रामदेव को खेद जताकर वापस लेना ही पड़ा विवादित बयान

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द लीडर डेस्क।

भाजपा के परम प्रिय बाबा रामदेव के खिलाफ पहली बार भाजपा सरकार को सख्त होना पड़ा। देशभर के एलोपैथी डॉक्टरों के रोष और आईएमए की चेतावनी के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को उन्हें सख्त पत्र लिखना पड़ा। कल तक डॉक्टरों के विरोध को ही निराधार बता रहे रामदेव ने इस प्रकरण पर अब खेद जताते हुए अपना बयान वापस ले लिया है। उनका ट्वीट डॉ हर्षबर्धन को ही संबोधित है, आईएमए इस खेदनामे को किस तरह लेती है यह अभी देखना है।

आईएमए के विरोध को देखते हुए कल डॉ हर्षवर्धन ने रामदेव को दो पेज की चिट्ठी लिखी थी। इसमें कहा गया था कि आपने(रामदेव ने) जो बयान दिया है उससे न सिर्फ कोरोना योद्धा बल्कि देश के आम लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। सम्पूर्ण देशवासियों के लिए डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मी देवतुल्य हैं। महामारी के उस दौर में एलोपैथी और उससे जुड़े डॉक्टरों ने करोड़ों लोगों की जान बचायी है। ऐसे में आपका यह कहना कि एलोपैथी तमाशा और स्टूपिड साइंस है औऱ इससे लोगों की मौत हो रही है बहुत दुर्भायपूर्ण है।
चेचक, सार्स, इबोला आदि बीमारियों के इलाज में एलोपैथी के योगदान का जिक्र करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने रामदेव को सोच समझ कर बयान जारी करने की नसीहत देते हुए उनकी पहली सफाई को नाकाफी बताया था और खेद सहित बयान वापस लेने को कहा था।
रामदेव ने खेद व्यक्त कर पूर्ण बयान वापस लेने के ट्वीट के साथ अपना पत्र भी डाला है। जिसमें कहा गया है कि वह सभी चिकित्सा पद्धतियों का सम्मान करते हैं। यह भी लिखा है कि यदि एलोपैथी ने टीबी, सार्स जैसी बीमारियों का उपचार खोजा तो हमने भी शुगर, रक्तचाप आदि का उपचार खोजा है। बहरहाल उन्होंने इस विवाद को यहीं विराम देने के साथ खेद व्यक्त किया है ।
रामदेव बाबा को आईएमए ने कानूनी नोटिस भेज कर पूछा है कि अनर्गल बयान के लिए क्यों न उन पर मुकदमा चलाया जाए? रामदेव एक वायरल बयान में एलोपैथी को तमाशा, दिवालिया और स्टूपिड साइंस कहते नज़र आ रहे हैं। संगठन ने देश के स्वास्थ्य मंत्री से उनके खिलाफ महामारी अधिनियम में मुकदमा दर्ज करने की भी गुजारिश की है। इस बीच दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने दरियागंज थाने में तहरीर देकर रामदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
इससे पहले आईएमए ने एक बयान में कहा था कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि उन्होंने ऐलोपैथी और वैज्ञानिक चिकित्सा के खिलाफ ‘अज्ञानताभरा’ बयान देकर लोगों को गुमराह करने का काम किया और चिकित्सा विज्ञान को बदनाम किया।
कल पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ने एक बयान जारी कर कहा कि रामदेव चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों का ‘बेहद सम्मान’ करते हैं जो महामारी के ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में दिन-रात काम कर रहे हैं। इसमें कहा गया कि वह -वह उन्हें और कार्यक्रम में भाग ले रहे कई अन्य सदस्यों को व्हाट्सऐप पर प्राप्त एक अग्रसारित संदेश पढ़ कर सुना रहे थे।