अयोध्या में ज़मीन खरीद विवाद में विपक्ष हमलावर : सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच करवाने की मांग

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द लीडर | अयोध्या में अफसरों-नेताओं व उनके रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीदे जाने के खुलासे के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में फिर गर्माहट आगई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और बसपा सुप्रीमो समेत कई विपक्षी दलों ने इस मामले में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर हमला बोला है। विपक्ष की मांग है की इस मामले की पूरी जांच सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में कराए।

प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर सवाल उठाए हैं। दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में प्रियंका ने कहा कि भाजपा के नेता, पदाधिकारी और योगी के अफसर सब लूट में शामिल हैं। ये अफसरों और नेताओं का होलसेल करप्शन है। राम मंदिर ट्रस्ट हाईकोर्ट के आदेश पर बना था। इसलिए इसकी जांच भी हाईकोर्ट के स्तर पर ही होनी चाहिए।

प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि सरकार इसमें जांच के नाम पर लीपापोती कर रही है। कोई जिलाधिकारी अयोध्या के मेयर की भूमिका की जांच कैसे कर सकता है। ये बहुत बड़ा मामला है। सरकार यदि वाकई जांच कराना चाहती तो डीएम स्तर के अधिकारी को जांच क्यों सौंपती। जमीन खरीदने में कई स्तर पर गड़बड़ी हुई। दलितों की जमीन जो खरीदी नहीं जा सकती थी, वो हड़पी गई। प्रियंका ने कहा कि राम ने सत्य के पथ पर चलकर बलिदान दिया। उन्हीं राम के नाम पर ये भ्रष्टाचार कर रहे हैं। पूरे देश की आस्था को चोट पहुंचा रहे हैं।


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मोदी-योगी सरकार की सरपरस्ती में खेला जा रहा खेल

मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अयोध्यापति मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के नाम पर सारी मान-मर्यादा को ताक पर रखकर राम मंदिर के चंदे की लूट का खेल खेला जा रहा है। कांग्रेस ने कहा कि भगवान श्रीराम तो हैं ही वचनों की मर्यादा, त्याग और नैतिकता। लेकिन साफ है कि इसे दरकिनार कर भाजपाई नेजाओं, उनके मित्रों व राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के लोगों ने चंदे की लूट का यह खेल मोदी और योगी सरकारों की सरपरस्ती में खेला जा रहा है।

5 मिनट में 2 करोड़ की जमीन 18 करोड़ में बेची गई

कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाते हुए कहा कि राम मंदिर ट्रस्ट व उसके सचिव चंपतराय को 18 मार्च 2021 को शाम 5 बजकर 11 मिनट पर कैसे पता था कि रवि मोहन तिवारी व सुलतान अंसारी यह जमीन खरीदने के स्टांप पेपर 18 मार्च 2021 को शाम 5 बजकर 22 मिनट पर बजे खरीदेंगे और शाम 7 बजकर 10 मिनट पर रजिस्ट्री करवाएंगे। फिर इसके 5 मिनट बाद 2 करोड़ में खरीदी जमीन को 18.5 करोड़ में राम मंदिर ट्रस्ट को बेच देंगे।

कांग्रेस के 5 बड़े सवाल

1- कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राम मंदिर निर्माण में चंदे की इस लूट पर चुप क्यों हैं ?

2- क्या राम मंदिर निर्माण में चंदाचोरी की जांच होगी और क्या दोषियों को सजा मिलेगी ?

3- क्या राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव, चंपतराय व ट्रस्टी अनिल मिश्रा की जांच होगी ?

4- क्या अयोध्या के भाजापाई मेयर, भाजपाई विधायकों व इनके नेताओं की जांच होगी ?

5- क्या सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट में हो रही चंदे की हेराफेरी का संज्ञान लेगा ?


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बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी उठाए सवाल 

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पूरा होने से पहले ही जिस तरह से नेताओं और अफसरों ने ताबड़तोड़ जमीनें खरीदी हैं उसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और ऐसी खरीद-फरोख्त को रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। इसकी जांच एक उच्चस्तरीय कमेटी से करवाई जानी चाहिए। बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट मामले में हस्तक्षेप करे। केंद्र सरकार राज्य को निर्देश दे कि मामले की जांच पूरी गंभीरता से की जाए।

मायावती ने लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार होती है तो भाजपा उस पर फोन टैपिंग का आरोप लगाती है और अब भाजपा की सरकार है तो कांग्रेस उस पर फोन टैपिंग का आरोप लगा रही है। मामले में कहां तक सच्चाई है यह तो नहीं बताया जा सकता लेकिन यदि यह आम चर्चा हो गई है तो इस बात में दम है।

उन्होंने कहा कि निर्वाचन सूचियों को आधार कार्ड से जोड़ने के मामले पर बसपा का यही मत है कि पहले इस प्रकरण पर राज्यसभा और लोकसभा में खुली बहस होनी चाहिए साथ ही उन्होंने मांग की कि 2 अप्रैल 2018 को दलित युवाओं पर दर्ज हुए मुकदमे वापस होने चाहिए।

रिपोर्ट में क्या सामने आया?

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अयोध्या के जमीन सौदों से जुड़ा लेन-देन का एक सेट हितों के टकराव और औचित्य से जुड़े गंभीर सवाल उठाता है। कम से कम चार खरीदार, दलित निवासियों से भूमि के ट्रांसफर में कथित अनियमितताओं के लिए विक्रेता की जांच कर रहे अधिकारियों के करीबी संबंधी हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सामने आया है कि अयोध्या में जमीन खरीदारों में स्थानीय विधायक, नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार, स्थानीय राजस्व अधिकारी जो खुद जमीन के लेनदेन से जुड़े थे, उन्होंने भी यहां जमीनें खरीदीं।


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अधिकारियों के रिश्तेदारों ने ही खरीदी जमीन?

इन लेन-देन का एक सेट हितों के टकराव के और सवाल उठाता है। दरअसल यह देखते हुए कि जमीन बेचने वाला, पांच मामलों में, महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (MRVT), दलित ग्रामीणों से भूमि की खरीद में कथित अनियमितता की जांच उन्हीं अधिकारियों पास है। जिनके रिश्तेदारों ने जमीन खरीदी है। ये लेन-देन औचित्य और हितों के टकराव के महत्वपूर्ण सवाल उठाते हैं क्योंकि कम से कम चार खरीदार दलित निवासियों से भूमि हस्तांतरण में कथित अनियमितताओं के लिए विक्रेता- दिवंगत महेश योगी द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट – की जांच करने वाले अधिकारियों से संबंधित हैं।

राम मंदिर के 5 किलोमीटर के दायरे में खरीदी गई जमीन

गोसाईगंज विधायक इंद्र प्रताप तिवारी, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय एवं राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य जिन्होंने अपने नाम से जमीन खरीदी है, से लेकर एक अन्य विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, संभागायुक्त एमपी अग्रवाल, पुलिस उप महानिरीक्षक दीपक कुमार, राज्य सूचना के संबंध में आयुक्त, पुलिस सर्कल अधिकारी, एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी – 14 मामलों में, रिकॉर्ड से पता चला है कि इन अधिकारियों के परिवारों ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद राम मंदिर स्थल के 5 किमी के दायरे में जमीन खरीदी थी।


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