बरेली में डेंगू से बच्चे की मौत को छह दिन नकारता रहा स्वास्थ्य विभाग, फिर कबूला

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द लीडर | कोरोना से हुई तमाम मौतों को छिपाने जैसा खेल अब डेंगू के मामले में भी शुरू हो गया है। भोजीपुरा के मेडिकल कॉलेज में डेंगू से हुई एक 11 वर्षीय बालक की मौत को छह दिन तक पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया। बुधवार को इसका खुलासा हुआ तब कहीं पोर्टल अपडेट किया गया। अब जिला सर्विलांस अधिकारी ने डिस्ट्रिक्ट एपिडेमियोलॉजिस्ट और मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

4 सितंबर को एसआरएमएस में हुआ था भर्ती 

शहर के भोजीपुरा के गांव खंजनपुर निवासी हसरत खां के 11 साल के बेटे राशिद को बीते दिनों घर पर तेज बुखार और शरीर में तेज दर्द की शिकायत हुई। स्वजन उसे लेकर 14 सितंबर को एसआरएमएस मेडिकल कालेज पहुंचे। यहां बच्चे को भर्ती कर उसकी जांच की गई। डेंगू के लक्षण होने पर उसकी एलाइजा जांच कराई गई, जिसमें रिपोर्ट पाजिटिव आई। इसके बाद प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग को सूचना देने के साथ ही बच्चे का इलाज शुरू कर दिया। 16 सितंबर को इलाज के दौरान ही बच्चे ने दम तोड़ दिया।


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बुधवार को मामला खुला तो जिला सर्विलांस अधिकारी ने किशोर की मौत की सूचना न देने पर जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। संतोषजनक जवाब न देने पर कार्रवाई की भी चेतावनी दी है। उधर, डिस्ट्रिक्ट एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. मीसम अब्बास का कहना है कि उन्होंने मौके पर जाकर जांच की थी लेकिन किशोर के परिवार ने उन्हें उसकी मौत की जानकारी नहीं दी।

एपिडेमियोलॉजिस्ट अपने काम में नाकाम 

नियमों के मुताबिक डिस्ट्रिकट एपिडेमियोलॉजिस्ट की नियुक्ति संक्रामक रोग की पड़ताल के लिए की जाती है। जहां संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है या कोई मरीज मिलता है तो वहां पहुंचकर उसे बीमारी की वजह और उसकी रोकथाम के लिए पड़ताल करनी होती है। आसपास के लोगों को बचाव के प्रति जागरूक करने की भी जिम्मेदारी होती है। डेंगू पीड़ित किशोर की मौत से साफ हो गया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम अपने दायित्वों का कैसे निवर्हन कर रही है।

घर-घर जांच का दावा, फिर भी बेखबर

डिस्ट्रिक्ट एपिडेमियोलॉजिस्ट के अलावा जिला मलेरिया विभाग की ओर से गठित टीम की गतिविधियों पर भी सवाल उठा है। अधिकारी लगातार दावा कर रहे हैं कि वे डेंगू मरीज मिलते ही अगले दिन उसके घर पहुंचते हैं और वहां जांच में अगर लार्वा मिलता है तो फौरन नष्ट कराते हैं।

कागजों में किशोर की मौत के बाद खंजनपुर में भी यह अभियान चलाने का रिकॉर्ड है मगर किशोर की मौत की जानकारी डीबीसी टीम को भी न हो पाने खुद सारी सच्चाई बयान हो रही है। यह आरोप भी लगते रहे हैं कि यह टीम जांच की खानापूरी कर ज्यादातर रिपोर्ट कागजों पर ही बना रही है।


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