द लीडर हिंदी, कानपुर। भारत जैसे देश में जहां पर पता नही कितनी आबादी है जो अपनी जीवन भर की कमाई से घर नहीं बनवा पाती, खास तौर से महानगरों में ये समस्या और बढ़ जाती है जहां सर पर छत होना बड़ी बात हैं।सरकार की तरफ से भी तमाम योजनायें चलती हैं लेकिन बढ़ती आबादी के अनुपात में क्षेत्रफल की कमी और घर बनाने में आने वाली लागत इसकी बड़ी वजह बन जाती है कि लोगों के सर पर छत नही है।
सड़क पर सोते लोगों को देखकर एक बार मन तो जरूर करता है कि काश इनके पास छत होती। लेकिन सरकारें हो या समाजसेवी संस्थाएं किसी के पास इन्हें छत देने का कोई भी रास्ता नजर नहीं आता है।
ऐसे में आईआईटी कानपुर केंपस में पली-बढ़ी और अमेरिका में विजुअल डिजाइनर का जॉब कर रही जयंती सिन्हा ने एक समाधान निकाला है। जिसके जरिए अधिकतम 5 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में हवा और रोशनी दार अस्थाई घर बन जाएगा और इसकी कीमत भी 15000 तक की हो सकती है।
पर्याप्त मात्रा में घर न होने की समस्या 2018 में अमेरिका के लॉस एंजिल्स में आई थी। जहां पर मेयर ने कई आर्किटेक्चर और डिजाइन कॉलेजों में संपर्क किया। पासाडेना आर्ट सेंटर ने इस चुनौती को स्वीकार किया।
इसमें प्रोफेसर जेम्स मिराज के साथ मिलकर छात्र-छात्राओं ने एक पॉप-हट तैयार की। कानपुर के दिल्ली पब्लिक स्कूल में इंटरमीडिएट और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी भोपाल से ग्रेजुएशन कर चुकी जयंती सिन्हा भी इस टाइम टीम का हिस्सा थी ।
टीम ने बाजार में मौजूदा प्लास्टिक या सिंथेटिक शीट के अलावा नालीदार टीन की मदद से 5 वर्ग किलोमीटर जगह घर तैयार किया। इस हट को इस तरह से डिजाइन किया गया जिससे कुदरती रोशनी के अलावा हवा भी आए। तिरछी छत पर सोलर पैनल लगाए जा सकते हैं। और बारिश में छत पर पानी भी नहीं रूकेगा।
जयंती के अनुसार भारत में भी ऐसे घर बनाने के अधिकतम कीमत पन्द्रह हजार हो सकती है। बड़े पैमाने पर लागत और भी घट सकती है। अहम बात यह है कि भारत जैसे अलग-अलग मौसम वाले देश में जरूरत के हिसाब से दूसरा मटेरियल भी इस्तेमाल किया जा सकता है। दुर्गम और हाई-एल्टीट्यूड एरिया में आर्मी भी इंसुलेशन को ध्यान में रख इसका आसानी से इस्तेमाल कर सकती है।