द लीडर | देश में गंभीर आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। श्रीलंका की स्थानीय मीडिया के हवाले से इसका दावा किया गया है। बताया जा रहा है कि विपक्ष की अंतरिम सरकार बनाने की मांग के आगे झुकते हुए राजपक्षे ने यह कदम उठाया है।
इससे पहले आई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री से अपने पद से इस्तीफा देने का आग्रह किया है। लेकिन महिंदा राजपक्षे ने इसका खंडन किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की ओर से ऐसा कोई आग्रह नहीं किया गया है और वह इस्तीफा नहीं देंगे। श्रीलंकाई मीडिया के मुताबिक सत्तारूढ़ SLPP और सहयोगी दलों के बीच लंबी चर्चा के बाद महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया है।
पूरे श्रीलंका में लगा कर्फ्यू
श्रीलंकाई अधिकारियों ने सोमवार को पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया। इस बीच सरकार समर्थक समूहों द्वारा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद राजधानी कोलंबो में सेना के जवानों को तैनात किया गया है। इस हमले में कम से कम 23 लोग घायल हो गए। एक पुलिस प्रवक्ता ने स्थानीय मीडिया के हवाले से कहा कि अगले नोटिस तक तत्काल प्रभाव से पूरे श्रीलंका में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
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श्रीलंका में लागू है इमरजेंसी
श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर बढ़ते विरोध-प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 6 मई को देश में इमरजेंसी लगाने का ऐलान कर दिया था। गोटबाया राजपक्षे ने देश में बिगड़ते हालात के बीच इमरजेंसी लगाने का फैसला लिया था। श्रीलंका में जब इमरजेंसी लगाने का फैसला लिया गया, बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे। हजारों की तादाद में छात्र सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में 4 अप्रैल को भी इमरजेंसी लगाई गई थी।
एक महीने में 2 बार लगा आपातकाल
खराब आर्थिक हालात के मद्देनजर आम लोगों ने शुक्रवार को नेशनल असेंबली में हिंसक प्रदर्शन किए। जिसके बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने फिर से इमरजेंसी लगाने की घोषणा की। श्रीलंका में एक महीने बाद दोबारा आपातकाल लगाया गया है। इसके पहले ने 1 अप्रैल को भी इमरजेंसी लगाई गई थी, जिसे 6 अप्रैल को हटा दिया गया था।
आर्थिक संकट के बीच राजनीतिक अस्थिरता
श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट के बीच सरकार राजनीतिक मोर्चे पर भी जूझ रही थी। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था। राजनीतिक अस्थिरता के माहौल में राष्ट्रपति पर अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन कर पाने में असफल रहने का आरोप लगाया गया था। विपक्षी दल देश को आर्थिक संकट के भंवर से निकालने के लिए अंतरिम सरकार के गठन की मांग कर रहे थे।
चरमरा गई है श्रीलंका की अर्थव्यवस्था
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। महंगाई बेतहाशा बढ़ी है। बद से बदतर होते हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक अंडे के लिए लोगों को 30 और आलू के लिए 380 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। हालात इतने बिगड़ गए कि पेट्रोल पंपों पर सेना की तैनाती करनी पड़ी थी। खाने-पीने की चीजों के साथ ही देश में कागज की भी किल्लत हो गई है जिसकी वजह से परीक्षा कराना भी सरकार के लिए चुनौती साबित हो रही है।