रामदेव का दावा : बना ली है ब्लैक फंगस की भी दवा

0
343

 

द लीडर देहरादून।

कोरोना आया तो कुछ ही दिनों में रामदेव का पतंजलि ब्रांड कोरोनिल लेकर हाज़िर हो गया। अब ब्लैक फंगस का शोर हुआ तो उसकी भी दवा बना लेने का दावा कर दिया है। एक दैनिक अखबार के साथ हई बातचीत में खुद रामदेव ने खुलासा किया है।
रामदेव ने कहा है कि पतंजलि योगपीठ के पतंजलि रिसर्च सेंटर ने ब्लैक फंगस की आयुर्वेदिक दवा तैयार कर ली है। जरूरी औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है। इसके बाद जल्द ही यह बाजार में उपलब्ध होगी। इसके अलावा व्हाइट और यलो फंगस की दवा पर भी शोध जारी है।
गौरतलब है कि इसी साल फरवरी माह में बाबा रामदेव ने कोरोनारोधी दवा कोरोनिल लॉंच की थी। दावा किया गया था कि ये दवा कोरोना संक्रमितों को स्वस्थ कर देगी। इस दवा को लेकर विवाद उठा तो बाद में इसे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा बताया गया।
रामदेव ने बताया कि देश में फंगस के मामले बढ़ने के बाद इस दिशा में विचार किया गया। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण के दिशा-निर्देशन में पतंजलि रिसर्च सेंटर प्रमुख डा. अनुराग वार्ष्णेय की टीम ने इस पर काम करना शुरू कर दिया था। टीम ने पांच से छह सप्ताह में यह सफलता हासिल की है। रामदेव ने पतंजलि की इस सफलता के लिए आचार्य बालकृष्ण और डा. अनुराग को बधाई दी ।
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि पतंजलि में फंगस की दवा से संबंधित शोध अब पूरा हो चुका है। सरकारी एजेंसियों से मंजूरी लेने के साथ ही अन्य जरूरी औपचारिकताएं भी पूरी की जा रही हैं। एक से डेढ़ सप्ताह में ये काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद पतंजलि इसे लांच किया जाएगा।
उत्तराखंड में भी वहीं ब्लैक फंगस का भी हमला लगातार हो रहा है। अब तक विभिन्न अस्पतालों में 221 मामले दर्ज किए गए। इनमें अब तक 17 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है।

अब सुलह की मुद्रा में

एलोपेथी के डॉक्टरों का गुस्सा देख कर रामदेव बैकफुट पर हैं लेकिन इस पैथी के लिए दवा बनाने वाले उद्योग से अभी मोर्चा जारी रखना चाहते हैं।सोमवार रात बाबा एक बयान जारी कर
रामदेव ने अब एलान किया के वह एलोपेथी आयुर्वेद का विवाद को समाप्त करना चाहते हैं। उनका कहना है कि हमारा अभियान एलोपैथी या एलोपैथिक चिकित्सकों के नहीं है, बल्कि ड्रग माफिया के खिलाफ है, जो दो रुपये की दवा को 2000 तक बेचते हैं। उनके खिलाफ अभियान जारी रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि ड्रग माफिया के खिलाफ उनका यह अभियान जारी रहेगा। साथ ही आयुर्वेद को स्यूडो-साइंस और अल्टरनेटिव थैरेपी कहकर या किसी भी तरह से इसके प्रति घृणा रखने और इसे नीचा दिखाने, अपमानित करने की किसी भी कोशिश को सहन नहीं किया जाएगा।
रामदेव का कहना है कि वह कोरोना वैक्सीनेशन के विरोधी नहीं हैं और खुद भी वैक्सीन लगाएंगे। उन्होंने अपना नाम सबसे आखिरी लिस्ट के लिए बचा रखा है, क्योंकि वह चाहते हैं कि पहले जो भी जरूरतमंद लोग हैं, उनको वैक्सीन लगे। उनका कहना है कि उनकी इम्यूनिटी पावर काफी बेहतर है और उनकी बायलॉजिकल उम्र अभी सिर्फ 25 वर्ष की है। ऐसे में उनसे ज्यादा अन्य लोगों को इसकी जरूरत है। बाबा रामदेव ने कहा कि उनका प्रयास है कि उनसे पहले पतंजलि योगपीठ के सभी कर्म योगी और सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को वैक्सीन लग जाए।