों को डराना–धमकाना है। हमारा काम जनता को इन पिशाचों से मुक्त कराना है। आप लोगों ने मनुष्य को जीवन से अलग करके नष्ट कर दिया है; समाजवाद आपके हाथों टुकड़े–टुकड़े की गयी दुनिया को जोड़कर एक महान रूप देता है और यह होकर रहेगा।” (Mother Novel Maxim Gorky)

पावेल रुका और उसने एक बार फिर ज़्यादा जोर देकर पर धीमे स्वर में कहा :

“यह होकर रहेगा।”


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