NEET-PG में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नीट में OBC आरक्षण देने का फैसला सही

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द लीडर | सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा में अन्‍य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को सही बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि PG और UG ऑल इंडिया कोटा में 27% ओबीसी आरक्षण संवैधानिक रूप से मान्य होंगे. साथ ही कहा है कि, केंद्र को आरक्षण देने से पहले इस अदालत की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है. NEET में OBC आरक्षण देने का केंद्र का फैसला सही है. सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की विशेष पीठ ने एआईक्यू यूजी और पीजी मेडिकल सीटों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा है.

काउंसलिंग जारी

AIQ सीटों के लिए NEET PG काउंसलिंग चल रही है. जबकि राउंड 1 के खिलाफ पंजीकरण और विकल्प भरना समाप्त हो गया है, एनईईटी पीजी काउंसलिंग राउंड 1 का रिजल्ट 22 जनवरी को घोषित किया जाना है. नीट पीजी परीक्षा 11 सितंबर, 2021 को हुई थी. उससे पहले जनवरी और अप्रैल में दो बार परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव किया गया था. पूरे देश में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने काउंसलिंग प्रक्रिया जल्द करने की मांग करते हुए पिछले महीने प्रदर्शन किया था और काम का बहिष्कार किया था.


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काउंसलिंग में आरक्षण के नियम

नीट पीजी 2021 काउंसलिंग में SC को 15 फीसदी सीट्स, ST के लिए 7.5 फीसदी, OBC के लिए 27 फीसदी (सेंट्रल ओबीसी लिस्ट के अनुसार), EWS के लिए 10 फीसदी आरक्षण, दिव्यांग वर्ग के लिए 5 फीसदी हॉरिजंटल रिजर्वेशन होगा. अंतर यह है कि पहले ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण सिर्फ सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ में थे, लेकिन इस बार इन्हें स्टेट सीट्स पर भी लागू किया जा रहा है.

सामाजिक न्‍याय के लिए आरक्षण जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NEET PG और UG प्रवेश के लिए ऑल इंडिया कोटे में OBC आरक्षण देना सही है. अनुच्छेद 15(4) और 15(5) हर देशवासी को मौलिक समानता देते हैं. प्रतियोगी परीक्षाएं उत्कृष्टता, व्यक्तियों की क्षमताओं को नहीं दर्शाती हैं. ऐसे में कुछ वर्गों को मिलने वाले सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक लाभ को प्रतिबिंबित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा है कि उच्च स्कोर योग्यता के लिए एकमात्र मानदंड नहीं है. सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के संबंध में योग्यता को प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता है.

इसके कारण गिनाते हुए दिए विस्तृत आदेश में कोर्ट ने कहा है :-

  • सरकार को ज़रूरतमंद तबके के लिए विशेष व्यवस्था करने का अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 15 (4) और 15 (5), अनुच्छेद 15 (1) का ही विस्तार हैं. अनुच्छेद 15 (1) में सरकार की तरफ से किसी वर्ग से भेदभाव न करने की जो बात कही गई है, कमज़ोर वर्ग के लिए विशेष व्यवस्था उसी भावना के अनुरूप है.
  •  केंद्र के लिए यह ज़रूरी नहीं है कि वह ऑल इंडिया कोटा में OBC आरक्षण देने के लिए कोर्ट से अनुमति ले.
  •  परीक्षा में प्राप्त अंक मेरिट का इकलौता आधार नहीं हो सकता. समाज के कई वर्ग सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से लाभ की स्थिति में रहे हैं. यह परीक्षा में उनकी अधिक सफलता की वजह बनता है.
  • अगर आरक्षित वर्ग का कोई व्यक्ति बेहतर स्थिति में आ चुका है और अनारक्षित वर्ग का कोई व्यक्ति सामाजिक या आर्थिक रूप से अच्छी स्थिति में नहीं है, तो यह पूरे आरक्षण को गलत ठहराने का आधार नहीं हो सकता.

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