संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि हर तीन में से एक अफगान गंभीर भुखमरी की जद में हैं। इस मुश्किल से घिरी कुल आबादी 14 मिलियन आंकी गई है। यह हालात ग्लोबल वार्मिंग से उपजे सूखे और बरसों से जारी जंग से पैदा हुए हैं। (AFGAN-POPULATION-STARVATION)
इस बीच तालिबान सत्ता संभाली है और इन हालातों से देश का भविष्य चुनौती से घिरा हुआ है। डब्ल्यूएफपी के प्रतिनिधि और अफगानिस्तान निदेशक मैरी-एलेन मैकग्रोर्टी ने काबुल से एक टेलीफोन साक्षात्कार में एएफपी को बताया, “2021 अफगानिस्तान के लिए बेहिसाब मुश्किलों से भरा साल है।”
मैकग्रोर्टी ने भयानक मानवीय संकट सामने आने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि उनका डब्ल्यूएफपी के साथ इस दक्षिण एशियाई देश में रहने का इरादा है, जहां अब मानवीय मदद की जरूरत है। (AFGAN-POPULATION-STARVATION)
उन्होंने कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान के लोगों को विस्थापन के साथ ही तीन साल में दूसरी बार भीषण सूखे का सामना करना पड़ रहा है।
“गंभीर स्थिति है, ताजा विश्लेषण से संकेत मिलता है कि 14 मिलियन लोग पहले से ही गंभीर भुखमरी के खतरे में हैं, दो मिलियन बच्चों को कुपोषण का खतरा है”, मैकग्रोर्टी ने कहा।
सूखे की वजह से बीते 30 वर्षों में गेहूं का उत्पादन 40 प्रतिशत गिर गया है। मैकग्रार्टी ने समझाया, “इसका पशुधन पर भी विनाशकारी प्रभाव पड़ा है।”
“पूरे देश में जंग से हालात के चलते किसान जमीन की कटाई करने में असमर्थ हैं,” उन्होंने कहा।
पुलों, बांधों और सड़कों जैसे नागरिक बुनियादी ढांचे के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में बाग नष्ट हो गए हैं। सूखे और युद्ध की अराजकता की वजह से भोजन बहुत महंगा हो चुका है। गेहूं की एक बोरी की कीमत आज पांच साल के औसत से 24 फीसदी ज्यादा कीमत पर है।