द लीडर : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संसद भंग कर दी है. इससे नेपाल में राजनीतिक बवंडर खड़ा हो गया है. सत्ताधारी दल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) का एक धड़ा स्वयं संसद भंग किए जाने के कदम के खिलाफ खड़ा है. इसके विरोध में ओली मंत्रीमंडल के सात मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है. वहीं, मुख्य विपक्षी दल नेपाल कांग्रेस (एनसी) ने भी कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि संसद भंग करने को संवैधानिक भावना के खिलाफ बताया है. (Political Dissolution Nepal Election)
नेपाल में यह भूचाल ऐसे समय मचा है, जब एक तरफ कोरोना संक्रमण का खतरा बना है तो दूसरी ओर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दो धड़ों में बंटी है. एक धड़े का नेतृत्व 68 वर्षीय प्रधानमंत्री ओली कर रहे हैं. दूसरे खेमे का नेतृत्व पूर्व प्रधनमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड संभाले हैं. नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रचंड दबाव से बचने के लिए ही ओली ने संसद भंग करने का फैसला लिया है. Political Dissolution Nepal Election
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सत्तारूढ़ एनसीपी के प्रवक्ता नारायण श्रेष्ठ ने ओली के इस फैसले को अलोकतांत्रिक और निरंकुश बताया है. इतना ही नहीं एनसीपी की स्थायी समिति की बैठक में भी ओली के निर्णय की आलोचना हुई और प्रधानमंत्री के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किये जाने की सिफारिश की गई है. वहीं, विपक्षी दल एनसी के प्रवक्ता बिस्वा प्रकाश शर्मा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि, ‘ कोविड-19 महामारी के बीच पार्टी की अंदरूनी कलह से देश को अस्थिर करने की कोशिश निंदनीय है. एनसी, राष्ट्रपति भंडारी से आग्रह करती है कि संविधान के रक्षक के तौर पर इस फैसले को खारिज करें.’Political Dissolution Nepal Election
नेपाल की इस राजनीतिक उथल-पुथल पर भारत और चीन दोनों ही निगाह गढ़ाए हैं. इसलिए क्योंकि ओली का झुकाव चीन की तरफ था. वे इसी वादे के साथ सत्ता में आए थे कि चीन से संबंध मजबूत करेंगे. ताजा घटनाक्रम से भारत को लाभ पहुंचने की संभावना बनी है. इसलिए क्योंकि नेपाल की पूर्ववर्ती सरकारों ने भारत के साथ हमेशा मधुर रिश्ते रखे हैं. जबकि ओली सरकार सीमा विवाद को अक्सर हवा देती रही है. Political Dissolution Nepal Election
अप्रैल-मई में हाेने हैं मध्यावधि चुनाव
-नेपाल की निर्वाचित प्रतिनिधि सभा यानी संसद के निचले सदन में 2017 में 275 सदस्य निर्वाचित हुए थे. नैशनल एसेंबली, उच्च सदन है. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक आदेश के मुताबिक राष्ट्रपति ने 30 अप्रैल को पहले और 10 मई को दूसरे चरण का मध्यावधि चुनाव कराये जाने का ऐलान किया है.
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